देश की राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूती के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों द्वारा की गई पहल

01 Oct 2022 11:20:34
देश की राष्ट्रीय सुरक्षा का सीधा संबंध देश के समाज के साथ होता है ! यदि देश के समाज में सामंजस्य एवं एकता होती है तो उस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा उतनी मजबूत होती है, इसका उदाहरण आजकल रूस और यूक्रेन के युद्ध में देखा जा रहा है ! छोटा सा देश यूक्रेन अपने मजबूत समाज के द्वारा इतने बड़े रूस को धूल चटा रहा है ! वहीं पर हमारे देश में भ्रामक प्रोपेगेंडा और देश के दुश्मनों के द्वारा फैलाई हुई अफवाहों के द्वारा सांप्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसके द्वारा देश के दो बड़े समुदाय हिंदू और मुसलमान के बीच में दंगे शुरू हो जाते हैं!जिसका प्रभाव सीधा-सीधा देश की सामाजिक व्यवस्था पर पड़ता है जिसके कारण देश की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है ! और इस स्थिति में देश की सबसे बड़ी पूंजी उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्रभावित होती है ! आज सूचना के युग में देश का स्वरूप और उसकी आंतरिक व्यवस्था की स्थिति कुछ ही क्षणों में पूरे विश्व में प्रसारित हो जाती है ! जैसा की 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद देश में देखने में आया ! अनजाने कारणों से सामाजिक तनाव और धरना प्रदर्शन शुरू हो जाते हैं ! इस सबके कारण संप्रदायों के बीच में आपसी विश्वास और भारी चारे की कमी हो जाती है और इस प्रकार देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर पड़ता है !

इसको देखते हुए मुस्लिम समाज के पांच बुद्धिजीवियों और प्रगतिशील विचार वालों-- जिनमें दिल्ली के भूतपूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग , देश केभूतपूर्व मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस वाई कुरैशी, सेना के भूतपूर्व लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उद्दीन शाह और सैयद शेरवानी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रमुख श्री मोहन भागवत से उनके दिल्ली स्थित कार्यालय पर मुलाकात की जिससे दोनों समुदायों के बीच उत्पन्न गलतफहमी यों को दूर किया जा सके ! यह मुलाकात इन बुद्धिजीवियों की पहल पर थी शिष्टमंडल का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समाज में व्याप्त असुरक्षा और बढ़ते अविश्वास के बारे में संघ प्रमुख को अवगत कराना था ! इन्होंने संघ प्रमुख को बताया कि अक्सर देश का बहु संख्यक हिंदू समाज पूरे मुस्लिम समाज को जिहादी और पाकिस्तान समर्थक समझता है ! इससे मुस्लिम समाज के लोगों का सामाजिक और आर्थिक विकास बुरी तरह से प्रभावित हुआ है ! जिसके कारण मुस्लिम समाज में गरीबी और असुरक्षा व्याप्त है !

RSS chief Mohan Bhagwat Muslim scholars


इनकी पूरी बात सुनने के बाद भागवत जी ने संघ की मुख्य धारणा और विचारों से इन्हें अवगत कराया ! भागवत जी ने बताया कि संघ के अनुसार हिंदुत्व में भारत के सभी समुदायों को समाहित करने के लिए स्थान है ! क्योंकि भारत के सारे समुदायों की साझा संस्कृति है इसी के साथ साथ उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सर्वोपरि है और संघ पूरी तरह से संविधान में विश्वास रखकर संविधान के अनुसार ही अपनी गतिविधियां चलाता है ! इसको देखते हुए उन्होंने इस भ्रांति का जोरदार शब्दों में खंडन किया कि संघ भारत के संविधान को बदलना चाहता है और इसके अलावा उन्होंने इसका भी खंडन किया कि संघ मुस्लिम समाज के लोगों को भारत की नागरिकता से वंचित करना चाहता है !

