Topmost priority of Govt is to create corruption-free, citizen centric and development-friendly ecosystem in country: PM Modi

NewsBharati    30-Nov-2017
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New Delhi, November 30: The topmost priority of Indian government was to create a corruption-free, citizen-centric and development-friendly ecosystem in the country. This was said by Prime Minister Narendra Modi on Thursday while addressing at the inaugural session of the 15th edition of the Hindustan Times Leadership Summit.

 

PM Modi said that the central government was fully committed to curb corruption and make India corruption free country, citizen-centric and development-friendly ecosystem in India. PM Modi further said that he is also ready to pay the political price for the steps taken against corruption by the central government.



He said, “Creating corruption-free, citizen-centric and development-friendly eco system in India is our top-most priority. Confusion is created when governments work in silos. However, our government has adopted a holistic approach.” "I might have to pay a political price for the path I have taken, but I am ready for it," the Prime Minister added.



Referring to the poor image of India in front of the world and poor economic conditions the Prime Minister said, “When we came in 2014, what we got from the previous government was an economy which was in bad shape, our fiscal order and banking system, all were in tatters. India was then counted in fragile five.”



Lauding the efforts and work culture of the centre, PM Modi said that the schemes are implemented quickly which benefits the aspirants immediately. He said, “Government has developed new and holistic approach in work culture and therefore schemes are implemented immediately and we can see the results as aspirants are benefitted effectively.”



The Prime Minister also said the government’s bold move of demonetization brought large parts of the underground economy into the formal system. “Black money, which was part of a parallel economy, has become part of a formal economy”.



PM Modi said people didn’t vote for a mere change in the government in the 2014 Lok Sabha elections. “The vote was for a change in the system, a system that is stable,” he said, pointing out India for long was burdened with a system that was not doing justice to the “ability of the country”. The PM also quoted the Gita and the Buddha, exhorting people to be “your own light” as he talked about a corruption-free and development-friendly ecosystem that his government is trying to foster.



PM Modi also further noted that Aadhaar will work as a tool to check benami properties. He said GST was a major step towards transparency and described Aadhaar as an “irreversible change”. In the end, PM Modi said, “Today, Indians living abroad proudly hold their heads high. Slogans like ‘Ab ki Bar Cameron Sarkar’ and ‘Ab ki Bar Trump Sarkar’ are proof of growing confidence and stature of India globally,” he added.




Following is the full test of PM Modi’s speech at HT Leadership Summit – 2017: 

मुझे फिर एक बार आप लोगों के बीच आने का मौका मिला है। बहुत से जाने-पहचाने चेहरे भी दिख रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप और उसके पाठकों का बहुत-बहुत आभार मुझे फिर से बुलाने के लिए।

साथियों, दो साल पहले जब मैं इस समिट में आया था, तो विषय था- “Towards a Brighter India”, सिर्फ दो साल, सिर्फ दो साल में, हम आज “The Irreversible Rise of India” पर बात कर रहे हैं। ये सिर्फ विषय का बदलाव नहीं है। ये देश की सोच में आए बदलाव, देश के आत्मविश्वास में आए बदलाव का प्रतीक है।

अगर हम देश को एक संपूर्णता में देखें, एक Living Entity की तरह देखें, तो आज जो Positive Attitude हमारे देश में आया है, वो पहले कभी नहीं था। मुझे नहीं याद पड़ता, देश के गरीबों ने, नौजवानों ने, महिलाओं ने, किसानों ने, शोषितों-वंचितों ने अपने सामर्थ्य, अपने संसाधन, अपने सपनों पर इतना भरोसा, पहले कभी किया था।

ये भरोसा अब आया है। हम सब सवा सौ करोड़ भारतीयों ने मिलकर इसके लिए दिन-रात एक किया है। देशवासियों का अपने आप पर भरोसा, देश पर भरोसा…. किसी भी देश को ऊँचाइयों पर ले जाने का यही मंत्र है।

आज गीता जयंती है, गीता में बड़ी स्पष्टता से कहा है

उद्धरेत आत्मन आत्मानम न आत्मानं अवसादयेत आत्मेव-आत्मनो बंधु आत्मेव रिपुर आत्मना

स्वयं को ऊपर उठाओ नकारात्मक विचार को टालो

आप ही स्वयं के मित्र हो और आप ही स्वयं के शत्रु

और इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी कहा था -

अप्प दीपो भवअर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो।

सवा सौ करोड़ देशवासियों का बढ़ता भरोसा, इस देश के विकास की एक मज़बूत नीव बन रही है। इस हॉल में बैठे हर एक व्यक्ति से लेकर इस होटल के बाहर जो व्यक्ति ऑटो चला रहा है,

