एकात्म मानववाद का दर्शन आज भी प्रासंगिक

NewsBharati    25-Sep-2020 17:56:32 PM   
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पं. दीन दयाल उपाध्याय अति सामान्य दिखने वाले इस महान व्यक्तित्व में कुशल अर्थचिंतक, संगठक, शिक्षाविद्, राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता, लेखक आदि अनेक प्रतिभाएं थी। वह प्रखर राष्ट्रवादी, चिंतक और बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। हालांकि जब उनकी चर्चा होती है तो ज्यादा जाेर उनके संगठन काैशल काे दिया जाता है। भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले पं. दीन दयाल उपाध्याय जी का विचार दर्शन आज भी प्रासंगिक है।
 
आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी व स्वावलंबन उनके मूलचिंतन में था। देश की अर्थव्यवस्था को समावेशी विकास से जोड़ने की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया। वह मात्र धनार्जन और उपभोग में विश्वास नही करते थे। दीनदयाल जी स्वदेशी और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था में विश्वास करते थे, वह देश की अर्थव्यवस्था में स्वदेशी पूँजी, स्वदेशी तकनीक और श्रम का अधिक से अधिक प्रयोग करने के पक्षधर थे। समतामूलक समाज की कल्पना करते हुए उन्होंने कहा था, कि वितरण इस प्रकार होना चाहिए कि रोटी, कपडा, मकान, पढ़ाई और दवाई ये पांच आवश्यकताएं प्रत्येक व्यक्ति की पूरी होनी ही चाहिए। जिसे आज लागू करने का कार्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है।
 
पं0 दीन दयाल उपाध्याय ने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। उनका मानना था कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नही, बल्कि भारत की संस्कृति है। उन्होंने एकात्म मानववाद से राजनीतिक और समाज से जोड़ने की बात कही। पंडित दीनदयाल जी का एकात्म मानववाद और अंत्योदय का सिद्धांत आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। समग्र और समावेशी विकास के लिए उनकी दृष्टि अतुलनीय थी। दीनदयाल जी के विचार आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

R L Francis

R.L. Francis, a Catholic Dalit, lead the Poor Christian Liberation Movement (PCLM), which wants Indian churches to serve Dalits rather than pass the buck to the government. The PCLM shares with Hindu nationalists concerns about conversion of the poor to Christianity. Francis has been writing on various social and contemporary issues.