जम्मू कश्मीर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को सरकार पाकिस्तान के जुल्फीकार अली भुट्टो की तरह शहीद बनाने की कोशिश ना करें !

26 Oct 2020 12:18:04
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अगस्त 2019 में देश की लोकसभा मैं पारित हुआ कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाकर इस राज्य को देश के अन्य राज्यों की तरह विकास के लिए खोल दिया जाएगा ! तथा पारदर्शिता के द्वारा इस राज्य के सारे निर्णय भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के द्वारा लिए जाएंगे ! परंतु इस राज्य का इस प्रकार देश के अन्य राज्यों की श्रेणी में आना जम्मू कश्मीर के कुछ राजनीतिक घरानों तथा अलगाववादियों को पसंद नहीं आया ! क्योंकि यह लोग इन धाराओं के द्वारा ही इस राज्य को अपना बंधक बनाकर रखना चाहते थे ! जैसे कि 35A के अनुसार भारत के किसी अन्य स्थान का व्यक्ति पूरे राज्य में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता और ना ही कोई व्यवसाय कर सकता है ! इसी प्रकार धारा 370 के अनुसार इस राज्य की नागरिकता भी केवल इसी राज्य के मूल निवासियों को मिल सकती है और इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान के बहुत से प्रावधान यहां पर लागू नहीं हो रहे थे जिनके कारण इस राज्य में सरकारी धन की लूट तथा भ्रष्टाचार चरम पर था बाहर से निवेश ना आने के कारण यहां के नौजवान बेरोजगारी में असामाजिक तत्वों के हाथों में पढ़कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे थेइस स्थिति का फायदा उठाकर पड़ोसी देश पाकिस्तान की कुख्यात आई एस आई अपने एजेंटों के द्वारा इन नौजवानों को आतंकवाद जैसी देश विरोधी गतिविधियों में डाल रही थी ! ऐसी स्थिति में भारत की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस राज्य के विकास के लिए इन दोनों धाराओं को हटाकर इस राज्य में विकास की बयार बहाने का संकल्प किया और अब इस राज्य में धीरे-धीरे विकास अपने कदम बढ़ाने लगा है ! परंतु यह सब इस राज्य को अपनी जागीरदारी समझने वाले अब्दुल्ला मुफ्ती और गिलानी जैसे परिवारों को रास नहीं आ रहा है ! क्योंकि इसके द्वाराएक प्रकार से इनकी राजनीतिक सामंत शाही खत्म हो गई है और इनका शासन एक प्रकार से समाप्त हो गया है ! इसलिए फारूक अब्दुल्ला ने देश के सबसे बड़े दुश्मन चीन से भी मदद की गुहार इन दोनों धाराओं को दोबारा वापस लाने के लिए लगाई है ! तथा वहीं पर महबूबा मुफ्ती ने नजरबंदी से बाहर आते ही कसम खाई है कि जब तक वह धारा 370 और 35A रूपी कश्मीर के पुराने झंडे को वापस नहीं ले आएंगी तब तक वह देश के राष्ट्रीय ध्वज को ना तो लहराएंगे और ना ही इसे हाथ लगाएंगे और ना ही सम्मान करेंगे ! एक प्रकार से उन्होंने भारत की गरिमा और इसके स्वाभिमान को ललकारा है ! फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के इस प्रकार के बयान और हरकतें पूरी तरह देश विरोधी गतिविधियों की परिभाषा में आती हैं ! क्योंकि देश का झंडा देश की गरिमा होता है जम्मू कश्मीर की राजनीतिक विरासत पर ज्यादातर इन्हीं दोनों परिवारों का कब्जा रहा है इसलिए यह अपने स्वार्थ के लिए देश के प्रजातंत्र और अखंडता को भी दांव पर लगाने के लिए तैयार हैं !
 
केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पाकिस्तान की उस गलती से जिसमें जियाउल हक से पूरे विश्व ने कहा था कि भुट्टो को फांसी मत लगाओ इससे वह शहीद हो जाएगा परंतु अपनी जिद पर अड़ कर जियाउल हक ने उसे फांसी पर लटका दिया जिसके बाद भुट्टो शहीद की श्रेणी में आ गए तथा उनके बाद भुट्टो परिवार अभी तक सत्ता मैंरहा है या सत्ता के लिए शान से दावेदारी कर रहा है ! जबकि एक समय पर जुल्फिकार अली भुट्टो पर भ्रष्टाचार इत्यादि के बहुत से आरोप थे ! परंतु फांसी के द्वारा उनके सारे आरोप धूल गए और सहानुभूति की लहर में यह परिवार अब पाकिस्तान का एक माननीय परिवार हो गया है ! यह भारतवर्ष में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्यारों के द्वारा हत्या किए जाने के बाद भी हुआ था ! इसी प्रकार यदि फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर सरकार कोई कड़ी कार्रवाई करके इन्हें देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण जेल में डाल देती है तो यह भी शहीद की तरह पूरे जम्मू कश्मीर में सहानुभूति बटोर कर दोबारा से दूध के धुले बन जाएंगे !इस प्रकार इस राज्य के लोग इनके सारे भ्रष्टाचार और देश विरोधी गतिविधियों को भूलकर इन्हें दोबारा चुनावों में सत्ता सौंप देंगे जो इनके परम हित में होगी !किस लिए यह जानबूझकर सरकार को चुनौतियां दे रहे हैं जिससे इन्हें सहानुभूति बटोरने का मौका मिल सके ! इस को ध्यान में रखते हुए देश की केंद्र सरकार इनके विरुद्ध भी कोई सख्त कदम नहीं उठा रही है !पाकिस्तान के उपरोक्त उदाहरण को ध्यान में रखते हुए देशवासीइनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही ना करने को सरकार की कमजोरी ना समझें ! बल्कि केंद्रीय सरकार एक सोची-समझी रणनीति के द्वारा इन दोनों की सच्चाई पूरे देश के सामने आने देना चाहती है ! जिसके द्वारा इन दोनों के असली चेहरे और देश विरोधी हरकतें देश के सामने खुले रूप में आ सके ! इन दोनों ने पिछले 1 साल में इन दोनों धाराओं कोवापस लाने के लिए तरह तरह के राजनीतिक हथकंडे अपनाने की कोशिश की है जैसे अलगाववादियों द्वारा पाकिस्तान की मदद मांगना तथा अब फारूक अब्दुल्ला द्वारा चीन से उस वक्त मदद मांगना जब भारत और चीन के बीच में युद्ध के आसार रोजाना बन रहे हैं ! जब पूरा देश इस समय चीन के साथ युद्ध की तैयारी कर रहा है ऐसी स्थिति में यदि युद्ध होता है तो हो सकता है अपने स्वार्थ के लिए फारूक अब्दुल्ला चीन की हर प्रकार की मदद करेंजैसे कि अपने बयानों के द्वारा यह अक्सर पाकिस्तान की करते रहते हैं चाहे इससे राष्ट्रीय हितों की हानि हो इससे उन्हें परवाह नहीं ! 
 
अपने इन देश विरोधी इरादों को पूरा करने के लिए इन दोनों ने अपने राजनीतिक प्रभाव के द्वारा जम्मू कश्मीर के 6 राजनीतिक दलों को मिलाकरएक गठबंधन तैयार किया है !जिसे गुप कार समूह के नाम से जाना जाता है ! यह समूह राज्य के विशेष दर्जे को वापस लेने के लिए उपयुक्त निर्णय लेगा ! इस समूह में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेसपार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी और जम्मू कश्मीर आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे 6 दल शामिल है इसको गूपकार समूह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इसका गठन फारूक अब्दुल्ला के उस आवास पर हुआ था जो श्रीनगर की गु पकाररोड पर स्थित है ! फारूक अब्दुल्ला और महबूबा का इस प्रकार का व्यवहार तो समझ आता है परंतु देश की राष्ट्रीय पार्टी कॉन्ग्रेस जो आजादी से लेकर 2008 तक देश की सत्ता में रही उसका इस प्रकार के समूह में हिस्सा लेना कल्पना से परे है ! उसी प्रकार कम्युनिस्ट पार्टी जो राष्ट्रवादी होने का दावा करती है उसका भी इस समूह आना उनके असली चेहरे को उजागर करता है ! कम्युनिस्ट पार्टी समय-समय पर इस प्रकार की हरकतें करती रही है जैसे कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के समय प्रदर्शनकारियों के साथ सहानुभूति रखना तथा अक्सर देश विरोधी तत्वों की आवाज में आवाज मिलाना ! जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने तो यहां तक कहा है कि भविष्य में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में उनका दल भाग लेगा या नहीं इसका फैसला सामूहिक रूप से किया जाएगा ! इसके अलावा राज्य के तमाम अहम मुद्दों पर इन सभीदलों ने मिलकर रणनीति बनाकर एक साथ चलने का फैसला लिया है ! जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के समूह का राज्य की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा और वे दल केंद्र पर कितना दबाव डाल पाएंगे यह अभी निश्चित रूप सेइसका अंदाजा लगाना मुश्किल होगा परंतु अब तक के आंकड़ों के अनुसार अब देश की जनता इनको पहचान कर इनके बहकावे में नहीं आएगी ! 
 
जिस प्रकार नागरिकता संशोधन कानून को कड़ाई से लागू किया गया है उसी प्रकार भारत की सरकार और देश के समस्त राष्ट्र प्रेमी नागरिकों और खासकर जम्मू कश्मीर की जनता को इन कश्मीर के राजनीतिक घरानों को उसी प्रकार सबक सिखाना चाहिए जिस प्रकार देश से सामंत शाही और जागीरदारी प्रथा को हटाया गया है ! देश का प्रजातंत्र देश के सभी नागरिकों को सरकार में भागीदारी का अधिकार देता है ! परंतु पुरानी सामंत शाही के चलते हमारे देश के कुछ राजनीतिक घराने इस प्रकार के ताने-बाने बनते हैं जिनसे सत्ता पर अक्सर इन्हीं का अधिकार रहे !परंतु अब मीडिया की सक्रियता और सजगता से देश की जनता को सच्चे अर्थों में देश में प्रजातंत्र को बहाल करना चाहिए और पश्चिमी देशों की तरह उपयुक्त व्यक्ति को चुनकर सत्ता सो फनी चाहिए ! अन्यथा पूरे समय राजनीतिक विशेषज्ञ यही तलाश करते रहेंगे कि वह क्या कारण है जिनकी वजह से हमारा देश पश्चिमी देशों की तरह एक स्वस्थ प्रजातंत्र नहीं बन पाया है !
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