कहीं रिक्शा खींच रहा है, कहीं खेत में टूटे हुए किनारे को ठीक कर रहा है, कहीं बर्फ में रातभर पहरा देने के बाद अब किसी टेंट में सो रहा है, उसने अपने हिस्से की तपस्या की है। ऐसे हर भारतीय की तपस्या ही है जिसकी वजह से हम “Towards a Brighter India”, से आगे बढ़कर Irreversible Rise of India पर बात कर रहे हैं।

साथियों, 2014 में देश के लोगों ने सिर्फ सरकार बदलने के लिए वोट नहीं दिया था। 2014 में वोट दिया गया था देश बदलने के लिए। सिस्टम में ऐसे बदलाव लाने के लिए, जो स्थाई हों, परमानेंट हों, Irreversible हों। स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी हमारे सिस्टम की कमजोरी, हमारे देश की सफलता में आड़े आ रही थी।

ये एक ऐसा सिस्टम था, जो देश की क्षमताओं के साथ न्याय नहीं कर पा रहा था। हर तरफ देश में किसी ना किसी व्यक्ति को इस सिस्टम से लड़ना पड़ रहा था। ये मेरा प्रयास ही नहीं, कमिटमेंट भी है कि लोगों की सिस्टम से ये लड़ाई बंद हो, उनकी जिंदगी में Irreversible Change आए, Ease of Living बढ़े।

छोटी-छोटी चीजों के लिए, रेल-बस का टिकट कराने के लिए, गैस के कनेक्शन के लिए, बिजली के कनेक्शन के लिए, अस्पताल में भर्ती होने के लिए, पासपोर्ट पाने के लिए, इनकम टैक्स रीफंड पाने के लिए उन्हें परेशान ना होना पड़े।

साथियों, इस सरकार के लिए Corruption Free, Citizen-Centric और Development Friendly Eco-system सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नीतियों पर आधारित, तकनीक पर आधारित, पारदर्शिता पर आधारित एक ऐसा Eco-system जिसमें गड़बड़ी होने की, लीकेज की, गुंजाइश कम से कम हो।

अगर मैं जनधन योजना की ही बात करूं, तो ये गरीबों की जिंदगी में ऐसा बदलाव लाई है, जो पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। जिस गरीब को पहले बैंक के दरवाजे से दुत्कार कर भगा दिया जाता था, उसके पास अपना बैंक अकाउंट है। जिनके जनधन अकाउंट खुल रहे हैं, उन्हें Rupay Debit Card भी दिए जा रहे हैं। सवा सौ करोड़ लोगों के हमारे देश में ऐसे लोगों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है।

उस गरीब के आत्म-विश्वास के बारे में सोचिए, जब वो बैंक में जाकर पैसे जमा कराता है, जब वो Rupay Debit कार्ड का इस्तेमाल करता है। ये आत्म-विश्वास, ये हौसला, अब परमानेंट है, उसे कोई बदल नहीं सकता।

ऐसे ही उज्जवला योजना है। गांव में रहने वाली तीन करोड़ से ज्यादा महिलाओं की जिंदगी इस योजना ने हमेशा-हमेशा के लिए बदल दी है। उन्हें सिर्फ मुफ्त गैस कनेक्शन नहीं मिला, उन्हें सुरक्षा मिली है, सेहत मिली है, परिवार के लिए समय मिला है।

ऐसी करोड़ों महिलाओं की जिंदगी में आए बदलाव के बारे में भी सोचिए, जो बदलाव स्वच्छ भारत मिशन की वजह से आया है। सरकार ने सिर्फ शौचालय नहीं बनाए हैं, बल्कि उनकी करोड़ों महिलाओं को, बेटियों को उस पीड़ा से मुक्ति दिलाई है, जिसे वो शाम के इंतजार में बर्दाश्त करती रहती थीं।

कुछ लोग थोड़ी सी गंदगी की फोटो खींचकर बहस करते रहेंगे, लिखते रहेंगे, टीवी पर दिखाते रहेंगे, लेकिन लोगों को पता है कि इस अभियान ने जमीन पर किस तरह का Irreversible बदलाव ला दिया है।

भाइयों और बहनों, मुझे नहीं मालूम कि इस हॉल में बैठे कितने व्यक्ति इससे Relate कर पाएंगे, लेकिन जितना आप यहां से जाने के बाद पार्किंग टिप के तौर पर देंगे, उससे बहुत कम में आज गरीब की जिंदगी का बीमा हो जाता है।

