भारत चीन सीमा पर तनाव के गलवान के स्तर तक बढ़ने के पीछे का रहस्य

28 Nov 2022 15:59:50
लोकसभा में देश के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर पर दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेना की उत्तरी कमान के जीओसी- इनसी लेफ्टिनेंटजनरल उपेंद्र द्विवेदी ने देश को विश्वास दिलाते हुए कहां था कि जब भी भारत सरकार आदेश देगी तभी भारतीय सेना पाक अधिकृत कश्मीर को वापस भारत में मिला देगी ! जनरल दिवेदी के इस बयान पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देश से आने लगी और इन्हीं में से एक फिल्म अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने जनरल द्विवेदी के बयान का मजाक उड़ाते हुए ट्विटर पर लिखा कि क्या यह गलवान की तरह ही होगा ! इस ट्वीट में यह कहने की कोशिश की थी कि गलवान में तो आप कुछ नहीं कर सके और बात करते हैं पाक अधिकृत कश्मीर लेने की !

upendra dwivedi


बाद में चड्ढा का यह ट्वीट देश के मीडिया में एक चर्चा का विषय बना !शायद चड्ढा यह इसलिए कह रही थी क्योंकि उन्हें और देशवासियों को गलवान की असलियत के बारे में अभी तक पूरी जानकारी नहीं है ! इसमें पूरे देश को सिर्फ यही पता है कि भारतीय सेना के 20 सैनिक और उनके कमान अधिकारी गलवान में वीरगति को प्राप्त हो गए थे परंतु उन्हें यह पता नहीं है कि इस मुठभेड़ में चीन के कितने सैनिक मारे गए थे इस झड़प में भारतीय सेना विजई रही थी ! यह इसलिए हुआ है क्योंकि चीन में प्रेस की आजादी नहीं है और वह ऐसी कोई खबर प्रेस में नहीं देता जिससे कि चीन के मनोबल पर प्रभाव पड़े इसलिए उसने अपने सैनिकों के मारे जाने और भारत द्वारा पैंगोंग झील के आसपास की पहाड़ियों पर भारतीय सेना द्वारा कब्जे की खबरों को अपनी प्रेस में सार्वजनिक नहीं किया था परंतु अब खबरें आ रही हैं कि चीन के ग्गलवान झड़प में तीन अफसर और 100 सैनिक मारे गए थे !

यहां पर यह विचारणीय है कि आखिर जब भारत और चीन के बीच में जब तरह-तरह की वार्ताएं चल रही है तब ऐसा क्या हो गया की चीन बार-बार भारत के विरुद्ध आक्रमक मुद्राओं में बढ़ोतरी 2020 के आसपास कर रहा था और चीन की इन हरकतों के कारण ही गलवान मैं दोनों सेनाओं के बीच में यह झड़प हुई ! 1962 युद्ध के बाद भी भारत चीन के बीच सीमा पर छुटपुट झड़पें चलती रही और उसी समय 1967 में चीन ने सिक्किम के नाथूला सेक्टर में एक हमला किया ! जिसमें उसका उद्देश्य सिक्किम में घुसकर सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करना था ! जिससे वह भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों का संबंध सड़क मार्ग से भारत के मुख्य भाग से काटना चाहता था ! क्योंकि पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों का जमीनी संपर्क केवल इसी सिलिगुड़ी कॉरिडोर के द्वारा है ! और इसके बाद वह धीरे-धीरे इन राज्यों को भारत से अलग करके उन पर कब्जा करना चाहता था ! परंतु भारतीय सेना ने मेजर जनरल सगत सिंह की कमान में चीन के इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया ! जनरल सगत सिंह ने स्वयं अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के साथ रहकर चीनी सेना को पीछे हटने पर विवश किया !

