मानव जीवन में गीता का महत्त्व

29 Aug 2023 14:46:19
यदि कार्य करने से पहले उद्देश्य निश्चित हो तो कार्य के प्रति लगन और श्रद्धा बढ़ जाती है इस प्रकार गीताअध्ययन से पहले हमें यह पता होना चाहिए कि हम अपने किन प्रश्नों और जिज्ञासाओं का उत्तर चाहते हैं ! गीता मनुष्य जीवन के उन सभी प्रश्नों का उत्तर देती है जो आज की विज्ञान नहीं दे पा रही है ! प्रकृति के दो रूप हैं परा और अपरा !परा प्रकृति सारस्वत परम ब्रह्म ही है जिसका अंश जीव के शरीर में आत्मा के रूप में विद्यमान रहता है ! और अपरा प्रकृति जड़ प्रकृति है जिसमें प्रकृति के पांच तत्व जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी है ! विज्ञान से मनुष्य जड़ प्रकृति के रहस्यों को जानने का प्रयास कर रहा है जैसे अभी आकाश में स्थित चांद को जानने के लिए चंद्रयान चांद पर भेजा गया था !
 
Importance of Bhagavad Gita


परंतु परा प्रकृति को केवल आध्यात्मिक ज्ञान से ही जाना जा सकता है जिसका ज्ञान भगवान ने स्वयं गीता में दिया है ! इसमें ईश्वर और जीव के स्वरूप की विवेचना की गई है जिसमें ईश्वर नियंता तथा जीव नियंत्रित माना गया है ! इसके साथ ही भौतिक प्रकृति काल कर्म गुण और स्वभाव के द्वारा मनुष्य के कर्मों को नियंत्रित करती है !प्रकृति के 3 गुण सत, रज और तमस की पूरी व्याख्या गीता की गई है कि किस प्रकार इन गुणों की प्रधानता में जीव अपने कर्म करता है ! यहां पर काल का तात्पर्य समय से है !

महाभारत के युद्ध में अर्जुन प्रकृति के गुणों के प्रभाव में मानसिक अवसाद से ग्रस्त होकर युद्ध के लिए मना कर रहे हैं ऐसे समय में एक नियंता के रूप में भगवान ने स्वयं अर्जुन को अवसाद से निकालने के लिए उसे कर्म, ज्ञान, भक्ति,युवाओं की विवेचना के द्वारा उन्होंने अर्जुन की सारी जिज्ञासाओं को शांत करके उसे युद्ध के लिए तैयार किया जिसके बाद अर्जुन ने पापियों का विनाश करके कर्म योग का परिचय दिया !

 इस प्रकार संसार में हर मनुष्य अर्जुन है और गीता एक साक्षात कृष्ण के रूप में उसके हर प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार है इसलिए जब भी जीवन में अनिश्चितता की स्थिति आए तभी मनुष्य को गीता के अध्ययन के द्वारा स्वयं को इस स्थिति से निकालना चाहिए ! गीता का ज्ञान मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी अति उत्तम माना गया है इसलिए पूरे विश्व में सनातन धर्म की पहचान गीता के द्वारा हो रही है !

आज के भौतिक युग में तकनीक का बहुत विकास हो गया है इसके कारण मनुष्य की आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है जो मनुष्य के लिए उतनी ही आवश्यक है ! क्योंकि पृथ्वी के सारे जीवो में केवल मनुष्य ही एक विवेकशील प्राणी है और इस विवेक के द्वारा वह तरह-तरह के विचारों के साथ जीवन निर्वहन करता है ! इसमें कभी-कभी उसे नकारात्मक विचारों का भी सामना करना पड़ता है और ऐसी स्थिति में उसे आध्यात्मिक ज्ञान की आवश्यकता होती है ! मनुष्य की इस आवश्यकता को गीता भली भांति पूरा करती है क्योंकि इसमें मानसिक अवसाद से निकालने के लिए हर प्रकार के प्रश्नों का उत्तर उपलब्ध है !
Powered By Sangraha 9.0