चीन-पाकिस्तान का अरब सागर में संयुक्त नौसेना अभ्यास: हिंद और प्रशांत महासागर में प्रभूतव स्थापित करने का प्रयास

17 Nov 2023 14:41:50
समुद्र संरक्षक नाम से चीन और पाकिस्तान संयुक्त नौसैनिक अभ्यास अरब सागर में कर रहे हैं ! यह अभ्यास11 नवंबर से 17 नवंबर तक किया जा रहा है ! इस युद्ध अभ्यास के लिए चीन नेअपने बड़ी क्षमता वाले एयरक्राफ्ट करियर नौसेना के लड़ाकू जहाजो को पनडुब्बियों के साथ कराची बंदरगाह पर भेज दिया है ! इनके साथ पाकिस्तान की पूरी नौसेना इस युद्ध अभ्यास में हिस्सा ले रही है ! जैसा कि नाम से विदित है इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य हिंद, अरब तथा प्रशांत महासागरों में अपनी ग्रस्त बढ़कर इस क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान अपनी सामरिक भागीदारी बढ़!कर अपना दबदबा स्थापित करना चाहते हैं ! इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस युद्ध अभ्यास में मुक्तया समुद्र में पेट्रोलिंग दीपों और भूमियों पर कब्जा करना ! इसके साथ ही चीन ने निश्चय किया है कि इसके बाद चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं पूरे साल इन समुद्रों की चौकसी के लिए यहां पर पेट्रोलिंग करेंगे !

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1949 मेंचीन मेंकम्युनिस्ट शासन स्थापित होने के बाद माओ ने विस्तारवादीनीति अपनाते हुए अपने16 पड़ोसी देशों कीभूमियों परअवैध कब्जा किया ! इसी के अंतर्गत चीन ने दक्षिणी चीन सागरऔर हिंद महासागर मेंअन्य देशों के 9 दीपों पर कब्जा करके इनमें अपने नौसेना के ठिकाने स्थापित कर दिए !अपनी विस्तारवादी नीति के अनुसार ही आज के आर्थिक युग में चीनअन्य देशों कीअर्थव्यवस्थाओं और उनके व्यापार पर भी कब्जा करना चाहता हैजैसा की उसने श्रीलंका और पाकिस्तान में किया है ! इसी के लिए उसने एक बेल्ट एक रोड नाम से एक योजना शुरू की है जिसके द्वारा वहअपने व्यापार को विश्व के विभिन्न देशों में फैलाना चाहता है !और इसके लिएउसके माल वाहक जहाजो के लिए समुद्री रास्तों पर वह पूरा नियंत्रण चाहता है ! इसके लिए वह 2020 से लगातार इस प्रकार के नौसैनिक युद्ध अभ्यास इस समुद्री क्षेत्र में कर रहा है ! जैसा कि कुछ समय से विदित हैआज के युग में युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते हैं बल्कि दुश्मन देश की,अर्थव्यवस्था, सामाजिक सौहार्द इत्यादि पर सूचना तकनीक के द्वारा हमला करकेभी परोक्ष रूप से लड़ा जा सकता है !

जैसा कि चीन ने श्रीलंकाऔर बहुत से अफ्रीकी देशों के साथ-साथ किया हैऔर अब पाकिस्तान में भी अपनीसाझा आर्थिक गलियारे योजना के रूप में कर रहा है जो उसकी बहुचर्चित एक बेल्ट एक सड़क योजना का ही हिस्सा है ! पाकिस्तान मेंआजादी के समय से ही वहां की सरकारों ने हमेशाअतिवाद का साथ दिया है जिसका फायदा उठाकर केवहां की सेना ने ही ज्यादातर पाकिस्तान पर शासन किया है और इसी के अंतर्गत पिछले 75 आजादी के सालों में पाकिस्तान में पूरे 36 साल तक मार्शल लॉ लागू रहा और सेना शासन करती रही ! 80 के दशक सेआतंकवाद का साथ देने के कारण पाकिस्तान का आर्थिक विकास करीब करीब रुक गया जिसके कारण वहां की आर्थिक व्यवस्था बुरे हालात में पहुंच चुकी है ! इसका फायदा उठाकर चीन ने पाकिस्तान कीआर्थिक मदद के बहाने उसकी आर्थिक व्यवस्था पर कब्जा कर लिया है !इसके साथ ही वहां की ज्यादातर जमीनों कोअपने आर्थिक गलियारे के नाम से अपने कब्जे में ले लिया हैऔर इसी के अंतर्गतचीन ने पाकिस्तान केप्रमुख बंदरगाह ग्वादर पर भी कब्जा कर लिया है जिस प्रकार उसने श्रीलंका के हवनटोटा बंदरगाह पर किया था ! इस नौसैनिक अभ्यास में भी पाकिस्तान चीन के हाथों की कठपुतली बनकर यह अभ्यासकर रहा है !