हालांकि उस समय भारत सरकार चीन को इस प्रकार का जवाब देने के पक्ष में नहीं थी ! परंतु फिर भी जगत सिंह ने इसकी परवाह न करते हुए चीन को उसी की भाषा में जवाब दियाऔर चीन को दिखा दिया कि यह 62 का भारत नहीं है ! इसके बाद भी चीनी सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ के प्रयास करती रही ! इसको देखते हुए भारत सरकार ने 1975 में चीन की सीमा की रक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय अध्ययन ग्रुप का गठन किया, जिसमें संचार माध्यमों जैसे सड़क विभाग के प्रतिनिधि शामिल थे ! इस अध्ययन ग्रुप ने भारत चीन सीमा तक नेफा और लद्दाख क्षेत्रों को देश के मुख्य भाग से जुड़ने के लिए सड़कों तथा पुलों के निर्माण के लिए सुझाव दिए ! इसके अलावा सेना को मजबूत करने के लिए उत्तर पूर्वी सीमा के लिए एक स्ट्राइक कोर का भी सुझाव दिया गया इसमें आर्मर्ड के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां भी शामिल थी जिससे उत्तर पूर्व की सीमा पर अतिरिक्त सैनिक तथा टैंक इत्यादि शीघ्रता से तैनात किए जा सके !

इनके साथ साथ हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए इस सीमा के पास लद्दाख के चूसूल , डैम चौक दौलत बेग ओल्डी और अरुणाचल के फुकछु में हवाई पट्टी के निर्माण के सुझाव भी शामिल थे ! तत्कालीन केंद्र सरकार ने चीन की गतिविधियों को देखते हुए इन सुझावों को मानते हुए इन पर अपनी स्वीकृति शीघ्र प्रदान कर दी ! उस समय 90 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था भी सुधर रही थी इसलिए इन सीमा रेखा के इन सुझावों पर शीघ्रता से कार्रवाई होने लगी ! इस शीघ्र कार्रवाई के पीछे 1986 में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के सॉन्ग द्रोङ्ग चू मैं एक हेलीपैड बनाने का प्रयास भी शामिल था ! इसके बाद तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल सुंदर जी ने भारत सरकार से भारत चीन सीमा तक सड़क मार्गों तथा हवाई पट्टी यों के निर्माण के लिए रक्षा की दृष्टि से जोरदार अपील की और भारत सरकार को इन सुझावों को मानने के लिए राजी किया ! इस कदम के बाद लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में सीमा तक जरूरी सड़कों और सुरंगों का निर्माण हो चुका है ! इससे अब आवश्यकता पड़ने पर शीघ्रता से भारतीय सेना इन क्षेत्र में कार्रवाई करने में सक्षम है !

इसके बाद में सीमा की संवेदनशीलता को देखते हुए इन सुझावों पर शीघ्रता से कार्य शुरू हुआ और भारत की रक्षा तैयारियों को देखते हुए चीन के तेवर और भी सख्त होने लगे ! वह भारत की इन तैयारियों को देखते हुए पहले से भी ज्यादा आक्रामक हो गया ! इसके बाद सीमा पर चीन ने अपनी घुसपैठ और भी बढ़ा दी ! इसको देखते हुए भारत चीन के बीच में एक उच्च स्तर की बातचीत शुरू हुई और इस बातचीत के परिणाम स्वरूप 1996 में दोनों के बीच एक संधि हुई ! जिसके अनुसार दोनों देश की सेनाएं विश्वास बहाली के लिए कार्रवाई करेंगी और इसके लिए कुछनियम बनाए गए ! विश्वास बहाली के लिए इन नियमों के अनुसार एक कार्यप्रणाली बनाई गई जिसमें दोनों देश के गश्ती दल सीमा पर सेनाओं के बीच में नो मैंस लैंड कहीं जाने वाली भूमि पर बगैर हथियारों के ही गस्त करेंगे और अपने साथ गश्ती दल एक साइन बोर्ड लेकर चलेगा जिस पर दल का पूरा परिचय होगा ! इसके बाद 2005 तक दोनों देशों की सेना ने इस संधि के अनुसार आचरण किया परंतु 2005 के बाद चीन ने फिर दोबारा अपनी पुरानी घुसपैठ की गतिविधियां शुरू कर दी जिनमें 2013 में डेपसांग, 2014 में चूमार, 2017 में डोकलाम तथा 2019 में मैं पैगाग तासों की घुसपैठ की घटनाएं प्रमुख है !

