देश के नौकरशाहों को परोक्ष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा अपनी कार्यप्रणाली में सुधार के लिए सलाह

NewsBharati    05-Aug-2021   
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देश में पहली बार किसी सत्ताधारी राजनीतिक ने इतने साफ शब्दों में नौकरशाहों को अपनी कार्यप्रणाली को सुधारने और जनता की सेवा करने का संदेश उस समय दिया, जब वह उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की 2019 की सम्मिलित राज्य प्रवर/ अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2019 में चयनित डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित अभ्यार्थियों को लखनऊ के लोक भवन सभागार में नियुक्ति पत्र वितरित करने के बाद संबोधित कर रहे थे ! इसके दौरान उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी अपने को पद के घमंड से जन्मे दिखावटी प्रोटोकॉल में बांधने से भी बचें ! वह टापू की तरह खुद को एकाकी जीवन में डालने से भी बचें क्योंकि जब हम जल में स्थित टापू की तरह बन जाते हैं तो हमारा समाज, देश और काल से संबंध विच्छेद हो जाता है ! ऐसी स्थिति में हमारे ईद गिर्दअसामाजिक तत्व और दलालों के रूप में घूमने वाली मक्खियों के जरिए जो व्यवस्था बिगड़ती हैउससे तरह-तरह की बीमारियां पैदा होती है ! अधिकारियों को पहले दिन से ही इन बीमारियों से बचना होगा ! मुख्यमंत्री ने और कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया का 2017 के पहले भाई भतीजावाद, जातिवाद और भ्रष्टाचार के कारण इस कदर पतन हो चुका था की न्यायालय को नियुक्तियों की सीबीआई जांच का आदेश देना पड़ा !
  
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मुख्यमंत्री मक्खियों के रूप में इशारा कर रहे थे की भ्रष्टाचार को बढ़ाने वाले दलालों से वह बचे और अपने को जनता से जोड़ कर रखें जिससे उन्हें अपनी कार्यप्रणाली के द्वारा प्राप्त परिणामों की सभी जानकारी सीधे जनता से ही प्राप्त हो सके क्योंकि जल मैं स्थित टापू मुख्य भूमि से अलग हो जाता है उसी प्रकार वह इन दलालों के कारण जनता से अलग ना हो ! मुख्यमंत्री को यह सब कहने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि जन कल्याण के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध करा गया धन इन योजनाओं के लाभार्थियों के स्थान पर अपात्रों में वितरित किया जा रहा है ! विकास के नाम पर चलाई गई बहुत सी योजनाओं में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं, जैसा कि लखनऊ की गोमती परियोजना के संबंध में देखा गया है ! इसी प्रकार अभी कुछ दिन पहले कानपुर के आसपास कुछ गरीबों को धनु राशि बांटी जानी थी जिसमें वह चयनित गरीबों के बजाय अन्य के पास पहुंचा दी गई और यह सब नौकरशाहों की नाक के नीचे होता रहा ! देशवासियों को अब तक याद है की भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने एक बार कहा था की जब सरकार 1रुपया भेजती है तो उसका केबल दसवां हिस्सा ही सही स्थान पर पहुंच पाता है और इसका कारण उन्होंने भी नौकरशाही में फैले भ्रष्टाचार को ही बताया था !
 