अपनी विस्तारवादी नीति के कारण चीन ने दक्षिणी चीन, हिंद और प्रशांत महासागर के बहुत से देसों के दीपो पर कब्जा किया हुआ है जिनमें वियतनाम, मंगोलिया, कजाकिस्तान, ताइवानऔर इंडोनेशिया का नाम आता है ! 1985 से चीन और जापान के बीच में संकाऊ नाम के दीप पर विवाद चल रहा है जिस पर चीन अपना दावा कर रहा है ! कब्जा किए हुए दीपों पर चीन नेअपने नौसैनिक अड्डे स्थापित किए हुए हैं ! जिनके द्वारा वह इन महासागरों परअंतर्राष्ट्रीय यातायात को नियंत्रित करने की कोशिश करता है ! जिसके कारण अमेरिका ऑस्ट्रेलियाऔर जापान इत्यादि देसों का व्यापार प्रभावित हो रहा था जिसको देखते हुए 2007 में जापान के प्रधानमंत्री एबेशिंजो ने एक ऐसे संगठन का निर्माण करने का आह्वान किया था जिसके द्वारा प्रभावित देश मिलकर चीन के इस समुद्री नियंत्रण को चुनौती दे सकें !

इसके बाद 2017 में मनीला मैंआसियान सम्मेलन के समय जापान, ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और भारत ने इस पर विचार कियाऔर क्वॉड के निर्माण को अपनी सहमति दी !इसके बाद 2021 में कवाड कीऔपचारिक घोषणा हुई ! कवाड का मुख्य उद्देश्य हैं हिन्द तथा प्रशांत महासागर क्षेत्र में यातायात के लिये भय मुक्त वातावरण बनाना और दक्षिणी और पूर्वी चीन सागर के लिये ऐसी रणनीति तैयार करना जिससे चीन की गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके ! इसके लिए इन चारों देशों ने नौसेना के गठबंधन किए हैंऔर इसी के अंतर्गत2021 के बाद समुद्र में इन चारों देशों की नौसेना के युद्ध अभ्यास भी किए हैं ! इस प्रकार क्ववार्ड की गतिविधियों को देखते हुए अभी एक सप्ताह पहले ही रूस और मयनामार नेअंडमान समुद्री क्षेत्र में इसी प्रकार का नौसैनिक अभ्यास किया है !चीन की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए भारत तथा अमेरिका के बीच में15 नवंबर कोदिल्ली में 2 प्लस 2 नाम का डायलॉग हुआ है जिसमें मुख्यतया दक्षिण एशिया और इससे लगते समुद्री क्षेत्र में चीन की चुनौतियों का सामना करने की योजना पर विचार विमर्श किया गया है !

