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भगवान ने स्वयं गीता में कहा है जो अपने सारे कर्मों को मुझे समर्पित करके तथा अविचलित भाव से मेरी भक्ति तथा पूजा करते हैं तथा अपने चित को मुझ पर स्थिर करके निरंतर मेरा ध्यान करते हैं वह मुझे शीघ्र प्राप्त कर लेते हैं !
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