भारत सरकार द्वारा सेना की छवि को अनैतिक तथा नकारात्मक रूप में दिखाती फिल्मों पर नियंत्रण के आदेश

NewsBharati    08-Aug-2020 10:24:24 AM
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अभी हाल ही में 27 जुलाई को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने देश के फिल्म निर्माताओं तथा डॉक्यूमेंट्री बनाने वालों को एक निर्देश जारी किया है जिसमें बताया गया है कि वेब तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर बहुत सी फिल्में बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति के जारी की जा रही हैं जिनमें सेना की वर्दी तथा उनके चरित्र को नकारात्मक तथा गलत ढंग से केवल सस्ते मनोरंजन के उद्देश्य प्रस्तुत किया जा रहा है ! भविष्य में उपरोक्त निर्देश के अनुसार सेना पर फिल्म या डॉक्यूमेंट्री को किसी भी माध्यम पर दिखाने से पहले इसकी अनुमति रक्षा मंत्रालय से ली जानी चाहिए ! हालांकि पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया तथा वेब चैनल पर ऐसी फिल्में चोरी छुपे दिखाई जा रही थी परंतु उस समय बहुत शोर शराबा हुआ जब देश की प्रसिद्ध फिल्म तथा टीवी धारावाहिक निर्माता एकता कपूर ने सेना पर एक फिल्म बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति के वेब पर जारी कर दी! जिसमें सैनिकों की जीवन शैली को नकारात्मक और अनैतिक रूप में चित्रित किया हुआ था !
 
शायद एकता कपूर ने सेना की कार्यशैली को भी उसी प्रकार समझने की कोशिश की जिस प्रकार समाज में बढ़ते उपभोक्ता बाद तथा गिरते नैतिक मूल्यों के कारण चारों चारों ओर तरह-तरह के अनैतिक कार्य हो रहे हैं ! परंतु वह यह भूल गई कि जिस प्रकार अन्य क्षेत्रों में तरह-तरह की शैक्षिक योग्यताएं जैसे बीटेक एमबीबीएस इत्यादि जरूरी है उसी प्रकार एक सैनिक के लिए ऊंचा चरित्र तथा नैतिक मूल्य होते हैं ! जिनके द्वारा ही वह एक अच्छा सैनिक बनकर देश पर अपना सर्वस्व हर तरह की स्थिति में न्योछावर करने के लिए तैयार रहता है ! जैसा कि अभी कुछ दिन पहले देश ने देखा कि 19000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख की गलवान घाटी में शून्य के नीचे तापमान में भारतीय सैनिकों ने निहत्थे ही चीनी सैनिकों का मुकाबला किया तथा चीन के 50 से ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया तथा चीन को कड़ा संदेश दिया कि भविष्य में भारतीय सीमा मैं घुसने का साहस न करें ! ऐसी विषम परिस्थितियों में सैनिक को केवल उच्च चरित्र तथा नैतिक मूल्य ही उसे ऐसा आत्मबल देते हैं जिनसे वह हर परिस्थिति में दुश्मन का मुकाबला करने में सक्षम होता है !

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सेना में सेवा केवल आजीविका का साधन मात्र नहीं है बल्कि एक सैनिक के लिए यह पूरा जीवन होता है ! इसलिए सैनिक प्रशिक्षण में हथियारों तथा सेना की कार्यप्रणाली की सिखलाई से पहले एक सैनिक को आदर्श नैतिक तथा चारित्रिक मूल्यों की परिभाषा समझाई जाती है तथा इन मूल्यों को उसके अंदर कूट कूट कर भरा जाता है ! जिसकी झलक उसके व्यवहार में पूरे जीवन में नजर आती है ! इन्हीं मूल्यों के आधार पर उसके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत होती है जिसके द्वारावह हर हालात में देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रस्तुत रहता है ! इसके उदाहरण 1947 से लेकर आज तक की गलवान घाटी में भारत के सैनिकों ने दिए हैं ! जैसा की सर्वविदित है आजादी के समय भारत में गरीबी तथा पिछड़ापन चारों तरफ फैला हुआ था ! इसलिएदेश की सरकारों ने उस समय इन समस्याओं को सुलझाने का पूरा प्रयास किया तथा रक्षा बजट पर इतना धन उपलब्ध नहीं कराया जितना आवश्यकता थी !
 
इस कारण सेना को आधुनिक हथियार तथा साजो सामान उपलब्ध नहीं हुआ !भारतीय सेना की इस स्थिति को देखते हुए 1962 में चीन ने लद्दाख क्षेत्र में भारत पर अचानक हमला कर दिया ! जिसमें भारतीय सैनिकों ने केवल पुरानी बोल्ट एक्शन राइफल से चीन के आधुनिक हथियारों का मुकाबला किया बल्कि रेजांगला के युद्ध में मेजर शैतान सिंह और उसके 120 सैनिकों ने चीन के 5000 सैनिकों का मुकाबला करके उसके 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था ! उस समय भारतीय सैनिकों के पास शून्य से नीचे तापमान में रहने के लिए ना तो गर्म कपड़े थे और ना ही ऐसे क्षेत्रों में प्रयोग किए जाने वाले विशेष साधन उपलब्ध थे ! परंतु फिर भी भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना का मुकाबला किया ! भारतीय सेना की इसी स्थिति को देखते हुए 1965 में पाकिस्तान ने भी कश्मीर को हथियाने के लिए भारत पर हमला करने की योजना बनाई ! इससे पहले पाकिस्तान ने अमेरिका से बहुत सी सैनिक संधियों जैसे नाटो इत्यादि में शामिल होकर आधुनिक अमेरिका के पैटर्न टैंक तथा अन्य साजो सामान ले लिया था ! इस प्रकार पाकिस्तानी सेना सोच रही थी कि भारतीय सेना अपने पुरानेसरमन टैंक तथा हथियारों से उसका सामना नहीं कर पाएगी और वह भी अक्साई चीन की तरह कश्मीर को हथिया लेगा !
 
