दोहरे मानदंडो को अपनाते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी समितियों का अध्यक्ष बनाया

18 Jul 2025 12:02:06
संयुक्त राष्ट्र संघ के दोहरे मानदंडो को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन मेंअपने भाषण में कहा है कि आज दुनिया को एक नई बहु ध्रुवीयऔर समावेशी विश्व व्यवस्था की जरूरत है ! इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक सुधारो से करनी होगी ! सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव दिखना चाहिए !पिछले 3 साल से रूस- यूक्रेनऔर इजरायल-ईरान के बीच हो रहे युद्ध के कारण पूरे मध्य एशिया में अशांति एवं अस्थिरता फैल रही है ! इस सब के बावजूद संयुक्त राष्ट्रसंघ जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति और जनकल्याण है वह एक मूकदर्शक की तरह इन युद्धों को देख रही है ! घोषितयुद्ध के साथ-साथ अघोषित परोक्ष युद्ध भी कुछ देशअपने पड़ोसी देशों के साथ लड़ रहे हैं जैसे कि पाकिस्तान भारत के विरुद्ध पिछले75 सालों से परोक्ष युद्ध लड़ रहा है ! इस युद्ध का ही प्रमाण है पहलगाम का आतंकी हमला जिस ने द्विपक्षीय समीकरण ही नहीं बल्कि समूचे दक्षिण एशिया में संबंधों के ताने-बाने को प्रभावित किया है !


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इस हमले ने आतंकी नीति को जारी रखने वाली पाकिस्तानी मंशा को प्रकट किया था ! पर्यटकों से उनकी मजहबी पहचान पूछ कर की गई हत्याओं को लश्कर के पिट्ठू संगठन द रेसिडेंस फ्रंट यानी टीआरएफने अंजाम दिया ! इसे केवल एक नर संहार के रूप में न देखा जाए यह भू राजनीतिक उकसावे की एक नियोजितकरवाई थी ! इसने आतंकको पालने पोसने वाले पाकिस्तान के कलंकित इतिहास को दोहराया, वही इसके पीछे की एक मंशा जम्मू -कश्मीर मैं सुरक्षा ढांचे को अस्त- व्यस्त करने की भी थी !परंतु यहां पर सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि इतनी बड़ी आतंकी घटना जिसमें विश्व के ज्यादातर देशों ने इस हमले पर भारत के साथ अपनी सहानुभूति प्रकट की थी ! इसके बाद भी इस घटना के केवल कुछ दिन बाद ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी तीन कमेटियों का अध्यक्ष तथा एक का वाइस चेयरमैन नियुक्त कर दिया है ! पाकिस्तान राष्ट्र संघ की तालिबान पर प्रतिबंध लगाने वाली कमेटी एवं राष्ट्र संघ की ही आतंकवाद विरोधी कमेटी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के आतंकवाद के लिए गठित दो ग्रुपों की चेयरमैनशिप पाकिस्तान को दी गई है !

खासकर पहलागाम हमले के फौरन बाद इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पाकिस्तान में विश्वास दिखाना यह प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है कि यह संस्था कितनी संवेदन हीन है ! जबकि पूरा विश्व पहलगाम घटना से विचलित था तथा भारत के साथ सहानुभूति जाता रहा था ! आज मीडिया के युग मेंपूरा विश्व जानता है की संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित ज्यादातर आतंकी पाकिस्तान में रहकर अपनी आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखते हैं ! पाकिस्तान में ज्यादातर मदरसो मेंआतंकी तैयार किए जाते हैं और इसके बाद उन्हें आतंकी कैंपों में भेज दिया जाता है ! 1947 से लेकर आज तक भारत पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है ! भारत को अस्थिर करने के लिए पहले पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए वहां पर आतंकी हमले करवाए जिसमें तीन लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से विस्थापित होना पड़ा ! इसके बाद 80 के दशक में भारत के पंजाब में खालिस्तान की आवाज बुलंद करबा कर वहां पर आतंकवाद को फैलाया !