जिस प्रकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पहली बार खुलेआम नौकरशाही को अपनी कार्यप्रणाली को ठीक करने की सलाह दी है उसी प्रकार 4 अगस्त को देश की उच्चतम न्यायालय ने नोएडा विकास प्राधिकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह प्राधिकरण एक भ्रष्ट निकाय है ! और माननीय न्यायालय ने यहां तक भी कहा है कि इस प्राधिकरण की आंख नाक कान औरचेहरे से भी भ्रष्टाचार टपकता है ! इसी क्रम में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में भी पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार की सीमाएं लांग दी गई इसके अनुसार 2007 में नोएडा वेस्ट में स्थित पथवाड़ी, बिसरख और शाहबेरी गांवों की जमीनों को इमरजेंसी क्लोज लगाकर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने उद्योगों के लिए लिया था ! परंतु चुपचाप प्राधिकरण के बड़े नौकरशाहों ने इस जमीन का लैंड यूज़ उद्योग से बदलकर रिहायशी बनाकर इसे बिल्डरों को बेच दिया ! इस प्रकार की सूचनाएं भी मिली है कि प्राधिकरण ने किसानों से इस भूमि को केवल400 रुपए मीटर खरीद कर इसके बाद बिल्डरों से 15000 रुपए मीटर तक की घूस लेकर उन्हें इसे बेच दिया ! उच्चतम न्यायालय में उपरोक्त विवाद में नोएडा के एमेरल्ड कोर्ट के ट्विन टावर मामले में सुनवाई करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की थी ! इस विवाद में न्याय और इंसानियत की सीमाएं प्राधिकरण ने उस समय पार की जब उसने इन टावरों में फ्लैट खरीदारों के विरुद्ध बिल्डर की मदद करने की कोशिश की जो सरासर गलत था! जबकि होना चाहिए था की जनता का विकास प्राधिकरण जनता की सहायता करें ! परंतु ऐसा नजर नहीं आ रहा है ! इस प्रकार की अनेक घटनाएं नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में क्षेत्र में देखी जा सकती हैं ! सरेआम अवैध क्षेत्रों में भवन निर्माण होते रहते हैं और प्राधिकरण के अधिकारी चुपचाप देखते रहते हैं और जब शोर शराबा मचता है तब दिखावे के लिए इन भवनों को ध्वस्त की कार्रवाई करने की कोशिश की जाती है ! इस प्रकार का व्यवहार दर्शाता है कि प्राधिकरण के हर स्तर के कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त है ! अभी- कुछ दिन पहले ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में अवैध निर्माण को गिराने के आदेश आए थे जिसके कारण इन मकानों में रहने वाले निवासी बुरी तरह घबराए हुए थे ! क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की सब जमा पूंजी इन मकानों में लगाई हुई है ! इस प्रकार भ्रष्टाचार के द्वारा इन प्राधिकरण में काम करने वाले नौकरशाह जनता के साथ साथ देश की शासन व्यवस्था को भी धोखा दे रहे हैं !
 
