धारा 370 और 35a के आवरण में चल रही सामंत शाही को समाप्त करके जम्मू कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय के बाद की स्थिति का आकलन

NewsBharati    31-May-2021   
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क्या इस स्थिति को जिसमें एक ही देश में अलग अलग संविधान, कानून तथा ध्वज हो उसको एक देश माना जा सकता है ! यह स्थिति हमारे देश में जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35a के कारण थी जिसको आजादी के समय विलय के बाद में राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा 1954 में जोड़ा गया था ! जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिलवाने में जितना हाथ शेख अब्दुल्ला का है उससे ज्यादा इसमें उनकी मदद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी ! इस विशेष दर्जे को स्थाई बनाने के लिए इसे इतनी सुरक्षा प्रदान कर दी की आजादी से अब तक हर सरकार अपने आप को इसे हटाने में असहाय पा रही थी ! आजादी के बाद जम्मू कश्मीर में भी शेख अब्दुल्ला ने केंद्र की तरह संविधान सभा का गठन किया और उसी सभा ने धारा 370 और 35a का प्रावधान किया ! और भविष्य के लिए निर्धारित कर दिया कि इन प्रावधानों को हटाने के लिए इस संविधान सभा की अनुमति जरूरी ! उसके बाद यह संविधान सभा भंग कर दी गई इसलिए कानून के विशेषज्ञों को यह समझ नहीं आ रहा था कि उस संविधान सभा की अनुपस्थिति में इन दोनों धाराओं को किस प्रकार से हटाया जाए ! परंतु यहां पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बधाई की पात्र है जिसने देश के सर्वोच्च पटेल लोकसभा से इसे पारित करवा कर राष्ट्रपति की अनुमति के बाद जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जा को हमेशा के लिए खत्म करके इसका अन्य राज्यों की तरह भारत में पूर्ण विलय किया ! कश्मीर क्षेत्र मुस्लिम बहुल होने के कारण पाकिस्तान इसे बंटवारे के समय से ही हड़पने की योजनाएं बना रहा था और उसकी इस योजना में धारा 370 और 35a के प्रावधान पूरी तरह मदद कर रहे थे ! क्योंकि इन धाराओं के कारण इस राज्य में देश का कानून लागू नहीं हो रहा था ! जिसके कारण इस राज्य में स्थित पाकिस्तान के एजेंट खुलेआम देश विरोधी गतिविधियों चला रहे थे तथा इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथी विचारधारा के द्वारा पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे ! इसी विचारधारा के द्वारा घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों और सिखों को आतंकियों ने चुनचुन कर निशानाबनाया ! जिसके कारण 1990 में 500000 कश्मीरी पंडितों को घाटी में अपने घर और संपत्तियों को छोड़कर भागना पड़ा ! भय और आतंक फैलाने के लिए इन आतंकियों ने वहां पर हिंदू स्त्रियों का सामूहिक बलात्कार किया ! परंतु दुर्भाग्य की बात यह है की धारा 370 का फायदा उठाते हुए वहां की राज्य सरकार ने इस सब की अनदेखी करते हुए परोक्ष रूप से इस प्रकार की अराजकता को बढ़ावा दिया ! अन्यथा जिस प्रकार कश्मीरी पंडित अपने ही देश में पलायन के लिए मजबूर हुए थे उस स्थिति में राज सरकार को इनमें सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए प्रयास करने चाहिए थे ! ! देशवासी आश्चर्य करेंगे की इस राज्य में आपराधिक कानूनों को लागू करने वाली सीआरपीसी के स्थान पर यहां का रणवीर सिंह पुरा एक्ट लागू होता है ! उक्त धाराओं के संरक्षण और व्यवस्था के कारण यहां के कुछ राजनीतिक घराने स्वयं को यहां का महाराजा समझते थे और कश्मीर को अपनी रियासत ! इसका पूरा विवरण जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहे श्री जगमोहन ने अपनी पुस्तक में विस्तार से किया है ! इसके उन्होंने अनेक उदाहरण अपनी पुस्तक में दिए हैं ! जिनमें से एक के अनुसार फारूक अब्दुल्ला जब मुख्यमंत्री थे उस समय राज्य पुलिस बल में सब इंस्पेक्टर पदों की भर्ती के लिए मंत्री परिषद की बैठक हो रही थी ! इस बैठक के दृश्य का वर्णन करते हुए करते हुए उन्होंने लिखा है कि मंत्री परिषद के सदस्य आपस में एक दूसरे के साथ कोटे के लिए लड़ रहे थे ! हर मंत्री अपने चहेतों को सब इंस्पेक्टर बनवाना चाहता था ! इसी प्रकार की अनेक भर्तियों के उदाहरण उन्होंने दिए हैं ! इस प्रकार देखा जा सकता है की विशेष दर्जा के द्वारा कुछ राजनीतिक अपनी सामंतसाईं चलाकर यहां के विकास के धन और रोजगार के अवसरों को अपनी मर्जी से प्रयोग कर रहे थे जैसे कोई महाराजा करता है ! इस प्रकार यहां की आम जनता पूरी तरह से स्वयं को रोजगार पाने और विकास के लिए असहाय महसूस कर रही थी ! इस स्थिति में !केंद्र सरकार भी अपने आप को असहाय महसूस करती थी क्योंकि केंद्र के भ्रष्टाचार निरोधक कानून यहां पर लागू नहीं होते थे ! परंतु 5 अगस्त 2019 को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस राज्य के निवासियों को इन राजा महाराजाओं और सामंतों से मुक्ति दिलाने के लिए धारा 370 और 35a को समाप्त करने के लिए पहले इसके प्रस्ताव को लोकसभा में पारित कराया और उसके बाद राष्ट्रपति के अनुमति के बाद इन धाराओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया ! इस प्रकार सच्चे अर्थों में इस राज्य का भारत में विलय हो गया तथा यहां के निवासी भी अब नए समय के विकास और बदलाव का अनुभव कर सकेंगे !
 
 
Article 370 _1  
 

धारा 370 और 35a हटने के बाद जम्मू कश्मीर राज्य में सुखद बदलाव देखे जा रहे हैं ! जम्मू कश्मीर का अलग संविधान समाप्त हो गया है जिसके परिणाम स्वरूप अब देश का कानून समान रूप से यहां भी लागू होगा ! पहले अलग संविधान के कारण यहां के नागरिकों की दोहरी कानून व्यवस्था का पालन करना पड़ता था ! अब यहां के नागरिक देश के अन्य नागरिकों की तरह केवल भारत के नागरिक होंगे ! राज्य के निवासियों की सोच को नियंत्रण में करने के लिए यहां की सरकारों ने उपरोक्त धाराओं के कारण राज्य की शिक्षा पर पूर्ण नियंत्रण किया हुआ था ! इसके लिए राज्य की पूरी शिक्षा व्यवस्था और यूनिवर्सट्रीओं पर राज सरकार का पूर्ण नियंत्रण था ! जिसके कारण यहां की सरकारें अपने प्रदेश का अलग अस्तित्व कायम रखने के लिए यहां के नौजवानों को भारत की अलग छवि शिक्षा पाठ्यक्रम में प्रस्तुत करती थी ! परंतु अब देश के अन्य भागों की तरह यहां की शिक्षा व्यवस्था भी पूर्णतया भारत के शिक्षा पाठ्यक्रम की तरह बन गई है ! 1990 में हिंदुओं और सिखों के पलायन के बाद कश्मीर घाटी में इनकी संपत्तियों पर यहां के निवासियों ने कब्जा कर लिया था ! अब नए कानून के अनुसार राज सरकार के अधिकारी इस प्रकार के अवैध कब्जों का अपने क्षेत्रों में स्वयं पता पता लगाएंगे तथा इन संपत्तियों को इनके असली मालिकों को सौंपेंगे ! इसके अतिरिक्त राज्य सरकार आतंकवाद और 1990 के विस्थापन के कारण यहां के 500000 सिख जो देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे थे उन्हें दोबारा से जम्मू कश्मीर का मूल निवासी घोषित करेगी ! धारा 370 के कारण जम्मू कश्मीर की कोई युवती जब किसी बाहर राज्य के युवक से शादी करती थी तो उसे अपनी पैतृक संपत्ति और नागरिकता से वंचित कर दिया जाता था ! परंतु अब ऐसा नहीं होगा ! पूर्व में जैसा कि धारा 35a में दिया हुआ था कि इस इस राज्य में यहां का नागरिक ही सरकारी नौकरी पा सकता है परंतु अब देश के किसी भाग का निवासी भी जम्मू कश्मीर में और राज्यों की तरह सरकारी पदों पर सेवा कर सकता है ! इसके अतिरिक्त अब जम्मू कश्मीर में विकास चारों तरफ फैलने लगा है, क्योंकि केंद्र द्वारा विकास और जनता की भलाई के लिए उपलब्ध धन का पारदर्शिता से उपयोग किया जा रहा है ! विशेष दर्जा के द्वारा प्राप्त संरक्षण के कारण यहां की सरकारें भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण इस धन को जनता तक नहीं पहुंचने दे रही थी ! 