मनुष्य जीवन में कर्म के प्रकार

NewsBharati    01-Dec-2025 16:17:27 PM
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बहुत संघर्षों के बाद जीव को मनुष्य योनि प्राप्त होती है और इस योनि का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए भवसागर के आवागमन से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति ! परंतु कर्म फल को भोगने के लिएजीवजीवन भरण के भंवर में पड़ा रहता है !


karma


संसार में केवल मनुष्य योनि को विवेक प्राप्त है जिसके द्वारा वह है मोक्ष के मार्ग पर चल चलकरभवसागर से मुक्ति प्राप्त कर सकता है जिसे मोक्ष कहते हैं ! मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है कर्म फल जिसके लिए भगवान ने स्वयं रामचरितमानस में कहा है कि- कर्म प्रधान विश्व कर राखा ! जो जस करही तसही फल चाखा !! धर्म शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को कर्म फल को भोगना पड़ता है चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों ना हो !

दशरथ जी ने घोर तपस्या के बाद भगवान राम को पुत्र रूप में प्राप्त किया था ! परंतु एक बार शिकार खेलते हुए उन्होंने भूलावे के कारण श्रवणकुमार की हत्या कर दी थी ! जिसके बाद श्रवण कुमार के पिता ने उन्हें श्राप दिया था कि जिस प्रकार मैं पुत्र मृत्यु के कारण प्राण त्याग रहा हूं उसी प्रकार एक दिन तुम भी पुत्र के वियोग में प्राण त्यागोगे और ऐसा ही हुआ ! जब भगवान राम बन गए तो पुत्र वियोग में दशरथ जी के प्राण चले गए !इसी प्रकार महाभारत में द्रोपदी पांच शक्तिशाली वीरों की पत्नी थी ! परंतु एक बार उसने दुर्योधन का मजाक उड़ाया था और उसी के परिणाम स्वरुप द्रोपती का चीर हरण भरी सभा में किया गया और उसके पति मूक दर्शक बनकर देखते रह गए ! इस प्रकार देख सकते हैं की कर्म फल से कोई नहीं बच सकता चाहे वह कितना ही शक्तिशाली क्यों ना हो !

उपरोक्त से स्पष्ट है कि जीवन में कर्म फल प्रमुख है ! कर्म तीन प्रकार के होते हैं - नियत, निष्काम और सकाम कर्म ! नियत कर्म वे कर्म है जिनको करना मनुष्य की प्रमुख जिम्मेदारी होती है जैसे कि परिवार का पालन पोषणतथा समाज के प्रतिकर्म इत्यादि ! सकाम कर्म वे हैं जिनको मनुष्य फल की इच्छा से करता है ! ज्ञानेंद्रिय आंख कान इत्यादि संसार का अनुभव करते हैऔर मन उसे प्राप्त करने की की इच्छा करता है ! जिसको प्राप्त करने के लिए मनुष्य उचित अनुचित कर्म करके उसे प्राप्त करने का प्रयास करता है ! इस प्रकार के फल का प्रतिफल मनुष्य को भोगना पड़ता है ! निष्काम कर्म का फल मनुष्य ईश्वर को समर्पित कर देता है ! इस प्रकार के कर्म का प्रतिफल ईश्वर मनुष्य को सर्वोत्तम रूप में मोक्ष प्राप्ति के द्वारा देता है !

इस प्रकार देख सकते हैं की निष्काम कर्म के द्वारा मनुष्य जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है ! इसलिए हर मनुष्य कोअपने नियत कर्म के साथ-साथ निष्काम कर्म भी करने चाहिए जिनके द्वाराउसे जीवन का परम लक्ष्य प्राप्त हो सकता है !