भारत - चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सीमा पर शांति आवश्यक है

22 Jun 2023 11:43:55
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका दौरे से पहले एक इंटरव्यू में कहा है कि चीन के साथ सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता जरूरी है ! भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है और विश्व स्तर पर भारत ज्यादा बड़े और अहम रोल का हकदार है ! भारत ने चीन सीमा पर शांति कायम करने के लिए बहुचर्चित कहावत युद्ध की तैयारी से ही शांति स्थापित होती है के द्वारा ही अपनी सीमाओं पर शांति स्थापित की है ! चीन ने भारत की सीमा में 1950 में तिब्बत पर कब्जे के बाद से ही घुसपैठ और सीमा का अतिक्रमण शुरू कर दिया था ! 1949 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन स्थापित हुआ और सत्ता माओ के हाथ में आई ! माओ चीन की विस्तार वादी नीति के समर्थक थे जिसके अंतर्गत चीन ने अपने पड़ोसी 14 देशों जिनमें नेपाल, भूटान, वर्मा, भारत और संयुक्त सोवियत संघ के सीमावर्ती राज्य शामिल है कि भूमियों पर कब्जे कर लिए ! इसी नीति के अंतर्गत भारत के 38000 वर्ग किलोमीटर अक्साई चिन क्षेत्र पर भी उसने चुपचाप कब्जा कर लिया ! यह क्षेत्र पूरे साल बर्फ से ढका रहता है और बंजर भूमि हैऔर यहां पर संचार के साधन उस समय उपलब्ध नहीं थे जिसके कारण भारत सरकार को इसकी सूचना काफी देर बाद में 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद हुई !
 
India-China US

तिब्बत पर चीन के कब्जे से पहलेआज भारत चीन सीमा कही जाने वाली सीमा का बड़ा भाग तिब्बत से लगता था और यह क्षेत्र पूर्णतया शांत था क्योंकि तिब्बत की सरकार भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहती थी ! परंतु तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद चीन ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक पूरी सीमा पर घुसपैठ बढ़ा दी ! 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के प्रधानमंत्री विश्व स्तर पर भारत के स्थान और अपनी लोकप्रियता के लिए प्रयत्नशील थे इसलिए उन्होंने चीन जैसे एशिया के बड़े और शक्तिशाली देश से संबंध बेहतर करने के लिए उन्होंने 1954 में पंचशील समझौता 8 वर्षों के लिए किया ! जिसके अनुसार दोनों देश एक दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करेंगे तथा एक दूसरे की सीमा में अतिक्रमण नहीं करेंगे ! परंतु चीन ने पंचशील समझौते का कोई सम्मान नहीं किया !1958 तक चीन की गतिविधियां सीमा पर काफी बढ़ गई थी जिनकी पूरी जानकारी तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल थिमैया को थी !

उन्होंने सेना के सूत्रों के द्वारा उस समय चीनी खतरे का आकलन करके पाया कि भारत की सेना और सीमाओं पर स्थित संचार साधनों का आधारभूत ढांचा इस खतरे का सामना करने के लिए तैयार नहीं है ! इसकी जानकारी सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री नेहरू को दी ! प्रधानमंत्री ने पंचशील समझौता और अपने सलाहकारों जिन में खासकरआईबी प्रमुख बीपी मौलिक और रक्षा मंत्री कृष्ण मैनन की सलाह के आधार पर उन्होंने सेना प्रमुख के आकलन को नकार दिया तथा उन्होंने सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन देने से मना कर दिया ! इससे निराश और खिन्न होकर जनरल थिमैया ने सेना प्रमुख पद से त्यागपत्र दे दिया ! यह सब इसी प्रकार चलता रहा और मौका देखकर चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर दिया जिसमें भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा ! इसके बाद चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित बालटिस्तान और अक्साई चिन क्षेत्रों पर अपना कब्जा और मजबूत कर लिया ! इस हार के बाद पूरे देश में शोक और निराशा की लहर फैल गई और देशवासी चीन के भय से आतंकित रहने लगे !

1962 के बाद चीन की नजर भारत के पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों असम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल पर थी इसके लिए उसने 1967 में सिक्किम के नाथूला पर हमला कर दिया ! जिसके द्वारा वह सिक्किम से सटे सिलिगुड़ी कॉरिडोर कहे जाने वाले क्षेत्र पर कब्जा करना चाहता था ! क्योंकि पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों का शेष भारत से संबंध इसी 60 किलोमीटर चौड़े कौरी डोर के द्वारा ही है ! इसी कॉरीडोर से इन राज्यों के लिए सड़क और रेल मार्ग जाता है ! इस समय तक भारतीय सेना में जागृति आ गई थी तथा सेना अपनी 1962 की हार का बदला लेना चाहती थी ! इसलिए जनरल सगत सिंह जो सिक्किम की सुरक्षा के लिए तैनात 17 माउंटेन डिवीजन के जीओसी थे उन्होंने दिल्ली की परवाह न करते हुए चीनी सेना से मुकाबला किया तथा चीनियों को करारी हार देते हुए उन्हें पीछे धकेल दिया ! इसके बाद चीन ने 1986 में अरुणाचल की सैमद्रोङ्गछु घाटी में हेलीपैड बनाने की कोशिश की जिस को भारत के प्रसिद्ध सेना प्रमुख जनरल सुंदर जी ने पूरी तरह से नाकाम किया !

