भारत के साथ तीन युद्ध हार चुकनेऔर आर्थिक बदहाली के बाद भी पाकिस्तान की भारत के साथ बातचीत की शर्त

19 Jan 2023 16:36:18
भारत के साथ रिस्तों को लेकर दो कदम आगे और दो कदम पीछे चलने की पाकिस्तानबात की नीति अभी भी जारी है ! गंभीर आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पहले तो भारत के साथ हुए 3 युद्धों में मिली हार और उनसे मिले सबक की बात की और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंभीर वार्ता की पेशकश भी की लेकिन कुछ घंटे बाद ही पाक के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया कि कश्मीर में धारा 370 द्वारा लागू किए बिना वार्ता संभव नहीं है ! हाल के कुछ महीनों में यह तीसरा मौका है जब शरीफ सरकार ने पहले भारत से रिस्ते सुधारने की बात की और बाद में वह अपनी बात से पलट गया !

Pakistan learnt lesson India Shehbaz Sharif

आखिर ऐसा क्या हुआ कि थोड़ी देर में ही पाक के विदेश मंत्रालय ने धारा 370 की शर्त जोड़ दी तो इसका उत्तर है पाक की सेना केवल कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए ही भारत से बात करना चाहती है जबकि अब भारत पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बालटिस्तान को दोबारा कश्मीर में मिलाने की बात करना चाहता है ! पाक सेना धारा 370 को इसलिए लागू द्वारा करना चाहती है क्योंकि धारा 370 में प्रावधान है कि जम्मू कश्मीर का कोई भी पुराना निवासी भी यदि दोबारा इस राज्य में बसना चाहता है तो उसे कानूनी तौर पर बसाया जाएगा ! इस प्रावधान की आड़ में 70000 रोहिया मुसलमान जम्मू में फस चुके हैं और इसके अलावा पाकिस्तानी सेना अपने एजेंटों को भी यहां बसा रही रही थी ! इसके साथ ही इस राज्य में धारा 370 के कारण भारतीय संविधान और कानून व्यवस्था लागू नहीं होती थी ! इसके स्थान पर रणवीर सिंह एक्ट नाम का अपराध कानून लागू होता था !

इस कानून के अनुसार वहां के निवासियों को विशेष अधिकार जैसे वहां के अपराधी का इस राज्य के अलावा और कहीं किसी अदालत में ट्रायल नहीं हो सकता इसी क्रम में ऐसे बहुत से प्रावधान थे जिनसे अपराधी कानून प्रखर से बच निकलते थे ! इसलिए खूंखार आतंकवादियों और अपराधियों के मुकदमे जब जम्मू-कश्मीर की अदालतों में चलते थे तो अपराधी वहां के जजों को प्रताड़ित करके गंभीर अपराधों में भी बेगुनाह छूट जाते थे और यही अपराधी दोबारा आतंकी प्रवृत्तियों में शामिल होकर पाकिस्तानी सेना के मंसूबों को पूरा करने के लिए कार्य करने लगते थे ! परंतु जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद में वहां की कानून व्यवस्था की सख्ती के कारण आतंकियों की गतिविधियों पर लगाम लग गईऔर धीरे-धीरे आतंकवाद पर नियंत्रण होने के कारण कश्मीर घाटी जैसे अशांत क्षेत्र में भी शांति स्थापित हो गईइससे पाकिस्तान की सेना के आतंकी गतिविधियों के द्वारा कश्मीर को भारत से अलग करने के मंसूबों पर पानी फिर गया !इसलिए पाकिस्तानी सेना कश्मीर में दोबारा धारा 370 लागू करने के लिए कह रही है !

