सुपरटेक घोटाले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद देश में लागू देशद्रोह के कानून में बदलाव की आवश्यकता

NewsBharati    02-Sep-2021   
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नोएडा प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई तल्ख टिप्पणी सब कुछ बयां करने के लिए पर्याप्त है अकेले नोएडा ही नहीं बल्कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भी भ्रष्टाचार में लिप्त रहा है और यह भ्रष्टाचार इन प्राधिकरण में सत्ता की कुंजी रखने वाले नौकरशाहों के द्वारा सरेआम किया गया है ! 2004 में सुपरटेक बिल्डर को भूमि का आवंटन किया गया जिसमें सुपरटेक को 15 मंजिला इमारत बनाने की स्वीकृत प्रदान की गई थी ! परंतु धीरे धीरेप्राधिकरण की सांठगांठ के द्वारा यह 15 मंजिल 2012 तक 44 मंजिल तक पहुंच गई जिसके कारण इस क्षेत्र के निवासियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है ! सरेआम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में और दिल्ली से केवल 20 किलोमीटर दूर इस प्रकार की अनियमितता करते वक्त किसी भी नौकरशाह को कोई भय नहीं हुआ जिससे यह निश्चित हो गया कि इस भ्रष्टाचार की जड़ सत्ता में काफी गहरी बैठी हुई थी, अन्यथा सत्ता का नियंत्रण होता तो इस प्रकार का सरेआम भ्रष्टाचार इस क्षेत्र में ना होता ! इस बिल्डर द्वारा यह पहली अनियमितता नहीं है इससे पहले इसी बिल्डर ने ग्रेटर नोएडा के ओमी क्रोन सेक्टर मैं 2005 में भूखंड केवल 840 फ्लैट बनाने के लिए लिया था ! परंतु प्राधिकरण के आशीर्वाद से इसने इस भूखंड परजन सुविधाओं के लिए आवंटित जमीन पर 1040 फ्लैट और बना दिए ! इसी प्रकार के भ्रष्टाचार का खेल पूरे नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में खेला जा रहा है ! परंतु इसको रोकने वाली सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है ! अन्यथा आसमान को छूती हुई अनियमितता से बनी इमारत सरकार को पहले ही नजर आ जाती औरसंबंधित प्राधिकरण कर्मियों और बिल्डरों के विरुद्ध उचित कार्यवाही हो जाती ! इस प्रकार के हजारों उदाहरण यहां पर पाए जाते हैं ! नोएडा वेस्ट के क्षेत्र की पूरी भूमि 2007 में इमरजेंसी क्लोज के तहत अधिकृत की गई थी ! इस अधिग्रहण का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में उद्योगों को स्थापित करना था जिससे इस क्षेत्र के नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके ! परंतु कुछ ही महीनों में इस पूरी भूमि का लैंड यूज़ बदलकर इसे बिल्डरों को बड़ी-बड़ी रिश्वत लेकर दे दिया गया जिस पर चारों तरफ बिल्डरों ने इस उपजाऊ क्षेत्र को कंक्रीट का जंगल बना दिया !
 