1965 के युद्ध में पूरा विश्व भारतीय सेना के हवलदार अब्दुल हमीद की वीरता की कहानी को कभी नहीं भूल सकता ! पंजाब के अमृतसर के पास खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तान सेना की पूरी आर्मर्ड डिविजन ने 120 टैंक के साथ इस क्षेत्र में हमला कर दिया था ! जबकि भारतीय सैनिकों के पास वही पुरानी आरसी एल तोपे थी जिनसे उन्हें पाकिस्तान की इस सेना का मुकाबला करना था ! हवलदार अब्दुल हमीद ने अपने युद्ध कौशल और पराक्रम से पाकिस्तान के 10 टैंकों को चुन-चुन कर बर्बाद किया और उसके साथ साथ यह देखा गया कि जैसे ही पाकिस्तानी टैंक में अब्दुल हमीद गोला दाग थे उसी समय उसके आसपास के टैंक पर सवार पाकिस्तानी सैनिक अपने चालू टैंकों को छोड़ कर के भाग जाते थे ! क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक आग में जलकर मरने को दोजक की आग में जलकर बनने के बराबर समझते हैं !
 
इस प्रकार खेमकरण के इस क्षेत्र में पाकिस्तान के पूरे 120 टैंक बर्बाद हुए तथा बाद मेंइस क्षेत्र को टैंक नगर के नाम से पुकारा जाता था ! खेमकरण के इस युद्ध को सैनिक इतिहास में असल उत्तर के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि यह पाकिस्तान को उसी की भाषा में उत्तर था ! यही सब कुछ 1971 के बसंतर युद्ध में 21 साल के लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल ने उसी प्रकार पाकिस्तानी टैंकों को बर्बाद करते हुए अपनी पोजीशन की रक्षा की थी ! इस युद्ध में अरुण खेत्रपाल के टैंक में पाकिस्तानी गोला लगने के कारण उसका इंजन खराब हो गया था ! जिसके कारण वह चारों तरफ से पाकिस्तानी सेना से गिर गए थे ! इस स्थिति में उन्हें आदेश मिला कि वह अपने टैंक को छोड़कर पीछे आ जाएं परंतु उस बहादुर सैनिक ने रेडियो पर संदेश वापस दियाकी टैंक का इंजन ही तो खराब हुआ है इसकी गन तो अभी काम कर रही है ! और उसके द्वारा खेत्रपाल ने पाकिस्तान के बहुत से टैंक बर्बाद करके उसके हमले को नाकाम किया ! इसी तरह का उदाहरण कारगिल युद्ध में भी उस समय देखने में आया जब इस युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा ने वहां की टाइगर चोटी पर हमला करते हुए कहा था कि या तो चोटी पर तिरंगा फेरा कर लौटूंगा नहीं तो तिरंगे में लौट कर वापस आऊंगा !
 
उपरोक्त वीरता के उदाहरण भारतीय सेना के द्वारा लड़े हुए हर युद्ध मेंमिलते है ! क्योंकि भारतीय सेना उच्च आदर्शों तथा अपनी प्राचीन संस्कृति को अपनाकर अपने सैनिक मूल्य तय करती है ! और उन्हीं के द्वारा मातृभूमि की रक्षा को धर्म युद्ध के रूप में लेती है ! आज के युग में बढ़ते उपभोक्तावाद के कारण समाज के नैतिक मूल्य बिकाऊ हो गए हैं जिनके कारण तरह तरह के अनैतिक कृत्य जैसे चारित्रिक पतन भ्रष्टाचार तथा अपराध आम हो गए हैं ! इसी कारण देश की नौकरशाही तथा पुलिस व्यवस्था मैं भी यह सब आ गया है ! जिनके कारण देश में चारों तरफ तरह तरह के अपराध और अव्यवस्था फैल रही है ! परंतु इन हालातों में भी सेना सीमा पर दुश्मन को किसी प्रकार का मौका नहीं दे रही है ! देश की आंतरिक व्यवस्था को ही फिल्में चित्रित करती हैं क्योंकि फिल्में समाज का आईना कहलाती है !परंतु आजकल फिल्में तथा मीडिया विज्ञापन का बड़ा साधन बनने के कारण तरह-तरह के काल्पनिक आपराधिक तथा चरित्र पतन के दृश्य नमक मिर्च लगाकर प्रस्तुत करते हैं जिससे उनकी फिल्में ज्यादा चलें और धीरे-धीरेइन्हें देख कर यही सब समाज में भी अपनाया जा रहा है ! इसी के प्रभाव मेंसेना के बारे में भी यह फिल्म निर्माता इस सब को वेब मीडिया इत्यादि पर बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति के दिखा रहे थे ! जिनमें समाज के अन्य भागों की तरह सेना का चित्रण भी उसी तरह करने की कोशिश की गई थी जो उचित नहीं था !
 
इस विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने शीघ्रता से कदम उठाते हुए इस प्रकार के अनियंत्रित फिल्म निर्माताओं पर लगाम लगाते हुए आदेश जारी किया है !जिससे भविष्य में कोई इस प्रकार की कोशिश ना कर सके ! इस प्रकार भारतीय सेना की उच्च परंपराएं तथा गरिमा की रक्षा हो पाएगी और सैनिकों का मनोबल उसी प्रकार ऊंचा रहेगा जैसे अभी तक है !यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए परम आवश्यक है !