यहां पर नैतिकता के आधार पर दो प्रश्न खड़े होते हैं ! पहला क्या जम्मू कश्मीर का भारत में विलय गैरकानूनी है और दूसरा क्या इस समय पाकिस्तान भारत से तनाव करने और युद्ध की स्थिति में है ! तो इसका उत्तर है भारत को आजादी मिलने के समय भारत 544 छोटी-छोटी रियासतों में बटा हुआ था ! इसके लिए अंग्रेजों ने एक व्यवस्था तैयार की जिसके अनुसार इन रियासतों का शासक तय करेगा कि उसकी रियासत का विलय भारत या पाकिस्तान मैं से किस में होगा ! इसी के अनुसार अक्टूबर 1947 में जम्मू कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने अपनी सहमति भारत में विलय के लिए भारत सरकार को सौंपी थी ! जिसके आधार पर जम्मू कश्मीर का भारत में विलय कानून के अनुसार हुआ था !

दूसरा प्रश्न कि क्या पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध की स्थिति में है तो इसका उत्तर है कि पहले प्रधानमंत्री शरीफ को अपनी आंतरिक व्यवस्था को ठीक करने पर इस समय ध्यान देना चाहिए ना कि भारत को जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू करने की मांग करना ! पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था इस समय इस स्थिति में पहुंच गई है जहां पर पाकिस्तान भीख का कटोरा लेकर अरब देशों में भीख मांगने पर मजबूर है ! पाकिस्तान की स्टेट बैंक में इस समय केवल 4.34 बिलियन पाउंड ही विदेशी मुद्रा शेष बची है जो केवल तीन हफ्तों के पाकिस्तानी आयात के लिए पर्याप्त है ! इसी में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पिछले साल आई बाढ़ ने और भी अस्त-व्यस्त कर दिया था जिसके कारण पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा प्रभावित हुआ था ! इसमें पाकिस्तान के 8000000 निवासी अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए थे ! इस बाढ़ ने पाकिस्तान की पहले से ही बदहाल चल रही अर्थव्यवस्था को और भी व्यस्त व्यस्त कर दिया ! इन हालातों में 2021 से लेकर 2023 के बीच में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गई और आज पाकिस्तान में आटे जैसी जरूरी वस्तु के लिए जनता सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो गई है !

पाकिस्तान की इस स्थिति के लिए खासकर वहां की सेना पूरी तरह जिम्मेदार है ! जिसने आजादी मिलते ही भारत के साथ अपनी शत्रुता शुरू कर दी इसके पीछे सेना का मुख्य उद्देश था पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा करना ! वह वहां की जनता को यह दिखाना चाहती है कि भारत पाकिस्तान का सबसे बड़ा शत्रु है ! इसके लिए उसने कश्मीर समस्या को खड़ा किया जिससे भारत के साथ शत्रुता चलती रहे !आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार भारत-पाकिस्तान के बीच में 1971 तक 7 दिन के युद्ध में देश की एक पंचवर्षीय योजना के बराबर का धन युद्ध पर खर्च हो जाता था ! जब यह स्थिति भारत जैसे बड़े देश में है तो इन युद्धों का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ा होगा ! -जब की भारत की सेना के लिए जरूरी हथियारऔर गोला बारूद का ज्यादातर हिस्सा भारत में ही तैयार किया जाता था, जबकि पाकिस्तान में यह बाहरी देशों से मंगा कर सेना को उपलब्ध कराए जाते हैं !

इसके अलावा वहां की सेना ने भाड़े के आतंकी तैयार करने शुरू किए जिनका उपयोग अमेरिका ने रूस के विरुद्ध अफगानिस्तान में किया ! आतंकी तैयार करने के लिए वहां की सेना ने मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा देकर मदरसों में इन आतंकियों को तैयार किया ! इस कारण पूरे देश में आतंक की लहर दौड़ गई और पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बन गया ! जिसको देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए उसे अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया ! इस सब को देखते हुए विदेशी निवेशकों ने पाकिस्तान से दूर रहने में ही भलाई समझी जिसके चलते पाकिस्तान का आर्थिक विकास रुक गया ! आज पाकिस्तान औद्योगिकरण के मामले में अभी भी 50 के दशक में ही खड़ा है ! इसके कारण वहां पर बेरोजगारी बेतहाशा फैल गई जिससे निराश होकर वहां के नौजवान आतंकवाद की शरण में पहुंच गए जिनका प्रयोग अक्सर अमेरिका चीन और अन्य अरब देश करते रहे हैं और करते रहेंगे ! यह पाकिस्तान का दुर्भाग्य है की पाकिस्तान के पूरे संसाधनों पर वहां की सेना की नजर है और वह इनका दुरुपयोग केवल अपने स्वार्थ के लिए करती है जिसके कारण पाकिस्तान के 60 परसेंट पब्लिक सेक्टर उद्योग सेना के ही कब्जे में है ! जिन से मिलने वाला लाभ देश हित में वहां की जनता पर वह होने के स्थान पर सेना की जेब में जा रहा है ! इसे सिद्ध होता है कि वहां की सेना एक विदेशी सेना की तरह अपने ही देश को लूट रही है !

