सेना में अल्पकालिक सैनिक सेवा या टूर ऑफ़ सर्विस पर विचार

08 Apr 2022 16:09:13
करोना के दौरान पूरे 2 साल तक सेना में सैनिकों की भर्ती पर रोक लगी हुई थी जिसके कारण सेना में सैनिकों की कमी महसूस की जाने लगी थी ! इस कमी को पूरा करने के लिए 2020 में थल सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवाने ने भारत सरकार के पास टूर ऑफ़ सर्विस नाम से अल्पकालिक सैनिक सेवा का प्रस्ताव रखा ! इसके अनुसार एक नौजवान भारतीय सेना में अल्पकालिक सेवा के लिए 3 या 5 साल के लिए भर्ती किया जाएगा जिसमें उसका प्रशिक्षण और सैन्य सेवा दोनों सम्मिलित होंगे ! सैनिक सेवा को पूरी करने के बाद उस सैनिक की योग्यता और क्षमता के अनुसार उसे पूरी सेवा करने का भी मौका देने का प्रावधान है परंतु इसमें केवल 50% सैनिकों को ही पूरी सेवा का अवसर प्राप्त होगा !इस तरह की सेवा का प्रावधान आजादी के समय से ही सेना में अधिकारियों के लिए है जिसे अल्पकालिक कमीशन के नाम से पुकारा जाता है अधिकारियों की इस प्रकार की भर्ती को 1965 से पहले इमरजेंसी कमीशन के नाम से जाना जाता था और उसके बाद से अब तक इसे शॉर्ट सर्विस कमीशन के नाम से पुकारा जाता है ! इसमें भी एक नौजवान को उसकी योग्यता के अनुसार सेना में अफसर के पद पर नियुक्त किया जाता है उसके बाद 5 साल की सेवा पूरी होने के बाद नौजवान की इच्छा और उसकी योग्यता के अनुसार उसे सेना में पूरी सेवा का अवसर दिया जाता है ! परंतु यह प्रावधान पहले सैनिकों के लिए नहीं था जो इस नए प्रस्ताव के अनुसार सैनिकों के लिए भी करने का विचार सरकार के पास विचाराधीन है !
 
सेना में अल्पकालिक सैनिक सेवा या टूर ऑफ़ सर्विस पर विचार

अक्सर इस प्रकार का प्रावधान पश्चिमी देशों की सेनाओं में और खासकरअमेरिका की सेना में है ! अमेरिका में तो कुछ समय पहले वहां के हर नागरिक को सेना के तीनों अंगों में से एक अंग में नौकरी करना जरूरी था ! इस प्रावधान से पश्चिमी देशों और अमेरिका में आम पब्लिक को सैन्य सेवा के अंतर्गत शारीरिक क्षमता को बढ़ाने और देश की सीमाओं पर देश की रक्षा करने का अवसर प्राप्त होता है ! इसलिए कहा जाता है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों में आम पब्लिक अनुशासित है और वहां के नागरिक देश के नियम कानूनों को सेना की तरह पालन करते हैं और देश के प्रशासन में अपना भरपूर सहयोग देते हैं ! परंतु अक्सर हमारे देश में यह शिकायत होती थी कि हमारे देश के नागरिक उतने अनुशासित नहीं है जितने पश्चिमी देशों के नागरिक होते हैं और हमारे देश के पिछड़ेपन में इसको भी एक अहम कारण माना जाता था ! परंतु यदि अल्पकालिक सेवा का प्रावधान हमारे देश में लागू होता है तो इससे हमारे देश के ज्यादातर नौजवान अपनी सैन्य सेवा के दौरान प्रशिक्षण के द्वारा अनुशासित होंगे और उनकी शारीरिक क्षमता का भी विकास होगा इसके साथ साथ यह नौजवान देश की राष्ट्रीय सुरक्षा में भी आवश्यकता पड़ने पर अपना भरपूर योगदान देंगे जैसा कि अमेरिका और पश्चिमी देशों में अक्सर देखा जाता है ! वहां पर यदि कहीं पर आवश्यकता पड़ती है तो वहां के नागरिक तमाशबीन की तरह तमाशा नहीं देते बल्कि वह देश के विरुद्ध होने वाले हर अपराध को रोकने का प्रयास करते हैं क्योंकि उन्होंने सैन्य सेवा में सब सीखा होता है !