2019 से पहल राज्य में पंजाब से लगते हुए कठुआ शहर से आगे श्रीनगर तक कोई भी उद्योग प्राइवेट अस्पताल या निजी क्षेत्र का कोई उपक्रम नजर आता था ! इस कारण यहां के नौजवानों को रोजगार भी नहीं मिल पाता था ! इसका मुख्य कारण था धारा 35a के प्रतिबंध के कारण राज्य से बाहर का निवेशक यहां पर भूमि नहीं खरीद सकता था, जिसके कारण वह कोई उपक्रम भी शुरू नहीं कर पा रहा था ! परंतु अब निवेशक इस राज्य में नए-नए उपक्रमों की योजनाएं बना रहे हैं जिससे यहां पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और चारों तरफ खुशहाली बढ़ेगी ! इसलिए अब यहां पर तरह तरह की विकास की योजनाएं आ रही है ! इस प्रकार कहा जा सकता है की जम्मू कश्मीर राज्य जो देश के अन्य भागों के मुकाबले 72 साल पीछे था अब धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों की तरह कदम मिलाकर गर्व से आगे बढ़ेगा !
 
देश का हर व्यक्ति यह सोचता है कि आखिर जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35a क्यों लागू की गई और इस सीमावर्ती राज्य को विशेष दर्जा दिया गया जबकि राजा महाराजाओं की और रियासतें बिना किसी विशेष दर्जे के भारतीय गणराज्य में मिल गई थी ! इसके लिए हमें अक्टूबर 1947 की परिस्थितियों का अवलोकन करना पड़ेगा ! आजादी के समय पूरे भारत जिसमें पाकिस्तान का हिस्सा भी सम्मिलित है के अंदर राजाओं और नवाबों की 544 रियासतें थी ! अंग्रेजों ने आजादी के समय नियम बनाया जिसके अनुसार इन राजाओं और नवाबों की सहमति के द्वारा उनकी रियासतों का भारत या पाकिस्तान में विलय होना था ! इस नियम के अनुसार सारी रियासतों का विलय इन दोनों देशों में हो गया परंतु जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने किसी भी देश में विलय का निर्णय नहीं लिया ! पाकिस्तान आजादी के समय से ही कश्मीर प्रांत को हड़पना चाह रहा था ! इस प्रकार जब उसने देखा कि जम्मू कश्मीर की रक्षा के लिए केवल रियासत की एक छोटी सी सेना हैं तब उसने इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए कव्वालियों के रूप में अपनी सेना के द्वारा 25 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर हमला कर दिया ! और आज के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर कब्जा करते हुए आगे बढ़ने लगा ! महाराजा की छोटी सी सेना पाकिस्तान की सेना का मुकाबला नहीं कर सकी और इस प्रकार 28 अक्टूबर तक पाकिस्तानी सेना बारामूला तक पहुंच चुकी थी ! और किसी भी क्षण वह श्रीनगर पर हमला कर सकती थी ! स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महाराजा हरि सिंह ने 28 अक्टूबर की रात्रि में भारत में विलय का सहमति पत्र भारत सरकार को सौंपा ! जिसके बाद 28 अक्टूबर की रात में 10:00 बजे भारतीय सेना की पहली टुकड़ी श्रीनगर हवाई अड्डे उत्तरी ! जिसके बाद भारतीय सेना ने स्थिति को संभाला और पाकिस्तानी सेना को पीछे धकेला ! इस प्रकार भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को हराते हुए आगे बढ़ रही थी और शीघ्र ही वह पाक अधिकृत कश्मीर को भी मुक्त कराने वाली थी ! परंतु उसी समय पंडित नेहरू ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी ! जिसके कारण आज कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है ! इस प्रकार देखा जा सकता है कि क्या 28 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के राजा भारत सरकार से विशेष दर्जा मांगने की स्थिति में थे तो इसका उत्तर होगा बिल्कुल भी नहीं बल्कि वह दयनीय स्थिति में थे ! जिसमें वह किसी प्रकार के विशेष दर्जे की मांग नहीं कर सकते और ना उन्होंने की !