इन बुद्धिजीवियों की शंकाओं को दूर करके भागवत जी ने हिंदू संप्रदाय के कुछ संवेदनशील मुद्दों के बारे में इन को अवगत कराया ! अक्सर इन्हीं शंकाओं के कारण देश में सांप्रदायिक दंगे और देश का माहौल खराब होता हैं ! इनमें प्रमुख हैं गौ हत्या, तथा हिंदुओं के धर्म स्थानों को अपवित्र और इन में तोड़फोड़ किया जाना ! इन पर इन बुद्धिजीवियों ने गौ हत्या पर सफाई देते हुए बताया कि इस पर ज्यादातर पूरे देश में इसके विरुद्ध कानून पारित है, जिन राज्यों में ऐसा कानून नहीं है वहां पर भी मुस्लिम समाज को हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए गौ हत्या नहीं करनी चाहिए और इसका संदेश हम इन राज्यों में पहुंचाएंगे जिससे कि हिंदुओं की भावनाओं को ठेस न लगे !

इस विचार गोष्ठी में मुस्लिम बुद्धिजीवियों द्वारा उठाया यह मुद्दा कि ज्यादातर हिंदू समाज के लोग मुस्लिमों को जिहादी और पाकिस्तानी समर्थक समझते हैं ! इस सोच के बारे में यह देखा गया है कि हालांकि मुस्लिम कट्टरपंथ तथा जेहादी सोच के लोग संख्या में ज्यादा नहीं है परंतु फिर भी जब भी इस सोच के तत्व बहुसंख्यक हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश करते हैं तो उस समय कोई भी मुस्लिम बुद्धिजीवी या नेता ना तो इसकी आलोचना करता है और ना ही इनका बहिष्कार करता है ! इसके कारण इन तत्वों को पूरे मुस्लिम समाज की मौन स्वीकृति प्राप्त हो जाती है और इस मौन स्वीकृति से इनका मनोबल बढ़ जाता है ! जिसके बाद ये और बढ़ चढ़कर ऐसी गतिविधियों और ज्यादा करने लगते हैं ! इसी के साथ साथ देखने में आता है कि जब जब भारत पाकिस्तान के बीच खेलों के मैच होते हैं तब कभी-कभी मुस्लिम समाज के दर्शक पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हैं !

ऐसी स्थिति में ऐसा प्रतीत होने लगता है कि पूरा मुस्लिम समाज इन समाज और देश विरोधी हरकतों के को मौन स्वीकृति दे रहा है ! इस मौन स्वीकृति का मुख्य कारण है कि यदि कोई मुस्लिम इन हरकतों की आलोचना करेगा तो उसे मुस्लिम उलेमाओं के खतरों का सामना करना पड़ेगा ! और यदि कोई मुस्लिम राजनेता ऐसा करता है तो उसे अपने वोट बैंक को खोने का डर लगने लगता है ! इसी कारण सरे आम नागरिक संशोधन कानून पर दिल्ली के साइन बाग और देश के अन्य भागों में धरने प्रदर्शन चलते रहे परंतु किसी मुस्लिम नेता या प्रमुख ने मुस्लिमों की इस गलतफहमी को दूर करने की कोशिश नहीं की यह कानून देश के नागरिक मुसलमानों के लिए नहीं है बल्कि घुसपैठियों के लिए ही है ! जिससे भारत में घुसपैठ पर रोक लगाई जा सके और भारत की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सके !

आज के समय में 2 देशों में युद्ध सीमाओं के स्थान पर देश के अंदर दंगों और समाज में असंतोष और अनजाने डर की भावना के रूप में लड़ा जाता है ! इस युद्ध के लिए देश का समाज ही मुख्य रण क्षेत्र होता है ! इसके लिए दुश्मन पहले सोशल मीडिया के द्वारा समाज में तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाता है और देश की सरकार को मुस्लिम विरोधी बताकर मुस्लिम समाज में असुरक्षा और भय की स्थिति पैदा करता है ! इसके बाद इन भ्रांतियों को सिद्ध करने के लिए वह अपने पाले हुए एजेंटों जैसे पीएफआई के द्वारा जमीन पर असामाजिक गतिविधियां करा कर समाज मैं तनाव और दंगे फसाद करा कर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करता हैं ! इस प्रकार जो उद्देश्य सीमाओं पर भयंकर युद्ध के द्वारा पाया जाता था उसे वह अपने देश में बैठकर इस हाइब्रिड युद्ध के द्वारा पाने की कोशिश करता हैं ! इसमें दुश्मन का मुख्य हथियार देश के समुदायों के बीच अविश्वास तथा असुरक्षा की भावना होती है !