परंतु पंजाब की राष्ट्रबादी जनता ने इसे फलने फूलने नहीं दियाऔर इस पर भारत ने शीघ्र विजय प्राप्त करते हुए पंजाब से आतंकवाद का सफाया किया ! पाकिस्तान जैसा देश जो विश्व में आतंकवाद का घर माना जाता है और जहां पर ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान की एक सैनिक छावनी क्षेत्र के एक बंगले में सुरक्षा प्रदान की थी उसी पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व में आतंकवाद को रोकने तथा उसे पर नियंत्रण करने वाली कमेटीयो की चेयरमैनशिप देकर यह स्थापित कर दिया है कि जिन उद्देश्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह संस्था कार्य नहीं कर रही है ! प्रधानमंत्री मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन मेंदिए गए भाषण के अनुसार इस संस्था में अब व्यापकपरिवर्तन किए जाने चाहिए जिससे यह अपने निर्धारित उद्देश्यों के अनुसार काम कर सके !

दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था विश्व स्तर पर शांति तथा सुरक्षा पूर्ण वातावरण का निर्माण करना तथा पूरे विश्व की जनसंख्या के कल्याण के लिए कार्य करना ! इसके अतिरिक्त विश्व स्तर पर आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में संयुक्तता तथा समरसता स्थापित करना ! इसके साथ ही विश्व में समान अधिकार तथा प्रजातांत्रिक प्रणाली पर आधारित विभिन्न देशों की सरकारों में समन्वय स्थापित करना !परंतु विश्व के विभिन्न हिस्सों जैसे इजरायल -हिज्बुल्लाहऔर इजरायल- ईरान युद्ध तथा रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने में कहीं पर भी राष्ट्रसंघ की भूमिका कई नजर नहीं आ रही है !जबकि रूस और इसराइल परमाणु बम रखने वाले देश हैं जिनके द्वारा कभी भी परमाणु बम के द्वारा जापान के हिरोशिमा - नागासाकी जैसा महाविनाश किया जा सकता है ! इसके अतिरिक्त पिछले 3 साल से चलने वाले युद्ध में यूक्रेन का 70% आर्थिक ढांचा पूरी तरह बर्बाद हो गया है ! इसी प्रकार हमास और इजरायल के युद्ध में गाजा का 60 किलोमीटर का क्षेत्र दोनों तरफ से मिसाइल और ड्रोनो के हमलो के द्वारा बर्बाद करकेउसे समतल बना दिया गया है !

रिपोर्ट के अनुसार गाज़ा में अब केवल 5% भूमि ही कृषि योग रह गई है ! इसके साथ ही वहां पर स्थित इमारतो और अन्य आर्थिक ढांचों को भी बर्बाद कर दिया गया है ! जबकि राष्ट्र संघ का प्रथम उद्देश्य है विश्व स्तर पर शांति स्थापित करना तथा पूरे विश्व की जनसंख्या के कल्याण के लिए कार्य करना ! रूस यूक्रेन युद्ध 3 साल से तथा इसराइल- हमास युद्ध भी काफी लंबे समय तक चला इसके बावजूद भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने इन युद्धों को रुकवाने के लिए कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई है ! इन दोनों युद्धओ में जनकल्याण के संस्थान तथा जनता के रहने तथा उनकी सुविधाओं के लिए स्थापित आधारभूत ढांचे और अस्पताल बर्बाद होते रहे और संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्य दर्शक बनकर देखती रह गई ! जबकि होना चाहिए था कि राष्ट्र संघ को इन दोनों युद्धों का स्वत संज्ञान लेकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति और मानव जाति के कल्याण के लिए इन मुद्दों को रुकवाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए थी जिससे यूक्रेन तथा गाजा में तबाही रोकी जा सकती थी !