सोचिए, सिर्फ एक रुपए महीना पर दुर्घटना बीमा, और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर जीवन बीमा। आज देश के 15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की इन योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को लगभग 1800 करोड़ रुपए की claim राशि दी जा चुकी है। इतने रुपए किसी और सरकार ने दिए होते तो उसे मसीहा बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया होता।

लेकिन गरीबों के लिए इतना बड़ा काम हुआ, मुझे नहीं लगता इस पर किसी ने ध्यान दिया होगा। ये भी एक सच है जिसे मैं स्वीकार करके चलता हूं। एक और उदाहरण LED बल्ब का है। पहले की सरकार में जो LED बल्ब तीन सौ-साढ़े तीन सौ का बिकता था, वो अब एक मध्यम वर्ग के परिवार को लगभग 50 रुपए में उपलब्ध है। उजाला योजना शुरू होने के बाद से देश में अब तक लगभग 28 करोड़ LED बल्ब बिक चुके हैं। इन बल्बों से लोगों को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हो चुकी है।

ऐसा भी नहीं है कि बचत पर, बिजली बिल कम होने पर कुछ समय में फुल स्टॉप लग जाएगा। जो बचत हो रही है, वो होती ही रहेगी। ये बचत भी अब परमानेंट है।

भाइयों और बहनों, पहले ही सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोक रखा था या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि सिस्टम में स्थाई परिवर्तन लाने फैसले लेने से, देशहित में फैसला लेने से, किसी के रोके नहीं रुकेंगे।

जो लोग इस बात पर यकीन करते हैं कि देश जादू की छड़ी घुमाकर नहीं बदला जा सकता, वो हताशा और निराशा से भरे हुए हैं। ये अप्रोच हमें कुछ भी नया करने से, innovative करने से रोकती है।

ये अप्रोच हमें फैसला लेने से रोकती है। इसलिए इस सरकार की अप्रोच इससे बिल्कुल अलग है। जैसे यूरिया की नीम कोटिंग की ही बात करें। पहले की सरकार में यूरिया की 35 प्रतिशत नीम कोटिंग होती थी। जबकि पूरे सिस्टम को पता था कि 35 प्रतिशत नीम कोटिंग करेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा। यूरिया का डायवर्जन रोकना है, फैक्ट्रियों में जाने से रोकना है, तो उसकी सौ प्रतिशत नीम कोटिंग करनी ही होगी। लेकिन ये फैसला पहले नहीं हुआ। इस सरकार ने फैसला लिया यूरिया की पूरी तरह नीम कोटिंग का।

भाइयों और बहनों, इस फैसले से ना सिर्फ यूरिया का डायवर्जन रुका है, बल्कि उसकी अपनी efficiency बढ़ गई है। अब किसान को उतनी ही जमीन के लिए कम यूरिया डालना पड़ता है। इतना ही नहीं, कम यूरिया डालने के बावजूद उसकी पैदावार बढ़ रही है।

ऐसे ही, अब हम देश में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं जिस पर आकर किसी भी जगह का किसान कहीं से भी अपनी फसल बेच सके। ये देश में बहुत बड़ा व्यवस्था परिवर्तन होने जा रहा है। e-Nam यानि इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट से अब तक देश की साढ़े चार सौ से ज्यादा मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा जा चुका है। भविष्य में ये प्लेटफॉर्म किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलाने में बहुत मदद करेगा।

अभी हाल ही में सरकार ने देश के एग्रीकल्चर सेक्टर में supply chain को मजबूत करने के लिए, storage सिस्टम को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजनाकी शुरुआत की है। इस योजना का मकसद है कि खेत या बाग़ में पैदा होने के बाद जो अनाज या फल मंडी तक पहुंचने से पहले खराब हो जाता है, उसे बचाया जाए। सरकार इस योजना के तहत फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को भी मजबूत कर रही है ताकि किसान का खेत एक इंडस्ट्रियल यूनिट की तरह भी काम करें।

फूड पार्क पर, फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी आधुनिक तकनीक पर, नए गोदामों पर, एग्रो-प्रोसेसिंग का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर सरकार 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

भाइयों और बहनों, समय के साथ ऑर्गैनिक फॉर्मिंग और ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। सिक्किम की तरह ही देश के कई और राज्यों में 100 प्रतिशत आर्गेनिक State बनने की क्षमता है। विशेषकर हमारे हिमालयन राज्यों में इसे और बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए भी सरकार 10 हजार कलस्टर बनाकर उनमें आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है।