इसके बाद जनरल सुंदर जी ने भारत सरकार से पूरी भारत चीन सीमा पर संचार के साधनों को तैयार करने तथा सेना में स्ट्राइक कोर की स्थापना के लिए तथ्यों के आधार पर जोरदार सिफारिश की ! जिसके बाद भारत सरकार ने उत्तर पूर्व की अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा तक अच्छी सड़क तथा पुलों का निर्माण किया जिन पर स्ट्राइक कोर के टैंक तथा भारी तोपे सीमा तक पहुंच सके ! इसके साथ साथ भारत चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उचित स्तर की बातचीत भी शुरू की गई ! अब तक दोनों के बीच 19 दौर की बातचीत हो चुकी है परंतु अभी तक इस विवाद को सुलझाने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है ! क्योंकि भारत सीमा निर्धारण के लिए 1914 में निर्धारित की गई मैं मैक मोहन रेखा को आधार मानता है और चीन इस रेखा को मान्यता प्रदान नहीं करता !

मैक मोहन रेखा का निर्धारण 1914 में शिमला में भारत – तिब्बत और चीन के प्रतिनिधियों के बीच 2 महीने तक चली बातचीत के द्वारा हुआ था !परंतु चीन अपनी विस्तार वादी नीति के कारण इस रेखा को नहीं मानता तथा वह पूरे अरुणाचल प्रदेश को भी तिब्बत का हिस्सा बताकर इसे विवादित क्षेत्र मानता है ! 1996 में दोनों देशों के प्रतिनिधि ने सीमा पर विश्वास बहाली के लिए समझौता किया था जिसके अनुसार सीमा पर गश्त करते समय दोनों देश के सैनिक शस्त्र नहीं रखेंगे ! इसी कारण 2019 में गलवान में भारतीय सैनिक निहत्थे थे परंतु इसके बावजूद भी भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया तथा चीन के दो अफसरों तथा 112 सैनिकों को मार कर उन्हें पीछे धकेल दिया !

1919 86 से लेकर अब तक भारत चीन सीमा पर आधारभूत ढांचे के निर्माण तथा सेना के आधुनिकीकरण पर भारत सरकार का विषय ज़ोर रहा है इसी के अंतर्गत इस सीमा पर 5 लड़ाकूहवाई जहाजों को उतारने के लिए लैंडिंग ग्राउंडओं का निर्माण किया गया है ! जिनमें लेह के पास दौलत बेग ओल्डी तवांग प्रमुख है ! इसके अलावा लेह को सड़क मार्ग से हिमाचल प्रदेश से भी जोड़ दिया गया है जिसके लिए एक लंबी गुफा का निर्माण किया गया है जिसे अटल गुफा के नाम से जाना जाता है ! सेना के आधुनिकरण के लिए वायु सेना में रफेल तथा सुखोई-30 जैसे आधुनिकतम लड़ाकू विमान जोड़े गए हैं जिनका जवाब चीन के पास भी नहीं है ! इसके साथ साथ सड़क मार्ग के सुधर जाने के कारण अब भारत ने पूरी चीन सीमा पर टँको तथा भारी तोपखाने को भी तैनात कर दिया है !

इसके साथ-साथ आकाश में मजबूत होने के लिए इजराइल से आधुनिकतम एयर डिफेंस सिस्टम को खरीद कर सीमा पर तैनात कर दिया है ! थल और वायु सेना की मजबूती के साथ साथ समुद्री क्षेत्र में भी भारत ने अपनी शक्ति बढ़ाई है और इस समय भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर समुद्री जहाज हैं ! इन पर 300 अलग तरह के हवाई जहाज समुद्री सीमाओं की निगरानी और इसकी रक्षा कर रहे हैं !अभी कुछ समय पहले इसके साथ साथ भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क़्वाद समझौता किया है जिसके द्वारा यह चारों देश दक्षिणी चीन सागर में चीन का मुकाबला करेंगे तथा क्षेत्र में चीन की विस्तार वादी नीतियों पर लगाम लगाएंगे ! अभी कुछ समय पहले भारत ने समुद्र में अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिए अरब सागर क्षेत्र में एक नौसेना की एक्सरसाइज की है जिसमें भारत के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर ने हिस्सा लेकर चीन को अपनी शक्ति दिखा दी है !

 इस पूरे विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि किस प्रकार भारत ने अपनी सैन्य शक्ति और आधारभूत ढांचे का निर्माण करके चीन जैसे शक्तिशाली देश को अपनी शक्ति के बारे में पूरी तरह से एहसास करा दिया है ! जिसके कारण चीन अब सीमाओं पर शांति बनाने और विवाद को सुलझाने के लिए इच्छुक नजर आ रहा है ! इन प्रयासों से भारत विश्व की एक महाशक्ति बन गया है और हर प्रमुख सम्मेलन में भारत का विशेष सम्मान किया जाता है ! विश्व में भारत के स्थान और उसकी शक्ति को देखते हुए अमेरिका ने प्रधानमंत्री मोदी को उच्च कोटि का सम्मान देते हुए उन्हें अमेरिका के राजकीय दौरे के लिए आमंत्रित किया जिसके अंतर्गत प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका में अभूतपूर्व स्वागत तथा सम्मान हुआ है ! भारत के कुछ आलोचकों ने भारत को चीन के विरुद्ध अमेरिका की कठपुतली का नाम दिया है जो एक सरासर गलत कथन है ! भारत ने 1950 से लेकर आज तक चीन के विभिन्न हम हमलो और अतिक्रमण को देखा है जिसके बाद उसने अपनी शक्ति का निर्माण किया और चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए इस समय भारत तैयार है !

इस सबसे शांति के लिए युद्ध की तैयारी जरूरी है वाली कहावत चरितार्थ हुई है और अब चीन समझ गया है कि यह भारत 1962 का भारत नहीं है बल्कि यह 2022 का शक्तिशाली भारत है !
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