ज्ञान और श्रद्धा

19 Sep 2022 11:42:02
भगवान कृष्ण ने गीता में ज्ञान और श्रद्धा के संबंध का विस्तार से वर्णन किया है ! भगवान ने उपदेशों के द्वारा अर्जुन के सारे प्रश्नों का उत्तर देकर उसे मानसिक अवसाद से उतरा जिसके बाद वह सारे संदेशों से निकलकर महाभारत के युद्ध में जुट गया ! इसी क्रम में अर्जुन ने भगवान से ईश्वर श्रद्धा के बारे में प्रश्न किया, जिस के उत्तर में भगवान ने बताया कि श्रद्धा क्रमवार ज्ञान, बुद्धि और मन की सीढ़ियों को पार करके प्राप्त होती है ! अक्सर मनुष्य को आज के युग में भी अर्जुन की तरह बहुत से संदेह और उसके मन में प्रश्न हैं जिनके कारण वह अपने जीवन युद्ध को नहीं लड़ पा रह! हैं !
 
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इनमें सबसे प्रथम है ईश्वर के प्रति श्रद्धा का अभाव ! इस अभाव का मुख्य कारण है मनुष्य की ज्ञानेंद्रियों आंख नाक कान त्वचा द्वारा संसार का अनुभव जिसके द्वारा मनुष्य का मन और सोच बनती है ! यदि मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान और गुरु का मार्ग निर्देशन प्राप्त है तो वह इसके द्वारा संसार के अनुभवों का उत्तर प्राप्त कर लेता है और उसकी बुद्धि इसके द्वारा मन को नियंत्रित करके उसे ईश्वरी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है ! परंतु यदि मनुष्य को ज्ञान नहीं है तो वह अच्छे बुरे का निर्णय नहीं कर पाता है और अपनी इंद्रियों के भोग में लिप्त होकर पतन के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है ! इसलिए मनुष्य को संसार में उचित ज्ञान की प्राप्ति के प्रयास करने चाहिए और गुरु की शरण जरूर लेनी चाहिए ! क्योंकि गुरु ही अंधकार को समाप्त करके मनुष्य को उचित मार्ग दिखा सकता है !

बुद्धि ज्ञान के द्वारा सर्वप्रथम मनुष्य की ज्ञानेंद्रियों को नियंत्रित करती है ! जिससे यह अनैतिक और अपवित्र अनुभवों को मन तक न पहुंचा सकें और यदि यह अनुभव मन तक पहुंच भी जाते हैं तो बुद्धि उन्हें ज्ञान के द्वारा वहां से निकाल देती है ! इस प्रकार मनुष्य का मन निर्मल हो जाता है और वह स्वयं को ईश्वर प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर करने लगता है ! इस प्रकार निर्मल मन से वह अपने जीवन युद्ध को ईश्वर को समर्पित करके लड़ता है ! इसमें कर्म योग के ज्ञान के द्वारा वह निष्काम कर्म करके कर्मों के फल को ईश्वर को समर्पित करता है ! इस प्रकार मनुष्य कर्म फल से मुक्त हो जाता है क्योंकि उसने पहले ही कर्म फल को ईश्वर को समर्पित किया होता है ! इस प्रकार कर्म योग के ज्ञान के द्वारा ही वह निष्काम कर्म करता है !

इसलिए जीवन के महाभारत युद्ध रूपी युद्ध को जीतने के लिए मनुष्य को ज्ञान प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए क्योंकि ज्ञान के द्वारा ही वह अर्जुन की तरह अपने जीवन के युद्ध में सफल हो सकता है ! इसलिए ईश्वर यह श्रद्धा प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम ज्ञान अर्जन बहुत आवश्यक है !
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