अभी हाल ही में हमने एक और बड़ा फैसला लिया है। भाइयों और बहनों, अब तक बांस को देश के एक कानून में पेड़ माना जाता था। इस वजह से बांस काटने को लेकर किसानों को बहुत दिक्कत आती थी। अब सरकार ने बांस को पेड़ की लिस्ट से हटा दिया है।

इसका फायदा देश के दूर-दराज इलाके और खासकर उत्तर पूर्व के किसानों को होगा जो Bamboo फर्नीचर, हैंडी-क्राफ्ट के काम में लगे हुए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले की सरकार द्वारा बनाए गए एक और कानून में बांस को पेड़ नहीं माना गया था।

ये विरोधाभास दस-बारह साल बाद अब दूर किया गया है। साथियों, हमारी सरकार में holistic approach के साथ फैसले लिए जाते हैं। देश की आवश्यकताओं को समझते हुए फैसले लिए जाते हैं। इस तरह के फैसले पहले नहीं लिए जा रहे थे, इसलिए देश का हर व्यक्ति चिंता में था। वो देश को आंतरिक बुराइयों से मुक्त देखने के साथ ही, नई व्यवस्थाओं के निर्माण को भी होते हुए देखना चाहता था।

भाइयों और बहनों, हमारे यहां जो सिस्टम था उसने भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार बना दिया था। कालाधन ही देश के हर बड़े सेक्टर को कंट्रोल कर रहा था। 2014 में देश के सवा सौ करोड़ों ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए वोट दिया था। उन्होंने वोट दिया था देश को लगी बीमारियों के परमानेंट इलाज के लिए, उन्होंने वोट दिया था न्यू इंडिया बनाने के लिए।

Demonetization के बाद देश में जिस तरह का behavioural change आया है उसे आप खुद महसूस कर रहे होंगे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले पैरेलल इकॉनॉमी का आधार था, वो Demonetization के बाद Formal Economy में आया है।

बड़ी बात ये भी है कि बैंकिंग सिस्टम में वापस आया ये पैसा अपने साथ सबूत भी लाया है। देश को जो डेटा मिला है, वो किसी खजाने से कम नहीं है। इसी डेटा की माइनिंग से पता चला है कि हमारे देश में एक ही address पर चार-चार सौ, पाँच-पाँच सौ कंपनियां चल रही थीं और एक-एक कंपनी ने दो-दो हजार बैंक अकाउंट खुलवाए हुए थे। ये अजीब विरोधाभास नहीं था क्या? एक तरफ गरीब को बैंक में एक अकाउंट खुलवाने में दिक्कत आती थी और दूसरी तरफ एक कंपनी आसानी से हजारों अकाउंट खुलवा लेती थी।

नोटबंदी के दौरान इन अकाउंट्स में भी जो हेर-फेर किया गया, वो पकड़ में आ रहा है। अब तक ऐसी लगभग सवा दो लाख कंपनियों को de-register किया जा चुका है। इन कंपनियों में जो डायरेक्टर थे, जिनकी जिम्मेदारी थी कि ये कंपनियां सही तरीके से काम करें, उनकी भी जिम्मेदारी फिक्स की गई है। उनके अब किसी और कंपनी में डायरेक्टर बनने पर रोक लगा दी गई है।

साथियों, ये एक ऐसा कदम है, जो हमारे देश में स्वस्थ और स्वच्छ कॉरपोरेट कल्चर को और मजबूत करेगा। GST लागू होना भी देश की आर्थिक स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण कदम है। 70 वर्ष में जो व्यवस्था बन गई थी, कारोबार करने में जो कमजोरियां थीं, जो मजबूरियां थीं, उन्हें पीछे छोड़कर देश अब आगे बढ़ चला है।

GST से भी देश में Transparency का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। ज्यादा से ज्यादा व्यापारी भी इस ईमानदार सिस्टम से जुड़ रहे हैं। साथियों, ऐसे ही एक Irreversible Change को आधार नंबर से मदद मिल रही है। आधार एक ऐसी शक्ति है जिससे ये सरकार गरीबों के अधिकार को सुनिश्चित कराना चाहती है।

सस्ता राशन, स्कॉलरशिप, दवाई का खर्च, पेंशन, सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी, गरीबों तक पहुंचाने में आधार की बड़ी भूमिका है। आधार के साथ मोबाइल और जनधन अकाउंट की ताकत जुड़ जाने से एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हुआ है, जिसके बारे में कुछ साल पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। एक ऐसी व्यवस्था जो Irreversible है।

