देश में प्रजातंत्र को विफल बनाते माफिया डॉन और संगठित अपराधी

12 May 2023 16:25:20
आजादी से पहले भारत में राजाओं और नवाबों की 544 रियासतें थी जिन पर वे अपने अनगिनत सामंतों के द्वारा शासन करते थे ! आजादी के बाद यह सारी रियासतें भारत और पाकिस्तान में विलय कर दी गई ! परंतु देश के विभिन्न भागों में संगठित अपराधियों ने राजा और नवाबों की तरह अपनी रियासतें दोबारा तैयार कर ली है !इसके बारे में अधिकारिक सूचना अभी-अभी उत्तर प्रदेश में उस समय देखने में आई जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासन और पुलिस को माफिया दलों की सूची तैयार करने के लिए कहा ! इसमें पाया गया कि प्रदेश में अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे 66 बड़े-बड़े माफिया डॉन हैं और इनके साथ साथ 1105 छोटे-छोटे अपराधी और उनके साथ साथ 30 अवैध खनन खदान चलाने वाले तथा 228 अवैध शराब का धंधा करने वाले माफिया सक्रिय हैं ! इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की क्या प्रदेश में प्रजातंत्र जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य कर रहा है !


Yogi Adityanath Atiq Ahmed


इन माफियाओं ने अपराधिक गतिविधियों के आतंक से राजाओं नवाबों की तरह तरह अपने क्षेत्र निर्धारित किए हुए हैं ! जैसे कि मुख्तार अंसारी गाजीपुर मऊ और वाराणसी विजय मिश्रा भदोही ध्रुव सिंह आजमगढ़ तथा पूरा प्रयागराज तथा आसपास का क्षेत्र अतीक अहमद और उसके परिवार के कब्जे में था ! इन माफियाओं ने अपने क्षेत्रों में हजारों हजारों करोड़ की अवैधसंपत्तियां बना ली है जैसे कि अब तक के आंकड़ों के अनुसार अतीक अहमद की कुल संपत्ति 3000 करोड़ की पाई गई है ! जिसमें 100 करोड़ की संपत्तिअभी तक चिन्हित की जा चुकी है ! माफिया डॉन अपने प्रभाव के क्षेत्र में राजा और नवाबों की तरह ही हर धंधे में रंगदारी वसूलते हैं इसके अलावा साथ में मर्डर और फिरौती के साथ जनता की संपत्तियों पर अवैध कब्जे भी करते हैं !

 इन कब्जों को वैद्य दिखाने के लिए यह थोड़ी कीमतों पर इन संपत्तियों की खरीद दिखाकर वैध कराने का प्रयास करते हैं ! इस प्रकार की हरकतों से यह अपने क्षेत्रों में भय और आतंक का माहौल बनाते हैं ! इसके कारण चुनावों में अपनी इच्छा के अनुसार मतदान करवाते हैं जिसके दवारा इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है ! यह माहौल उत्तर प्रदेश के मध्य और पूर्वी भागो के साथ पूरे बिहार में फैला हुआ है ! इस कारण बिहार और उत्तर प्रदेश में निवेशकों ने निवेश करना उचित नहीं समझा और दोनों प्रदेश उद्योग विकास की दृष्टि से पिछड़ गए और नौजवानों को रोजगार के लिए देश के अन्य क्षेत्रों के लिए पलायन करना पड़ता है, जहां इन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता है ! क्या इसी स्थिति के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान दिए थे !

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले काफी समय से प्रदेश के विकास के लिए निवेश को बढ़ावा देने की योजना बना रहे थे ! विचार के बाद उन्होंने पाया कि निवेश ना आने का कारण प्रदेश में माफियाओं और संगठित अपराधियों का सक्रिय होना है ! निवेशकों की सबसे पहली मांग उनके निवेश की सुरक्षा होती है इसीलिए इन संगठित अपराधियों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार ने एक मुहिम छेड़ी है ! इस साल उत्तर प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय इन्वेस्टर सम्मेलन का आयोजन प्रदेश के अलग-अलग शहरों में किया गया जहां पर प्रशासन ने उस क्षेत्र की समस्याओं के बारे में सरकार को अवगत कराया ! इन सम्मेलनों में मुख्यमंत्री ने निवेशकों को भरोसा दिलाया है कि प्रदेश में संगठित अपराध और माफिया नहीं रहेगा तथा रंगदारी और अवैध वसूली समाप्त कर दी जाएगी !