यहां पर यह विचारणीय है कि आखिरकार देश की नौकरशाही इतनी भ्रष्ट और निरंकुश क्यों है m,तो इसका उत्तर होगा की इसका नियंत्रण उपनिवेशवादी सिविल सर्विस एक्ट 1919 के द्वारा अभी भी किया जा रहा है ! अंग्रेजों ने यह एक्ट इस बात को ध्यान में रखते हुए बनाया था कि उनका हर नागरिक जिसे वह भारत में नौकरशाह बना कर भेजते थे उसमें राष्ट्रवाद, राष्ट्र के प्रति वफादारी और ईमानदारी कूट-कूट कर भरी हुई है ! उस देश ने कभी गुलामी नहीं देखी इसलिए उनका नागरिक राष्ट्रवाद का उदाहरण है और वह जब जिस पथ पर चलता है वह उस पर देश और जन कल्याण की भावना से कार्यकरता है ! अंग्रेजों की सारी बुराइयों के बावजूद अभी भी देशवासी अंग्रेजों के शासन को ईमानदारी और व्यवस्था के लिए याद करते हैं ! इस एक्ट में अपने कर्मचारियों और नौकरशाहों को काम करने की पूरी स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए अंग्रेजों ने इनके द्वारा किए हुए कार्यों को शासकीय सुरक्षा प्रदान की थी ! इसका तात्पर्य हुआ की एक आम नागरिक इन्हें इनके कार्यों के लिए किसी अदालत में चुनौती नहीं दे सकता ना ही इनसे कोई जवाब मांग सकता है ! 1947 में सरदार पटेल ने विश्वास के साथ यह सोचकर इस सिविल सर्विसेज एक्ट को स्वीकार कर लिया था कि जब इसके द्वारा दूर देश सेआए हुए नौकरशाहों ने देश को अच्छा प्रशासन दिया है तो हमारे देश के अपने नौकरशाह उससे भी अच्छा प्रशासन देश को प्रदान करके देश की प्रगति में सहायता करेंगे ! परंतु गुलामी की मानसिकता के कारण हमारे नौकरशाहों ने केवल स्वयं की देखभाल और अपने हितों की सुरक्षा के लिए राजनीतिज्ञों के इशारे पर तरह-तरह के भ्रष्टाचार करके देश के विकास के धन को स्वयं के लिए प्रयोग में लिया ! अभी कुछ समय पहले एक रिपोर्ट आई थी जिसमें स्विस बैंक में देश के नौकरशाहों का भी काला धन जमा है ! इसके अतिरिक्त ज्यादातर नौकरशाहों के व्यक्तिगत धन-संपत्ति उनकी आय के कई गुना ज्यादा होती है ! जिसका वह सरेआम सेवानिवृत्ति के बाद प्रदर्शन करते हैं और उसके साथ साथ अपने आप को जागीरदार और सामंतों की तरह प्रस्तुत करके उसी प्रकार का व्यवहार करते हैं ! इसी कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इन्हें घमंड से दूर रहने के लिए कहा है !
 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश की उच्चतम न्यायालय के द्वारा इस प्रकार की टिप्पणी के बाद पूरे देश को देश की शासन व्यवस्था को चलाने वाली नौकरशाही को नया रूप देने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए ! जिसके द्वारा ऐसे प्रावधान किए जाने चाहिए जिससे इस पद पर पहुंचने वाले हर नौकरशाह की कार्यप्रणाली और उसकी व्यक्तिगत संपत्ति हर समय पारदर्शी हो और उससे इस नौकरी में आने से पहले ही इस प्रकार का अनुबंध लेना चाहिए कि वह अपनी संपत्ति और कार्यप्रणाली का हिसाब हर साल बिना किसी विरोध के समय से दाखिल करेगा ! इसके साथ साथ भारतीय संविधान के द्वारा नौकरशाहों को उपलब्ध सुरक्षा में भी उचित बदलाव किए जाने चाहिए जिससे इनकी जवाबदारी जनता के प्रति भी हो ! जिससे इन्हें यह महसूस होगा की इनके कामों को भी जनता चुनौती दे सकती है! यहां पर यह सराहनीय है की देश में लागू पुलिस एक्ट 1861 के विरुद्ध स्वयं पुलिस के उच्चतम पद पर रहने वाले श्री प्रकाश सिंह ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था ! जिस पर माननीय न्यायालय ने सुधार के आदेश जनवरी 2007 में दे दिए थे ! परंतु ऐसा आज तक किसी नौकरशाह ने नहीं किया है ! क्योंकि देश के नौकरशाह अपने आप को एक अलग क्लास मानते हैं और इस तरह के व्यवहार को वह उचित समझते हैं !
 
अक्सर आधारभूत ढांचे के नाम पर देश में सड़क,विद्युत जल इत्यादि को ही माना जाता है परंतु देश का असली आधारभूत ढांचा उसके प्रशासन को चलाने वाली नौकरशाही है ! जिसके द्वारा पूरे देश की कार्यप्रणाली संचालित होती है ! यदि हमें देश का निर्माण करना है तो सर्वप्रथम हमें कार्यप्रणाली को चलाने वाली नौकरशाही का स्वरूप बदल कर इसका भारतीय करण करना होगा ! इसके लिए जहां सिविल सर्विस एक्ट 1919 और पुलिसएक्ट 1861 में सुधारों की आवश्यकता है, वहीं पर नौकरशाहों की चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण में भी सेना की तरह सुधार होना चाहिए ! सेना में अधिकारी चुनते समय उन्हें 5 दिन के लिए सेना के सिलेक्शन सेंटर में बुलाया जाता है, जहां पर उन्हें विभिन्न वाद विवाद प्रतियोगिता और मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के द्वारा यह देखा जाता है कि क्या उसमें सेना में अधिकारी बनने के गुण हैं ! यदि यही प्रणाली नौकरशाही के चयन में भी इस्तेमाल की जाए तो यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि देश को ईमानदार और राष्ट्रीयता से भरपूर कर्मचारी उपलब्ध होंगे !