विशेष दर्जे की मांग की थी ! यह मांग केवल और केवल शेख अब्दुल्ला और उसके साथियों ने अपने स्वार्थ के लिए की थी ! इस मांग को वैधता उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने वहां पर संविधान सभा का गठन कर लिया ! संविधान सभा का तात्पर्य है कि राज्य के लिए अलग से संविधानऔर कानूनों का निर्माण करना जैसे भारत के लिए संविधान सभा का गठन आजादी के फौरन बाद हुआ था ! जिसमें भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान को प्रस्तुत किया था ! जम्मू कश्मीर की इसी संविधान सभा ने राज्य के लिए अलग संविधान बनाया तथा विलय को स्वीकृति देने के लिए धारा 370 का प्रावधान भारत सरकार से मांगा ! इस प्रकार का प्रावधान और किसी रियासत ने पूरे भारत और पाकिस्तान में कहीं पर नहीं मांगा गया था ! तो फिर क्यों जम्मू कश्मीर को यह विशेष दर्जा दिया गया तो इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी ! उनका गृह राज्य होने के कारण उनके शेख अब्दुल्ला से गहरे संबंध थे ! इसलिए पंडित नेहरू ने संविधान के अध्याय 21 के रूप में जम्मू कश्मीर के लिए धारा 370 को राष्ट्रपति के आदेश के रूप 1954 में जोड़ा ! इसका तात्पर्य है इसको भारत की संविधान सभा और लोकसभा ने स्वीकृति नहीं दी थी ! शुरू से ही इस धारा के साथ जुड़ा हुआ है कि यह प्रावधान स्थाई नहीं है और यह प्रवर्तनीय है ! परंतु इसको हटाने के लिए जम्मू कश्मीर की संविधान सभा की स्वीकृति जरूरी है ! परंतु जम्मू कश्मीर की संविधान सभा 1954 में ही भंग कर दी गई थी ! इसलिए अभी तक देश की सरकारों को यह पता नहीं लग रहा था कि किस प्रकार जम्मू कश्मीर की संविधान सभा के ना होने पर इन धाराओं को हटाया जाए ! परंतु भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसका उत्तर ढूंढ निकाला और उसने भारत की सर्वोच्च सभा लोकसभा से पारित कराकर राष्ट्रपति से इसकी अनुमति लेकर इन दोनों धाराओं को समाप्त कर दिया ! इसके अतिरिक्त लंबे समय से देखा जा रहा था कि जम्मू कश्मीर के शासक लद्दाख क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं इसलिए पूरे राज्य को दो भागों में बांट दिया क्या इस प्रकार लद्दाख अलग से एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया !
 
जम्मू कश्मीर राज्य से धारा 370 और 35a हटने के बाद वहां के अलगाववादियों और पाकिस्तानी समर्थक तत्वों पर पूरी लगाम लग चुकी है ! अब वे इन धाराओं के संरक्षण में अपनी गतिविधियों को नहीं चला सकते ! भारत का हर कानून वहां पर लागू हो रहा है और भारतीय कानून के अनुसार देशद्रोहियों को उचित सजा के प्रावधान किए जा रहे हैं ! इस प्रकार इस राज्य में शीघ्र ही विकास होगा और खुशहाली आएगी ! अभी कुछ कुछ सूचनाएं मिल रही है कि यहां के पुराने आतंकवादी और असामाजिक तत्व यहां पर आने वाले निवेशकों को यहां आने से रोकने के लिए उन्हें धमकियां दे रहे हैं और इसमें राज्य के कुछ कर्मी भी उनकी सहायता कर रहे हैं ! परंतु जल्दी ही कानून के हाथ इन तक पहुंच जाएंगे और इस राज से लंबे समय से चला आ रहा भय और आतंक का माहौल समाप्त हो जाएगा !