पिछले तीन वर्षों में आधार की मदद से करोड़ों फर्जी नाम सिस्टम से हटाए गए हैं। अब तो बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी ये एक बड़ा हथियार बनने जा रहा है।

भाइयों और बहनों, इस सरकार में सरकारी खरीद के पुराने तरीके को भी पूरी तरह बदला जा चुका है। हमने एक नई व्यवस्था विकसित की है गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस GeM के नाम से।

सरकार में अब इसी के जरिए टेंडर दिए जा रहे हैं और सरकारी सामान की खरीद हो रही है। अब कॉटेज इंडस्ट्री वाला भी, छोटे-छोटे हैंडीक्राफ्ट बनाने वाला भी, Home Made सामान बनाने वाला भी GeM के माध्यम से सरकार को अपना सामान बेच सकता है।

भाइयों और बहनों, हम एक ऐसी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं जिसमें कालाधन पैदा करना, सिस्टम की कमजोरी की वजह से भ्रष्टाचार करने की संभावना कम से कम रह जाएगी।

जिस दिन देश में ज्यादातर खरीद-फरोख्त, पैसे के लेन-देन का एक Technical और Digital Address होने लग गया, उस दिन से Organised Corruption काफी हद तक थम जाएगा। मुझे पता है, इसकी मुझे राजनीतिक तौर पर कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन उसके लिए भी मैं तैयार हूं।

साथियों, जब योजनाओं में गति होती है, तभी देश में प्रगति आती है। कुछ तो परिवर्तन आया होगा जिसकी वजह से सरकार की तमाम योजनाओं की स्पीड बढ़ गई है। साधन वही हैं, संसाधन वहीं हैं, लेकिन सिस्टम में रफ्तार आ गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार ब्यूरोक्रेसी में भी एक नई कार्य-संस्कृति डवलप कर रही है। उसे ज्यादा responsive बना रही है।

आज इसी का नतीजा है कि जहां पिछली सरकार में हर रोज 11 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनते थे, अब एक दिन में 22 किलोमीटर से ज्यादा नेशनल हाईवे का निर्माण होता है।

पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर सड़क बनी थी, हमारी सरकार के तीन सालों में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनी है। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ था, इस सरकार के तीन वर्षों में ये 2100 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच गया है।

पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 2500 किलोमीटर रेल लाइन का बिजलीकरण हुआ था, इस सरकार के तीन सालों में 4300 किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइन का बिजलीकरण हुआ है।

पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में लगभग 1 लाख 49 हजार करोड़ का capital expenditure किया गया था, इस सरकार के तीन वर्षों में लगभग 2 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का capital expenditure किया गया है।

पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावॉट की Renewable Energy की नई क्षमता जोड़ी गई थी, इस सरकार के तीन सालों में 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा Renewable Energy की नई क्षमता को ग्रिड पावर से जोड़ा गया है।

पिछली सरकार की तुलना में शिपिंग इंडस्ट्री में विकास की बात करें तो पहले जहां कार्गो हैंडलिंग की ग्रोथ Negative थी, वहीं इस सरकार के तीन सालों में 11 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

साथियों, अगर बिल्कुल जमीनी स्तर पर जाकर चीजों को ठीक नहीं किया गया होता, तो क्या ये गति आ पाती? सरकार ये फैसले ले पाती? नहीं। बड़े और स्थाई परिवर्तन ऐसे ही नहीं आते उसके लिए पूरे सिस्टम में बदलाव करने पड़ते हैं। जब ये बदलाव होते हैं तभी देश सिर्फ तीन साल में Ease Of Doing Business की रैकिंग में 142 से 100 पर पहुंच जाता है।

भाइयों और बहनों, आप सभी को पता है, 2014 में जब हम आए तो हमें विरासत में क्या मिला था? अर्थव्यवस्था की हालत, गवर्नेंस की हालत, Fiscal Order और बैंकिंग सिस्टम की हालत, सब बिगड़ी हुई थी। आप लोगों को तब कम शब्दों में यही बात कहनी होती थी, Headline में लिखना होता था, तो कहते थे, Policy Paralysis...