इसलिए आजकल प्रदेश में अपराधियों का ढूंढ ढूंढ कर सफाया किया जा रहा है ! आजादी से पहले स्वतंत्रता सेनानियों तथा पूरे देशवासियों की कल्पना थी की आजादी मिलने के बाद पूरे देश में जनता के द्वारा निर्धारित नियम कानून के अनुसार जनता का राज होगाजिसमें गैरकानूनी ढंग से कोई किसी को प्रताड़ित नहीं करेगा ! सब नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किए जाएंगे ! परंतु प्रजातांत्रिक व्यवस्था में भी राजनीतिज्ञों और सत्ता की मदद से संगठित अपराधी और माफिया डॉन सामंती व्यवस्था की तरह प्रदेश में अपना भय और आतंक फैला रहे हैं जो सामंती व्यवस्था से भी ज्यादा क्रूर ढंग से जनता का शोषण करते है ! इस प्रकार इन माफियाओं के कारण इन क्षेत्रों में ना तो निवेश आया और ना ही औद्योगिक विकास हुआ और जनता वेरोजगार हो गई ! इस प्रकार जनता अंग्रेजी शासन की तरह इन माफियाओं के आतंक में रहने को मजबूर हो गई ! इस स्थिति में एक आम नागरिक इनके विरुद्ध क अदालतों में गवाही देने से भी डरत! है ! इसलिए इन अपराधियों को इनके अपराधों के लिए सजा नहीं मिल पाती है !

प्रजातंत्र में शासन तंत्र और पुलिस पर पूरा नियंत्रण सत्ताधारी राजनीतिज्ञों का होता है और इन राजनीतिज्ञों को सत्ता में रहने के लिए वोटों की आवश्यकता होती है जिसे माफिया डॉन उन्हें दिलवाते हैं ! इसलिए इन माफियाओं के फलने फूलने में सबसे बड़ा हाथ सत्ताधारी राजनीतिज्ञओ का ही होता है ! इसका सबसे उदाहरण है पंजाब सरकार का वह निर्णय जिसके द्वारा पंजाब सरकार उच्चतम न्यायालय में मुस्ताक अंसारी का केस इसलिए लड़ रही थी कि जिससे की वह अंसारी को पंजाब की जेल में सुरक्षित रख सके ! इसके लिए सरकार न्यायालय के एक वकील को 55 लाख रुपए देने के लिए भी तैयार थी ! इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी देखा जा सकता है बड़े अपराधों में नाम आने के बाद भी अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बहुजन समाज पार्टी से प्रयागराज के मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने की सोच रही थी ! अतीक अहमद के इतने अपराधों में लिप्त होने के बावजूद भी वह समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रदेश की विधानसभा और लोकसभा का सदस्य भी रह चुका था ! तो क्या सत्ताधारी दल के एक विधायक या लोकसभा सदस्य के विरुद्ध प्रदेश की पुलिस कोई कार्रवाई करने की हिम्मत कर सकती है !