उपरोक्त कारणों से उत्पन्न स्थिति में ज्यादातर मुस्लिम समाज के लोगों में असुरक्षा तथा अनजाने डर की भावना पैदा होती है ! देश के हिंदू समाज द्वारा इन्हें जिहादी या पाक समर्थक माननीय का मुख्य कारण यही है कि मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी और प्रगतिशील सदस्य इन गतिविधियों की ना तो भर्त्सना करते हैं और ना ही इन पर लगाम लगाने की कोशिश करते हैं ! इसको देखते हुए देश के बहुसंख्यक हिंदुओं में मुस्लिमों के प्रति इस प्रकार का संदेह घर कर जाता है !

इसको देखते हुए अब समय आ गया है जब इन गिने-चुने तत्वों को देश के दोनों समाजों के बीच दुश्मनी और अविश्वास बढ़ाने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए ! इसलिए सर्वप्रथम दुश्मन के द्वारा चलाए गए प्रोपेगेंडा युद्ध पर नियंत्रण किया जाना चाहिए !इसके लिए जब भी कोई सोशल मीडिया इस प्रकार की हरकत करता है या अपनी सीमाएं लांगता है तो उसे देश में ब्लॉक किया जाना चाहिए और उसके विरुद्ध उचित कार्यवाही भी होनी चाहिए 1 देखा गया है पश्चिमी देशों में जब भी कोई सोशल मीडिया देश विरोधी गतिविधि का प्रसारण करता है तो उस देश की सरकार उस मीडिया चैनल को अपने देश में प्रतिबंधित कर देती है या उनको आर्थिक दंड देती है !

इसलिए हमारे देश में भी सर्वप्रथम ऐसे मीडिया चैनलों पर लगाम लगाने के कार्रवाई शीघ्र अति शीघ्र करनी चाहिए ! इसके अतिरिक्त समाज विरोधी तत्वों की आर्थिक सहायता पर लगाम लगाने के लिए विदेशों से आने वाले धन पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए ! जैसा कि पीएफआई के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही ज्ञात हुआ है कि पीएफआई को बड़ी मात्रा में धन विदेशों से हवाला और अन्य साधनों से पहुंच रहा था ! जिसका प्रयोग करके पीएफआई दिल्ली के साइन बाग धरने का खर्चा उठा रही थी इसके अतिरिक्त इस विदेशी धन से देश में तरह-तरह के सांप्रदायिक झगड़े कराती है ! और जब भी देश में कोई संवेदनशील समय जैसे आजकल हिंदू समाज का धार्मिक पर्वों का समय चल रहा है ऐसे समय में यह ऐसी गतिविधियां करते हैं जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट लगे और दंगे शुरू हो जाएं |

इस सब को देखते हुए मुस्लिम बुद्धिजीवियों की इस पहल को आगे बढ़ाया जाना चाहिए और समय-समय पर दोनों समुदायों के बीच में उत्पन्न विभिन्न भ्रांतियों और संदेह को दूर करने के लिए इसी प्रकार का विचारविमर्श समय-समय पर होना चाहिए जिससे दोनों समाजों के बीच में किसी प्रकार की सुरक्षा और भय का वातावरण उत्पन्न ना हो ! भारत के मूल निवासियों को हमेशा याद रखना चाहिए कि भारत की प्राचीन सभ्यता में वसुधैव कुटुंबकम की भावना है, जिसका तात्पर्य है कि पूरा विश्व एक कुटुंब है ! तो इसी भावना के अनुसार हमें भारत के सभी समुदायों को मिलाकर एक कुटुंब की तरह व्यवहार करना चाहिए ! जिससे भारत में एक मजबूत समाज बनेगा और इस प्रकार भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा भी उतनी ही मजबूत होगी !
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