दर्द की शहनाईयां

NewsBharati    11-Sep-2020 13:36:23 PM   
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दर्द क्या है? दर्द अनुभूति है, ठीक उसी तरह जैसे हमें खुशी की अनुभूति होती है । दोनों में फर्क बस इतना सा है कि खुशी हमारे जीवन में लंबे समय तक याद रहती है, जबकि दर्द को हम जल्द भूलना चाहते है। दर्द की शहनाईयों में वह करुण संगीत के सुर होते है जो बार बार हमारे दिमाग में कौंधते है। हम खुशी को जल्द भूल जाते है पर पता नहीं दर्द का स्वभाव ऐसा है कि वह हमें बार बार याद आता है। 
 
दर्द भावनाओं की पराकाष्ठा है, क्योंकि व्यक्ति के जीवन में जैसे खुशी के कई कारण है वैसे ही दर्द के भी कई कारण है। कारण कुछ भी हो दर्द अपना प्रभाव काफी लंबे समय तक छोड़ता है और उसकी समय के साथ किसी भी प्रकार की दोस्ती नहीं होती, अगर दोस्ती होती तो कितना अच्छा होता। व्यक्ति समय के साथ सबकुछ भूल जाता। दर्द अपने शाश्वत भाव के साथ आपका साथ निभाता है आप ऊपरी मन से उससे छूटकारा जरुर पा लेते है, परंतु दर्द शहनाईयां जब तक सुनाई दे ही जाती है। 
 
दर्द की सीमा नहीं दर्द की ऊँचाई और गहराई भी नहीं है। क्योंकि, दर्द अपने आप में पूर्णता लिए है और यह पूर्णता किसी भी व्यक्ति के भावनात्मक धरातल को भेदकर वहाँ पर अक्षुण्ण भाव से पड़ी रहती है। दर्द को समझने के लिए दर्द का अनुभव होना जरुरी है, इसके बाद ही पता चलता है कि दर्द कभी मीठा हो सकता है क्या? दर्द के शाश्वत भाव में वह सबकुछ है जिससे व्यक्ति का स्वभाव बनता है। यही कारण है कि खुशी की इससे किसी भी प्रकार की तुलना नहीं की जा सकती। क्योंकि, खुशी में दर्द नहीं जबकि दर्द में अलग तरह का मीठापन हो सकता है। 
 
दर्द की अनुभूति होते ही व्यक्ति भावनात्मक रुप से दर्द के आधीन हो जाता है। अब सबकुछ दर्द पर निर्भर है वह व्यक्ति को कैसी भावनाओं से परिचय करवाएँ। दर्द व्यक्ति को आक्रांता बना सकता है, दर्द बगावत करवा सकता है और दर्द व्यक्ति को खत्म भी कर सकता है। क्योंकि, एक बार दर्द का होने के बाद व्यक्ति पर पूर्ण रुप से दर्द का ही कब्जा हो जाता है। दर्द को अपने साथ रखना व्यक्ति की मजबूरी नहीं आदत बन जाती है। दर्द से रिश्ता कोई नहीं जोड़ना चाहता पर दर्द की अनुभूति किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती। इस कारण दर्द से परिचय होने पर परेशान न होना और उसके कान में हौले से बता देना कि खुशी से आपकी दोस्ती ज्यादा गाढ़ी है।

अनुराग तागड़े

सत्व से एक मनस्वी कलाकार मगर पेशे से पत्रकार अनुराग तागड़े पत्रकारिता के साथ-साथ संगीत के क्षेत्र में भी भारी प्रशंसा अर्जित कर चुके हैं। एम.बी.ए की डिग्री हासिल करने के बाद कई राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में उनका 18 सालों का कार्यानुभव रहा है। दैनिक भास्कर, नई दुनिया, सुबह सवेरे जैसे अखबारों से पत्रकार एवं संपादक के रुप में वे जुड़े रहे हैं। वह हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में एक वॉइस-ओवर कलाकार और अनुवादक भी हैं।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में व्हायोलीन वादन के लिए उन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त है ।अमरीका की फ़ोर्ड फाउंडेशन द्वारा उन्हें वॉइस-ओवर के क्षेत्र में भी सम्मानित किया जा चुका है। पत्रकारिता के क्षेत्र में वे मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नारद सम्मान से भी पुरस्कृत रहे हैं! कला, वाणिज्य और व्यापार , अध्ययन एवं अध्यात्म में उनकी विशेष रुचि है।