संयुक्त राष्ट्र संघ की तरह ही पहले विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद लीगऑफ नेशन नाम की एक संस्था का गठन किया गया था ! लीग ऑफ नेशन का उद्देश्य भी यही था कि विश्व में युद्धो को रोकना तथा विश्व के देसों के बीच उत्पन्न विवादों को शांतिपूर्ण माध्यमों जैसे आपसी बातचीत और मध्यस्थता से से सुलझाना ! इसके साथ-साथ विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में हिंसक तनावों को सुलझाकर शांति स्थापित करना ! लीग ऑफ नेशन का निर्माण 10 जनवरी 1920 को किया गया था ! 1930 में विश्व में आर्थिक मंदी का दौर आया जिस कारण कुछ देश अपने आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए आक्रामकऔर विस्तारवादी हो गए ! इसी क्रम में जापान ने 1932 मेंमंचूरियन नाम के देश पर कब्जा कर लिया ! इसको रोकने में लीग कुछ भी नहीं कर सकी !1935 में इटली ने अपने पड़ोसी देश आबेनेसिया पर हमला कर दिया !1933 में लीग की नीतियों के विरोध में जापान और जर्मनी ने लीग की सदस्यता ही छोड़ दी थी ! इस सब के बाद धीरे-धीरे यूरोप में तनाव बनने लगाऔर लीग की शांति स्थापित करने में असफलता बढ़ती चली गई और अंत में1938 मेंलीग ऑफ नेशन का अंत हो गया ! इसके बाद 1939 मेंजर्मनी द्वारा दूसरे विश्व युद्ध की घोषणा कर दी जिसमें विश्व दो हिस्सों में बट गया ! इसी युद्ध में 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए !

इन परमाणु बमों से इन शहरों में लाखों लोग मारे गए तथा इन दोनों शहरों का महाविनाश हो गया ! इस महाविनास के बाद विश्व के देशों की आंखें खुली और विश्व युद्ध को समाप्त किया गया ! आज के समय में जिस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ लीग ऑफ नेशन की तरह ही रूस - यूक्रेनऔरइजरायल - ईरान युद्धों को रोकने मेंअसफल रही है इससे प्रतीत होता है कि राष्ट्र संघ भी लीग ऑफ नेशन की तरह ही अपनी समाप्ति की ओर बढ़ रही है ! विश्व में आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले पाकिस्तान जैसे देश कोआतंकवाद विरोधी समितियों का अध्यक्ष बनाकर राष्ट्रसंघ ने सिद्ध कर दिया है की इसमें तथ्यों के आधार निर्णय नहीं लिए जा रहे हैं बल्कि विश्व की महा- शक्तियोंके इशारों पर निर्णय लिए जा रहे हैं जैसा की पाकिस्तान के संदर्भ में हुआ है ! इसी आधार पर पाकिस्तान को राष्ट्रसंघ की अनुमति के बाद विश्व बैंकऔरआईएमएफ का कर्ज भी उपलब्ध हो गया है ! इसी क्रम में उत्तरी कोरिया पूरे विश्व कोअपनी मिसाइल और परमाणु बम की धमकियांदेता रहता है जिसमेंचीन के कारण राष्ट्रसंघउसके विरुद्ध कोई कार्रवाई उसके विरुद्ध नहीं कर पा रहा है ! इस समय हालातो को देखते हुए अभी समाप्त हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणा पत्र में सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र को अधिक लोकतांत्रिकऔर कुशल बनाने का आवाहन किया है ! इसी के संदर्भ में चीन और रूस ने सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए विकासशील देश भारत और ब्राजील के नाम का समर्थन भी किया है ! इसके साथ ही कहा गया है कि यूएनएससी में विकासशील देशों को शामिल किया जाना चाहिए चाहिए जिससे यह और अधिक लोकतांत्रिक बन सके !

उपरोक्त को देखते हुए अब जरूरी हो गया है की विश्व के समस्त देशो को मिलकर विचार विमर्श करके संयुक्त राष्ट्र संघ में इस तरह के परिवर्तन करने चाहिए जिससे यह संस्था विश्व में शांतिऔर जनकल्याणके कार्यआसानी से कर सके ! साधारण न्यायिक प्रक्रिया की तरह ही राष्ट्रसंघ को देशो के बीचों में होने वाले विवादों का स्वत संज्ञान लेना चाहिए और मध्यस्थता और बातचीत के द्वारा इनको सुलझाने के लिए सदस्य देशों कीसमितियां के द्वारा इन्हें सुलझाना चाहिए ! इससे राष्ट्रसंघ की उपयोगिता बनी रहेगी औरलीग ऑफ नेशन की तरह यह समाप्त नहीं होगी !


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