विश्व को जगाने के लिए 'वन ग्रीन प्लॅनेट’ संगठन का महत्वपूर्ण काम

NewsBharati    06-Jan-2021 14:28:04 PM
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विश्व के मांसाहार मै आधा मांसाहार यह गोमांस का है और उसमे आधा गोमांस कि आपूर्ति भारतीय गोवंश से कि जाती है । विश्व के कोनसे भी भाग मै 'गाय यह गोमाता' है इसलिए गोमांस छोड़ने कि इच्छा नहीं है । मगर गोआग से कुछ लाख एकड़ मै यह प्रयोग साबित हुए है । उस वजह से गोविज्ञान यह अछे जीवन के लिए पर्याय है और कोरोना के और उसी तरह आगे जाने वाले ऐसे संकटों के लिए वह पर्याय है यह हम दावे के साथ कह सकते है ।

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इस विषय का सिर्फ भारत इके लिए ही सोच जाए तो अपने देश मै सदियों से ही गाय के प्रति आदरभाव है । स्वतंत्रता आंदोलन मै स्वतंत्रता के बाद के पहला लोक निर्माण का कार्य ऐसा उल्लेख महात्मा गांधी जी ने भी किया था, इसलिए संविधान, विधान-सभा इनके स्तर पर यह विषय गोरक्षण के नाम से परिचित था । उसके बाद के पचास साठ साल मै यह विषय एक तरफ कसाईखाने के बाहर गोरक्षण के मांग के लिए आंदोलन और दूसरी तरफ भारत विश्व का सबसे अधिक गोमांस निर्यात करने वाला और उस वजह से विदेशी चलन देने वाला देश ऐसे तरीके से उल्लेख किया गया । विश्व का हर एक देश ऐसा मांस निर्यात करने वाला या आयात करने वाला देश यहाँ पे कहीं न कहीं है ही ।
 
मगर पिछले पचीस साल मै गोविज्ञान के विषय ने ऐसे दस कार्यक्षेत्रों मै काम कर के सफलता हासिल कि है कि, लोगजीवन के उन दस कार्यक्षेत्रों का खर्चा दस प्रतिशत पर आए है । भारत मै यह विषय जीस गति से फ़ैला उससे थोड़ी काम गति से भी पूरे विश्व मै फैला फिर भी वह अंतर को भरा जा सकता है । गोआधारित खेती और गोवैद्यक यह विषय किसी न किसी वजह से परिचित थे । मगर अब शहर के आजूबाजू रहने वाली कुछ लाख मेट्रिक टन बदबूदार विषारी गंदगी इससे देश के प्राकृतिक गैस ईंधन को भी विकल्प देना, निर्माण इसस कार्यक्षेत्र मै भी उतना ही प्रभाव दिखने लगा है ।
 
फिर भी अभी गोविज्ञान यह मासेस मूवमेंट हुई नहीं है । वह क्लासेस मूवमेंट ही बन के रह गई है । मगर इसकी उपयोगिता विश्व के महामारी के रोग का मुकाबला करने के लिए अपरिहार्य है, यह जब विश्व को समझेगा, तब अपने आप ही मासेस मूवमेंट बनने वाली है । कोई एक चीज अगर मासेस मूवमेंट बनेगी, ऐसा आशावाद रखने मै कोई हरकत नहीं, ऐसी सद्भावना से यह विधान कर नहीं रहा हूँ ।धारित खेती से दस प्रतिशत से तीस प्रतिशत इतने काम खर्चे मै तीन चार तह से अधिक परिणाम देने वाली जैविक खेती है, यह बात अगर हजारों उदाहरण के साथ आगे आए तो विश्व अपनाएगा । पिछले दस पंढरह साल के प्रयो