न अपराधियों के विरुद्ध यदि मुकदमे अदालत में पहुंच भी जाते हैं तो उनमें पुलिस पीड़ित पक्ष की तरफ से पैरवी ही नहीं करती है और ना ही समय पर सबूत पेश करती है ! राजू पाल की हत्या 2005 में अतीक अहमद के द्वारा कराई गई थी जिसमें उमेश पाल एक चश्मदीद गवाह थे परंतु इस मुकदमे में 18 साल के बाद तक भी उमेश पाल की गवाही अदालत में नहीं करवाई गई ! यह यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि किस प्रकार न्याय व्यवस्था जनता को न्याय प्रदान करने में असमर्थ है ! इन अपराधियों को कानून की मांग के अनुसार जेल में तो पहुंचा दिया जाता है परंतु वहां पर यह लोग जेल के सुरक्षित माहौल में आराम से अपनी अपराधिक गतिविधियों को और भी सुचारू रूप से नियंत्रित करते हैं ! उमेश पाल की हत्या की पूरी योजना अतीक के भाई अशरफ ने बरेली जेल में तैयार की थी ! चित्रकूट की जेल में मुस्ताक अंसारी का पुत्र आराम से अपनी पत्नी के साथ समय गुजार रहा था ! तो क्या इस प्रकार के माहौल में इन अपराधियों पर लगाम लगने की कल्पना की जा सकती थी ! बल्कि माफिया डॉन जेलों को अपने कार्यालय की तरह उपयोग में ला रहे है और जेल कर्मी उनके इस काम में इन्हें पूरा सहयोग दे रहे है !

उपरोक्त वर्णन से यह साफ हो जाता है कि अपराधियों और माफियाओं को तैयार करने और बढ़ावा देने में सत्ताधारी राजनीतिज्ञों, न्यायपालिका तथा शासन तंत्र जिसमें पुलिस मुख्य भूमिका में होती है का पूरा सहयोग होता है ! उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व पुलिस प्रमुख श्री प्रकाश सिंह द्वारा उच्चतम न्यायालय में पुलिस सुधार की मांगों के पीछे यही मुख्य मुद्दा था की पुलिस राजनीतिक दबावों से मुक्त की जाए ! जिससे वह सेना की तरह अपना कार्य स्वतंत्र रूप से कर सके ! उनकी इस मांग पर उच्चतम न्यायालय ने 2007 में देश की सरकारों को 16 सूत्रीय पुलिस सुधार लागू करने के निर्देश भी जारी किए ! परंतु सरकारों ने पुलिस पर अपना नियंत्रण खोने के डर से इन सुधारों को पूरे 16 साल बाद भी अभी तक लागू नहीं किया है !

उत्तर प्रदेश में अतीक और मुख्तार अंसारी के अपराधिक कारनामों को देखते हुए अब समय की मांग है कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा निर्देशित पुलिस सुधारों को लागू किया जाए जिससे प्रदेश की पुलिस अपना कार्य कानून की मांग के अनुसार कर सके और इन अपराधियों के विरुद्ध डॉन बनने से पहले ही कार्यवाही कर सके ! इसके साथ साथ न्याय में होने वाली देरी जो न्याय ना मिलने के बराबर होती है तथा कानून की उन कमियों को दूर भी किया जाना चाहिए जिनके कारण यह अपराधी सजा से बच जाते हैं ! कानून व्यवस्था का निर्माण करते समय कानून निर्माताओं ने कानून को उदार बनाने का प्रयास किया था जिससे लंबी गुलामी के बाद देश के नागरिकों को अंग्रेजी सख्त कानूनों से राहत का अनुभव हो सके ! परंतु इसी कानून की उदारता का दुरुपयोग किया गया और अपराधी बड़े-बड़े डॉन बन गए ! इसलिए पुलिस सुधारों के साथ-साथ न्याय व्यवस्था में भी समय के अनुसार सुधार किया जाना चाहिए ! इसके अतिरिक्त आज के तकनीकी युग में तकनीकी साक्ष्यों को भी उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए !

आखिर में देश में विकास और अमन शांति को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक दलों को अराजक तत्व और अपराधियों से दूर रह कर इन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ! क्योंकि पूरा शासन तंत्र जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के द्वारा ही चलाया जाता है और यदि यही प्रतिनिधि जनता में आतंक फैलाने वाले तत्वों की मदद करने लगे तो फिर अमन शांति की कल्पना नहीं की जा सकती !
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