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान मैं कश्मीर की धारा 370 को शामिल कराने से यह सिद्ध हो गया है अभी भी पाकिस्तानी सेना का ही वहां की शासन व्यवस्था पर नियंत्रण है जिसके कारण प्रधानमंत्री के बयान मैं कश्मीर को शामिल किया गया ! इसलिए भारत सरकार को पाकिस्तान की इस पहल पर सोच समझकर निर्णय लेना चाहिए ! इतनी बुरी आर्थिक हालत में भी वहां की सेना की नजर केवल कश्मीर पर है और वह यह भी ध्यान नहीं दे रही है इस वक्त भारत एक विश्व शक्ति है और वह किसी भी प्रकार से भारत से कश्मीर नहीं छीन सकती ! इसका प्रमाण उसे पिछले 3 युद्धों में मिल चुका है ! जब सहवास शरीफ युद्ध से मिले से मिले सबक के बारे में बात करते हैं तो उन्हें इस पर भी विचार करना चाहिए की उनकी सेना उनके देश के दो हिस्से होने से भी नहीं रोक पाई है जबकि इसके लिए उसने भारत के साथ 1971 में युद्ध भी किया था ! पाकिस्तान की कानून व्यवस्था की बदहाली पनपते आतंकवाद और आर्थिक तंगी के कारण पाकिस्तान के निवासियों में सरकार के प्रति असंतोष घर कर चुका है इसके कारण वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान में बलूचिस्तान सिंध और पख्तूनख्वा भी अलग होकर स्वतंत्र देश बन सकते हैं !

पिछले 75 साल की गतिविधियों से पाकिस्तान को यह साफ हो जाना चाहिए कि जो नीतियां पाकिस्तान में अब तक अपनाई गई है उनके कारण वहां पर केवल विनाश हुआ है ! इसलिए अब समय आ गया है जब पाकिस्तान की सरकार और वहां के बुद्धिजीवियों को इस क्षेत्र की पूरी स्थिति पर विचार करते हुए भारत की स्थिति को समझना चाहिए कि किस प्रकार भारत एक आर्थिक और सैनिक शक्ति बन चुका है ! और अब उसको चाहिए यदि वह अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहता है तो उसको कश्मीर के राग को अलापना बंद करना होगा और भारत को यह विश्वास दिलाना होगा कि पुराने समय के तरह वह भारत को धोखा नहीं देगा ! जिसके बाद उसे भारत सरकार के साथ में आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में समझौते करने चाहिए ! क्योंकि जितनी सहायता एक पड़ोसी देश कर सकता है उतना दूसरे देश नहीं कर सकते ! इसके लिए उसे अपने देश में चल रही आतंकवाद की फैक्ट्रियों को बंद करना होगा और वहां की सेना को भी चाहिए कि अब वह देश हित में वहां की व्यवस्था से दूर हट कर केवल अपने आपको देश की सुरक्षा तक ही सीमित रखें !

उपरोक्त से ही पाकिस्तान की जनता का भला होगा और इससे पूरा दक्षिण एशिया एक शांतिपूर्ण स्थिति में आ सकता है ! क्योंकि दक्षिण एशिया के साथ-साथ पूरे विश्व में अशांति फैलाने में पाकिस्तान का बहुत बड़ा हाथ रहा है !
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