सोचिए, हमारा देश Fragile Five में गिना जाता था। दुनिया के तमाम देश सोचते थे कि अर्थव्यवस्था के संकट से हम तो उबर लेंगे लेकिन ये Fragile Five खुद तो डूबेंगे ही हमें भी ले डूबेंगे।

आज Globally भारत कहां खड़ा है, किस स्थिति में है, आप उससे भली-भांति परिचित हैं। बड़े हों या छोटे, दुनिया के ज्यादातर देश आज भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है। अब तो रुकना नहीं है, आगे ही बढ़ते जाना है।

साथियों, जब एक राष्ट्र आत्मविश्वास के साथ खड़ा होता है, तो Irreversible और Reversible मायने नहीं रखता। जब एक राष्ट्र आत्मविश्वास के साथ अपने कदम बढ़ाता है, फैसले लेता है, तो वो होता है, जो पिछले 70 साल में नहीं हुआ।

International Court of Justice के चुनाव में भारत की सफलता पूरे विश्व की सोच में आते हुए बदलाव का प्रतीक है। भाइयों और बहनों, जब योग को United Nations में सर्वसम्मति से मान्यता मिलती है, तब उसका Irreversible Rise दिखता है।

जब भारत की पहल पर International Solar Alliance का गठन होता है, तब उसका Irreversible Rise दिखता है।

साथियों, हमारी सरकार ने डिप्लोमेसी को Humanism से जोड़ा है, मानवीय संवेदनाओं से जोड़ा है। जब नेपाल में भूकंप आता है तो सबसे पहले भारत बचाव और सहायता कार्य में लग जाता है। जब श्रीलंका में बाढ़ आती है तो भारत की नौसेना तत्परता से मदद के लिए सबसे पहले पहुँच जाती है। जब मालदीव में पानी का संकट आता है तो भारत से जहाज़ भर-भर के पानी पहुंचाया जाता है। जब यमन में संकट आता है तो भारत अपने चार हज़ार से अधिक नागरिकों को ही नहीं बचाता बल्कि, 48 और देशों के दो हज़ार व्यक्तियों को भी सुरक्षित निकाल लाता है। ये भारत की बढ़ती हुई साख और बढ़ते हुए विश्वास का परिणाम है कि आज विदेश में रह रहे भारतीयो अपना माथा और ऊँचा करके सामने वाले से बात कर रहे हैं।

जब विदेश में अबकी बार कैमरन सरकारऔर अबकी बार ट्रंप सरकारके नारे गूंजते हैं, तो ये भारतीयों के सामर्थ्य की स्वीकृति होती है। भाइयों और बहनों, जब हर संगठन, हर समाज, हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य को समझते हुए, अपने स्तर पर बदलाव की शुरुआत करेगा, तभी न्यू इंडिया का सपना पूरा होगा। न्यू इंडिया का ये सपना सिर्फ मेरा नहीं है, आपका भी है। आज समय की मांग है कि राष्ट्र निर्माण से जुड़ी हर संस्था देश की आवश्यकताओं को समझते हुए, देश के सामने मौजूद चुनौतियों को समझते हुए, अपने स्तर पर कुछ संकल्प करे।

2022 में, जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब तक हमें इन संकल्पों को पूरा करना है। मैं आप लोगों को खुद तो कोई सलाह दे नहीं सकता, लेकिन हम सभी के प्रिय, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम की एक बात याद दिलाना चाहता हूं। उन्होंने कहा था –

हमारे यहां का मीडिया इतना Negative क्यों है? आखिर ऐसा क्यों है कि भारत में हम अपनी ही क्षमताओं और उपलब्धियों से शर्मिंदा रहते हैं? हम इतने महान देश हैं, हमारे पास सफलता की इतनी अद्भुत कहानियां हैं, फिर भी हम उन्हें स्वीकार करने से मना कर देते हैं। आखिर ऐसा क्यों है”?

उन्होंने ये बात कई साल पहले कही थी। आप विद्वत जनों को ठीक लगे तो इस पर कभी अपने यहां से मीनारों में, न्यूज रूमों में चर्चा जरूर करिएगा। मुझे उम्मीद है आप भी जो बदलाव करेंगे, वो Irreversible होंगे।

मेरा इस मंच से देश के पूरे मीडिया जगत को आग्रह है, आप खुद भी संकल्प लीजिए, दूसरों को भी प्रेरित करिए। जैसे आपने स्वच्छ भारत अभियान को अपना मानकर, उसे एक जन-आंदोलन में बदलने में सक्रिय भूमिका निभाई है, वैसे ही संकल्प से सिद्धि की इस यात्रा में भी आगे बढ़कर साथ चलिए।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। एक बार फिर हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप को इस आयोजन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद,

जय हिंद !!!