हमारे देश में अक्सर आर्थिक आलोचक यह आलोचना करते हैं कि रक्षा मंत्रालय के बजट का ज्यादातर हिस्सा सैन्य सेवा कर्मियों की पेंशन पर खर्च होता है ! इसका अंदाजा एक आर्थिक वर्ष के आंकड़ों से निकाला जा सकता है ! वर्ष 20 20– 21 मैं रक्षा मंत्रालय का कुल बजट 525166करोड़ था जिसमें से119696करोड़ रूपया केवल रक्ष! कर्मियों की पेंशन पर ही खर्च हुआ था जो करीब-करीब कुल बजट का 40 फ़ीसदी हिस्सा था ! इस प्रकार अल्पकालिक सैनिक सेवा के द्वारा इस पेंशन पर होने वाले खर्च को आधा किया जा सकता है और इससे जो धन उपलब्ध होगा वह सेना के साजो सामान और गोला बारूद को खरीदने में काम आ सकता है ! इसके अतिरिक्त इस सैन्य सेवा में यह भी प्रावधान है की सेना अल्पकालिक सेवा करने वाले कर्मियों को सिविल में सेवा के लिए भी तैयार करेगी ! इस प्रकार देश मैं व्याप्त बेरोजगारी और नौजवानों को गलत रास्तों पर जाने से भी रोका जा सकता है क्योंकि अक्सर इसी उम्र में जब एक नौजवान को रोजगार प्राप्त नहीं होता है तो वह निराश होकर के गलत रास्तों पर चल पड़ता है इस अल्प सैनिक सेवा के प्रावधान से देश के ज्यादातर नौजवानों को एक नई दिशा दी जा सकती है और उसके साथ साथ जब यह नौजवान अपनी सैन्य सेवा पूरी करके सिविल के विभिन्न सेक्टरों में सेवा करेंगे तो वहां पर एक प् सेना का एक प्रशिक्षित कर्मी प्राप्त होगा जो अनुशासित ढंग से अपने कर्तव्य का निर्वहन करेगा और देश में चारों तरफ व्यवस्थित माहौल देखने को मिलेगा ! आजादी के बाद से अब तक ज्यादातर अल्पकालिक कमीशन के अधिकारी अपनी अल्पकालिक सेवा पूरी करने के बाद सिविल में विभिन्न विभागों और अर्धसैनिक बलों में सेवा करते हैं जहां पर इनकी सेवा करने के ढंग से यह सिद्ध हो चुका है कि यह एक आम शहरी से बेहतर अनुशासित ढंग से ये अपनी सेवा का निर्वहन करते हैं ! अल्पकालिक कमीशन के अफसर तो गिने-चुने ही सिविल सेवाओं में होते हैं और उनसे भी इतना अंतर नजर आता है तो जब अल्पकालिक सैन्य सेवा से आने वाले सैनिक सिविल सेवाओं में आएंगे तो उनकी तादाद काफी होगी !जब इतनी बड़ी संख्या में भूतपूर्व सैनिक कर्मी सिविल की विभिन्न सेवाओं में आएंगे एक प्रकार से अपने काम करने के स्टाइल से यह सिविल में एक सकारात्मक क्रांति ला सकते हैं क्योंकि यह अनुशासन और कर्तव्य निष्ठा को अपना परम उद्देश मानते हुए अपनी सेवा को करेंगे जिसकी कमी आजकल काफी देखी जाती है ! हमारे सिविल कर्मियों के काम करने के तरीके के कारण पश्चिमी देशों के लोग हमें अक्सर भ्रष्ट और नकारा कह कर पुकारते हैं परंतु यदि अल्पकालिक सेवा के सैन्य कर्मी इन सेवाओं में आएंगे तो उसके बाद इन सेवाओं का स्वरूप बदलेगा और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिष्ठा को चार चांद लगेंगे !

हमारे देश में अक्सर स्कूल कॉलेजों में सैनिक प्रशिक्षण को जरूरी बनाने की आवाज उठती रही है ! इसका मुख्य कारण केवल यही है की सैनिक प्रशिक्षण के द्वारा हमारे देश के नौजवान अनुशासन और देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत होकर देश की सेवा में शामिल हो ! इस अल्पकालिक सैन्य सेवा के प्रावधान से यह मांग भी एक प्रकार से पूरी हो जाएगी क्योंकि ज्यादातर नौजवान इस सेवा के द्वारा सेना में जाकर केवल 3 से 5 सालों में पूरी तरह से प्रशिक्षित होकर सिविल सेवाओं में आ सकते हैं ! इसके साथ साथ यह भी प्रावधान होगा की सैन्य सेवा मैं गुजारे हुए वर्षों को सिविल सेवा में भर्ती के टाइम पर गिनती में नहीं लिया जाएगा ! इसका तात्पर्य हुआ की यदि कोई नौजवान सेना में जाने के समय 18 साल का था तो सिविल में भर्ती के समय उसकी आयु 18 साल के बराबर ही मानी जाएगी ! अर्थात सैन्य सेवा में गुजारे हुए वर्ष उसको सिविल सेवा में आयु के नजर से अनफिट नहीं कर सकते हैं ! इस प्रावधान से नौजवानों को बेहतर प्रशिक्षित होकर अपने जीवन को सुधारने का मौका मिलेगा और उसके साथ साथ पूरे देश में इस बदलाव के द्वारा एक बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आएगा जिसकी कल्पना हर देशवासी करता है !








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