पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकओ के हितों के प्रति भारत के धर्मनिरपेक्ष राजनीतिज्ञ और समाज सेवकों की सहानुभूति कहां है !

NewsBharati    12-Aug-2021   
Total Views |
पूरे देश ने टेलीविजन पर देखा कि किस प्रकार पाकिस्तान के रहीमयार खान में एक नवनिर्मित सिद्धिविनायक मंदिर में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की और मंदिर में स्थित प्रतिमा को तोड़कर अपवित्र किया ! आए दिन पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं ! इसी प्रकार अभी कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश के अंदर भी एक साथ वहां पर पाकिस्तान की तरह ही हिंदुओं के चार मंदिरों में तोड़फोड़ की गई और वहां पर स्थापित श्रद्धा के केंद्रों को तोड़ा गया और अपवित्र किया गया !यहां की सरकारों ने घड़ियाली आंसू बहाने के लिए बाद में कार्यवाही करने की औपचारिकता की परंतु यह कार्रवाई एक दिखावा मात्र थी, और इसके द्वारा वहां के अल्पसंख्यकों हिंदुओं और ईसाइयों को मूलभूत सुरक्षा की भावना नहीं मिलती दिखाई दे रही है, जो पूरे विश्व की मानवता को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त है !
 
Pak Hindu _1  H 
 
इसी संदर्भ में कहां जा सकता है की हर व्यक्ति को अपनी पुत्री सबसे प्यारी होती है और हर व्यक्ति अपनी पुत्री के रूप में अपने स्वाभिमान को देखता है ! परंतु पाकिस्तान में आए दिन हिंदुओं और सिखों की नाबालिक लड़कियों को उठाकर उन्हें जबरदस्ती इस्लाम कबूल करा कर उनका निकाह मुस्लिमों से कर दिया जाता है ! और खासकर ऐसे बुजुर्गों से जिनके बच्चे इन लड़कियों की उम्र से भी ज्यादा बड़े होते हैं ! अभी पिछले 36 दिनों में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में चार हिंदू लड़कियों का इसी प्रकार अपहरण किया गया है !कोरोना के समय लॉकडाउन में सबको रोजाना के खाने पीने की और स्वास्थ्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी कठिनाई हो रही थी और सरकारें अपने नागरिकों को हर प्रकार का सहयोग करने का प्रयत्न कर रही थी ! इसमें भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रति गैर सहानुभूति पूर्ण व्यवहार वहां की सरकारों ने किया ! इस पूरे माहौल से खिन्न होकर पिछले 12 महीने में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की 125 स्त्रियों ने आत्महत्या की है जो यह दर्शाता है कि वहां की अल्पसंख्यक आबादी कितना अपने आप को बेबस महसूस कर रही है ! इसमें सबसे चिंता का विषय यह है कि पाकिस्तान की पुलिस और न्याय व्यवस्था भी इस प्रकार अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति उदासीन है ! जिसके कारण वहां के अति वादियों का अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने के लिए मनोबल बढ़ता है ~!खालिस्तानी समर्थक पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा हितेषी मानते हैं परंतु अभी कुछ समय पहले ही ननकाना साहब के एक ग्रंथि की पुत्री का अपहरण किया गया और उसका निकाह एक मुस्लिम के साथ कर दिया गया ! इसके साथ साथ गरीब हिंदू और ईसाई परिवारों की लड़कियों को बहला-फुसलाकर चीन में ले जाकर बेच दिया जाता है, जहां उन्हें अच्छे-अच्छे सपने दिखाने का वायदा किया जाता है परंतु असलियत में उन्हें वहां पर चीनियों के भोग विलास का सामान बना दिया जाता है ! तो इस प्रकार देखा जा सकता है कि हमारे पड़ोस में ही अल्पसंख्यकों पर कि तने अत्याचार हो रहे हैं परंतु हमारे देश में अल्पसंख्यकों का थोड़ा सा भी बाल बांका होने पर छद्म धर्मनिरपेक्ष और इनके हितेषी बड़े-बड़े बयान देते हैं ! परंतु आज पिछले 72 सालों से ना तो भारत के किसी सरकार ने और ना ही हमारे देश के अल्पसंख्यकों के हितेषी कहे जाने वाले राजनीतिज्ञों ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के समर्थन में ना तो कोई बयान दिया और ना ही किसी धरने प्रदर्शन का आयोजन किया ! क्योंकि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक इनके वोट बैंक नहीं है !
 
बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ की महिला और बाल हितों के लिए बनाई गई एक कमेटी ने पाकिस्तान में पूरा विवरण वहां की महिलाओं के बारे में जुटाया और उन्होंने पाया कि वहां पर अल्पसंख्यकों की महिलाओं पर अत्याचार और उनके प्रति सरकारें भी सौतेला व्यवहार कर रही हैं ! इसका संज्ञान लेते हुए इस कमेटी ने पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया है कि अल्पसंख्यक और खासकर उनकी महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों जैसे अपहरण इत्यादि का संज्ञान शीघ्र से शीघ्र लिया जाना चाहिए और इनकी जांच और न्याय एक निर्धारित समय में क्रमबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए ! परंतु वहां की सरकारें मुस्लिम कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए इस कमेटी की रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दे रही है ! मुस्लिम कट्टरपंथी अल्पसंख्यकों की महिलाओं और उनके धर्म स्थलों पर हमला उनमें असुरक्षा की भावना पैदा करके उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाल रहे हैं ! आजादी के समय पाकिस्तान में 22 % ! हिंदू आबादी थी जो आज घटकर केवल 1.6% रह गई है ! इसी प्रकार बांग्लादेश में 71 में यह आबादी 14 परसेंट सी जो अब घटकर केवल 6% रह गई है ! इन दोनों देश से ज्यादातर अल्पसंख्यक या तो डर की भावना से धर्म परिवर्तन कर लेते हैं या भारत की तरफ आशय पाने के लिए पलायन कर जाते हैं ! इस पलायन और असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए पाकिस्तान सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है ! इसकी झलक इसी बात से मिलती है कि ना तो पाकिस्तानी सेना में और ना ही वहां के अन्य सिविल सरकारी विभागों में अल्पसंख्यकों को उसी प्रकार स्थान दिया गया जिस प्रकार भारतवर्ष में दिया जाता है !पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों की उपरोक्त स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून पारित किया जिसमें प्रावधान किया की प्रताड़ित हिंदू अल्पसंख्यक यदि पड़ोसी देशों से भारत में शरण लेते हैं तो उन्हें यहां पर नागरिकता प्रदान की जाएगी ! परंतु क्या इन पड़ोसी देशों में मुस्लिम आबादी भी प्रताड़ित है नहीं तो फिर क्यों भारत की लोकसभा द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया गया ! और उसके लिए पूरे 6 महीने तक दिल्ली में बंद और धरने प्रदर्शन का आयोजन किया गया !विश्वसनीय सूत्रों से पता लगा है कि पाकिस्तान की आईएसआई इस प्रदर्शन में पूरा सहयोग दे रही थी ! परंतु इस सब के बावजूद भी वोट बैंक के कारण राजनीतिज्ञों ने इन प्रदर्शनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई !
 
उपरोक्त स्थिति में होना चाहिए था कि भारत के धर्मनिरपेक्षता की वकालत करने वाले इन राजनेताओं और समाजसेवियों को पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकओ के प्रति हो रहे अत्याचारों और जुल्मों के विरुद्ध भी आवाज उठानी चाहिए थी ! परंतु ऐसा आज तक नहीं हुआ यह रिकॉर्ड पर है की आजादी से लेकर आज तक भारत की ना तो सरकारों ने और ना ही समाज सेवकों ने पाकिस्तान में हो रहे इन अत्याचारों के विरुद्ध कोई आवाज भरी हो ! हालांकि बांग्लादेश में भले ही पाकिस्तान जितना अधिक अतिवाद ना दिखता हो लेकिन वहां अल्पसंख्यक के लिए हालात अच्छे नहीं है ! इसका प्रभाव बीते दिनों खुलना जिले में चार मंदिरों पर हमले के रूप में देखा गया ! बांग्लादेश हो या पाकिस्तान या फिर अफगानिस्तान यहां के हिंदू सिख सताए जाने की स्थिति मेंहै और वे भारत की ओर मदद के लिए देखते हैं ! लेकिन भारत के लोग और खासकर यहां के विपक्षी दलों के राजनीतिक यहां की मुस्लिम आबादी को खुश करने के लिए इन देशों में हो रहे अत्याचारों के बारे में ना तो कोई आवाज उठाते हैं नहीं देश की लोकसभा के द्वारा पाकिस्तान या इन देशों को कोई संदेशदेते हैं ! जिसके कारण यह सब देश इन अल्पसंख्यकों के प्रति पूरी तरह से उदासीन है !पाकिस्तान में इसका एक और कारण भी है वह है कि वहां के अल्पसंख्यकों के लिए अलग चुनाव प्रक्रिया है जिसमें उनके वोटों से मुस्लिम प्रतिनिधियों के चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है इस कारण वहां के राजनेताओं को इन अल्पसंख्यकों की कोई परवाह नहीं है !परंतु भारतवर्ष में इस तरह का भेदभाव नहीं है जिसके कारण हर नागरिक की वोट का ध्यान हर राजनीतिक पार्टी रखती है यदि यही प्रणाली पाकिस्तान में भी होती तो आज वहां की अल्पसंख्यक आबादी इस प्रकार भयभीत और परेशान ना होती ! कुछ दिन पहले बंगाल में देखा गया वहां की तृणमूल कांग्रेस मुस्लिम वोट बैंक के कारण विजई हुई, जिसके धन्यवाद स्वरूप वहां की सरकार ने मुस्लिमों को हिंदुओं पर अत्याचार के लिए पूरी छूट दी हुई है !
 
उपरोक्त स्थिति में हिंदू सिख विवाद में ना जाकर भारत के पूरे समाज और सरकार को इन पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध उसी प्रकार आवाज उठानी चाहिए जिस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ ने उठाई है ! इसके साथ साथ भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में इन देशोंमैं अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को भी रखना चाहिएऔर जिस प्रकार आतंकवाद पर पाकिस्तान के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ कार्रवाई कर रहा है जिसके द्वारा उसे संदेह की लिस्ट में डाला हुआ है और अगले कदम के रूप में पाकिस्तान पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं !यदि इसी प्रकार की स्थिति वहां पर हो रहे अल्पसंख्यकों के अत्याचार के बारे में भी पैदा की जाए तो पाकिस्तान समेत सारे पड़ोसी देश सावधान होकर अल्पसंख्यक कल्याण की बात करेंगे इस प्रकार हमारे देश में बाहर से पलायन भी रुकेगा और चारों तरफ शांति भी स्थापित होगी |