इसके बाद भारत सरकार ने 2019 मेँ जम्मू कश्मीर मैं लागू धारा 370 और 35a को हटाते हुए इस राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करके इसे भारत के अन्य राज्यों की तरह बना दिया ! जिससे जम्मू कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय हो गया ! यह पाकिस्तान को रास नहीं आया क्योंकि इससे पाकिस्तान की गतिविधियां जम्मू कश्मीर राज्य में पहले की तरह नहीं चल सकती थी ! इसको देखते हुए पाकिस्तान ने चीन को भारत के विरुद्ध और भी ज्यादा उग्र रुख अख्तियार करने के लिएकहा ! चीन पाकिस्तान के साथ में अपने साझा आर्थिक गलियारे के समझौते के बाद पाकिस्तान की हर बात मानने के लिए मजबूर है ! इसलिए चीन ने भारत के विरुद्ध गलवान में एक सैनिक कैंप बनाने के प्रयास शुरू कर दिए ! जिस पर भारतीय सेना ने अपना प्रतिरोध जताया और इसी के लिए गलवान में जून 2020 में एक सैनिक मीटिंग होनी थी ! जिसके के लिए भारतीय सेना के 16 बिहार बटालियन की एक सैनिक टुकड़ी अपने कमान अधिकारी के साथ चीनी प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए गलवान में गई !
 
1996 की संधि के अनुसार भारतीय सैनिक निहत्थे थे परंतु अपनी धोखा देने की आदत के अनुसार चीनी सैनिक छुपाकर कटीले तार लगे हुए डंडे और लोहे की रॉड लेकर आए हुए थे ! जब दोनों सेनाओं के प्रतिनिधिमंडल आपस में बातचीत कर रहे थे उसी समय चीनी सैनिकों ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल पर डंडो से प्रहार करने शुरू कर दिए जिसका जवाब भारतीय सैनिकों ने बहुत बहादुरी से दिया और चीनी सैनिकों से डंडे छीन कर के उनके 100 सैनिकों और तीन अफसरों को धराशाई कर दिया ! इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 20 सैनिक और एक अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे ! इसके बाद भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिक कैंप को तबाह करते हुए उसके सैनिकों को वहां से भगा दिया था ! भारत में प्रेस की आजादी होने के कारण सेना के जवानों की वीरगति की खबर फौरन प्रेस और मीडिया में आ गई परंतु चीन में प्रेस की आजादी ना होने के कारण वहां के सैनिकों की मौत की खबरें प्रकाशित नहीं हुई ! चीन इस प्रकार की खबरों के द्वारा खबरों अपने देश के मनोबल को प्रभावित नहीं करना चाहता था, परंतु अब धीरे-धीरे खबरें आ रही है की चीन के 100 सैनिक गलवान में मारे गए थे ! इस झड़प के बाद में भारतीय सेना ने पैनकॉम झील के आसपास ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था जिनसे इस पूरे क्षेत्र पर निगरानी रखी जा सके और जो युद्ध की दृष्टि से ऐसे ठिकाने है जहां से दुश्मन की सेनाओं को आसानी से रोका जा सकता है !

इस प्रकार देखा जा सकता है जून 2020 में बलवान की झड़प में भारत ने विजय ही प्राप्त की थी और इसके बाद भारत अब इस क्षेत्र में ज्यादा प्रभावशाली और नियंत्रण की स्थिति में है ! इसके बावजूद भी नकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोग हमारे देश में गलवान झड़प और उरी सर्जिकल स्ट्राइक को शक की दृष्टि से देख रहे हैं और भारतीय सेना की क्षमता पर शक कर रहे हैं ! इसी के कारण रिचा चड्ढा ने गलवान का ताना देखकर भारत की क्षमता और उसकी सेना पर शक किया था ! परंतु बदली हुई स्थिति में भारतीय सैन्य शक्ति अब विश्व की महा शक्ति के रूप में स्थान बना चुकी है ! जिसने चीन का चारों तरफ से घेराव कर दिया है चाहे वह दक्षिणी चीन महासागर हो या सरहद पर लद्दाख क्षेत्र हो ! हर जगह भारतीय सेना चीन को कड़ा जवाब देने के लिए तैयार है और यह सब चीन भी भली-भांति जान चुका है ! इसलिए जून 2020 के बाद में चीन ने अब तक भारत के विरुद्ध कोई भी उकसावे की हरकत नहीं की है !
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