चीन द्वारा दक्षिणी चीन सागरऔरहिंद महासागर के बहुत से क्षेत्र मेंअंतर्राष्ट्रीय यातायात की आचार संहिता की धज्जियांअक्सर उड़ाई जाती है इसको देखते हुए भारत के नौसेना प्रमुख ने कहा है कि इन समुद्रों में व्यवस्थितऔर सुचारू यातायात व्यवस्था के लिए स्पष्ट खतरा पैदा हो गया है !उनका इशारा खासकर चीन की तरफ ही था ! क्योंकि यह सब गतिविधियां चीन ही काफी लंबे समय से कर रहा है ! इसके साथ हीउन्होंने हिन्द और प्रशांत महासागर क्षेत्र के बढ़ते महत्व के बारे में भी बताया ! जिसमें वैश्विक व्यापार भू राजनीति के लिए इस क्षेत्र में सैनिक उपस्थिति का महत्व भी समझाया ! उन्होंने कहा की इन महासागरों में दुनिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है जिनमे मलाका जलडमरू मध्यऔरअदन की खड़ी जैसे चौक प्वाइंटों से समुद्री यातायातगुजरता है !इसके साथ ही यह पूरा क्षेत्र दुनिया का सर्वाधिक जैव विविध क्षेत्र भी कहा जाता है ! इसको देखते हुए इस क्षेत्र मेंसबसे अधिक सैनिक प्रतिस्पर्धा होने के कारण यहां पर संघर्ष की संभावनाएं बढ़ रही हैं ! खासकर अदन खाड़ी क्षेत्र में दस्यु विरोधी गस्ती पोतों सहित विभिन्न अभियानों के लिएक्षेत्रीय बलों के 50 से अधिक युद्ध पोत हिंद महासागर क्षेत्र में हर समय तैनात रहते हैं ! बहुराष्ट्रीयताकतों की बढ़ती उपस्थिति और अंतरराष्ट्रीय कानून कीअलग-अलग व्याख्याओं के कारण क्षेत्र में विश्व के साझा हित इसे विवादित समुद्र मेंबदल सकते हैं !

हिंद महासागर का तटीय देश होने के कारण पूरे विश्व को भारत से आशा है कि वह हिंद महासागर क्षेत्र में सभी कोसुरक्षा देने वाला क्षेत्र बने ! इस कारण भारत ने भी अपनी नासोनिक तैयारी पर पूरा जोर दिया हैऔरअपनी नौसेना कोआधुनिक बनाया है !इसके लिए भारत की नौसेना में ड्रोन तथा आधुनिक पनडुब्बियों को शामिल किया गया है ! इसके अलावा नौसेना में आधुनिकतम हथियारों और गोल बारूद को शामिल किया गया है !चीन और भारत कीअक्सर जमीनी सीमाओं पर होने वाले टकरावों को देखते हुए हो सकता है भविष्य में महासागरों में दोनों के गश्ती दलों में जमीन के टकरावों की तरह ही टकराव हो सकते है !इससे दोनों के बीच मेंऔर भी तनाव बढ़ाने की संभावना है ! इस समय पाकिस्तानअपनी आर्थिक व्यवस्था की बदहाली के कारण पूरी तरह चीन के कब्जे में आ चुका है !श्रीलंका के हवनटोटा बंदरगाह की तरह पाकिस्तान ने भीअपनेग्वादर बंदरगाह को चीन के हवाले कर दिया है जिसके द्वारा अब दक्षिणी चीन सागर के साथ-साथ चीन की नौसेना की गतिविधियां भारत के आसपास भीउतनी ही बढ़ गई है जिसके कारण दोनों के बीच में तनाव की संभावनाएंऔर ज्यादा हो गई हैं !

चीन की उपरोक्त गतिविधियों को देखते हुएअभी कुछ दिन पहले दिल्ली मेंआसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की विशेष बैठक बुलाई गई जिसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया की अंतरराष्ट्रीय समुद्र में यातायात भाय मुक्तऔर निर्धारित नियम कानून के अनुसार सुगमता से चलना चाहिए ! इससे इससेअंतर्राष्ट्रीय व्यापार कोऔर भी सुगम बनाया जा सकता है !इसको देखते हुए चीन को अपनी विस्तारवादी नीतियों पर लगाम लगाना चाहिए ! रूस --- यूक्रेन युद्ध पर लगाम न लग पानेऔर चीन की इस प्रकार की गतिविधियों देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह इस प्रकार के कड़े नियम कानून बनाए जिनके द्वारा इस प्रकार की रूस– यूक्रेन जैसी मानवता के विनाश की और चीन जैसी अनैतिक गतिविधियों पर प्रभावशाली लगाम लगाई जा सके ! पहले विश्व युद्ध के बाद बनी अंतरराष्ट्रीय संस्था लीग ऑफ नेशन की जगह परसंयुक्त राष्ट्र संघ का निर्माण केवल इसलिए हुआ था कि विश्व युद्ध को रोकने में नाकाम रही इसलिए समय रहते

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