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इन अपराधिक अनियमितताओं के लिए नौकरशाहों को इसलिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए क्योंकि कहावत के अनुसार चोर तो चोरी करेगा परंतु उसको इस चोरी से रोकने के लिए उस क्षेत्र की पुलिस और चौकीदार जिम्मेदार होते हैं ! इसी के अनुसार प्राधिकरण में अनियमितताओं को रोकने की जिम्मेदारी जनता के सेवक कहे जाने वाले नौकरशाहों की है ! परंतु इन नौकरशाहों ने भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपनी जिम्मेवारी को नहीं निभाया इसलिए जिस प्रकार एक चौकीदार को सजा दी जाती है उसी प्रकार इन नौकरशाहों को भी इन अनियमितताओं के लिए अपराधिक धाराओं के अंतर्गत कड़ी सजा दी जानी चाहिए ! क्योंकि इनके इन कृत्यों से आम जनता में देश की सत्ता के विरुद्ध असंतोष उपलब्ध उत्पन्न होता है जिसके कारण जनता मैं विद्रोह की भावना के साथ साथ अपराधिक गतिविधियां भी बढ़ जाती है ! अक्सर अपराधी यह कहते सुने गए हैं की यदि सत्ता चोरी कर रही है तो हम क्यों नहीं करें क्योंकि हम तो छोटे मोटे चोर हैं सत्ता के प्रतिनिधि तो करोड़ों की चोरी सरेआम कर रहे हैं ! और उसके बाद माननीय बने हुए हैं ! इस प्रकार इन नौकरशाहों के कारनामे देश में असंतोष और देश विरोधी गतिविधियां फैलाने के लिए पर्याप्त हैं जो एक प्रकार से देशद्रोह की परिभाषा में आना चाहिए ! क्योंकि देशद्रोह की परिभाषा में जो भी व्यक्ति अपने शब्दों से या किसी कृत्य से देश में असंतोष या घृणा फैलाने की कोशिश करता है उसे देशद्रोह माना जाता है, तो क्या इन प्राधिकरणओ के नौकरशाहों ने अपने भ्रष्टाचार के द्वारा पूरे देश की जनता में असंतोष और सरकार के के प्रति घृणा नहीं फैलाई है क्या इस सब को देख कर एक आम नागरिक देश के कानून में विश्वास करेगा !इसको देखते हुए इस प्रकार के घोटालों में सहयोग देने वाले नौकरशाहों के विरुद्ध देशद्रोह की धारा में भी मुकदमे चलाए जाने चाहिए !

जर्मनी के बर्लिन में स्थित एक एनजीओ ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत को सबसे भ्रष्ट देश माना है ! उसके अनुसार भारत में 10 में से 7 व्यक्तियों ने कभी ना कभी सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत दी है ! इसी प्रकार के अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारतवर्ष को भ्रष्ट राष्ट्र कहां है ! जिसके कारण विदेशी निवेशक अक्सर भारत सरकार से सिंगल विंडो की मांग करते हैं ! जिसका उद्देश्य केवल एक ही स्थान से सारी औपचारिकताएं पूरी करना है ! अन्यथा देश में अनेक सरकारी नियंत्रण करने वाले संगठन एक देशवासी को तरह-तरह की मांगों के द्वारा रिश्वत देने के लिए मजबूर करते हैं ! जिसमें खासकर औद्योगिक क्षेत्र में 21 प्रकार के इंस्पेक्टर आकर तरह तरह का नियंत्रण करके रिश्वत की वसूली करते हैं ! भारत में भ्रष्टाचार का लंबा इतिहास है इसके कारण केंद्र में सत्ता परिवर्तन भी हुए परंतु अभी तक भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगी है !इसका मुख्य कारण है कि जब कोई घटना घट जाती है उस समय पूरा देश सड़कों पर उतर आता है तथा तरह तरह के प्रदर्शनों से कार्यवाही की मांग करता है परंतु कुछ समय बीत जाने पर हमारे देश वासी पुरानी बात को भूल जाते हैं और इस प्रकार सरकारें इन घटनाओं को आराम से फाइलों में दबा देती है और अपराधी मजे से अपनी गतिविधियां चलाते रहते हैं ! आज देश में 2008 में 2G इलेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रम तथा 2009 में देश के ऑडिटर जनरल के द्वारा प्रकाश में लाए गए कोयला खदानों के आवंटन में किए गए घोटालों के बारे में अब कोई बात नहीं करता ! जबकि अकेले 2जी घोटाले में 1.76 ट्रिलियन धन का घोटाला प्रकाश में आया था ! इसी प्रकार अगस्ता हेलीकॉप्टर खरीद और 2006 में देश की नौसेना के लिए पनडुब्बी घोटाले है ! 2012 में देश का सबसे बड़ा जमीन आवंटन घोटाला कर्नाटक में प्रकाश में आया जहां पर वहां के मुस्लिम वक्फ बोर्ड ने 27000 एकड़ जमीन जिसकी कीमत 2000 बिलियन आंकी गई थी का घोटाला किया ! इसी प्रकार 2002 में अब्दुल करीम तेलगी ने देश के 12 राज्यों में सरकारी स्टांप पेपर का घोटाला किया ! इसी प्रकार के अनेक उदाहरण है जिनमें राष्ट्रीय स्तर पर हजारों करोड़ों के घोटाले हुए और इनमें अपराधियों के साथ-साथ नौकरशाहों की भूमिकाएं भी सामने आई ! परंतु अभी तक इन घोटालों के लिए जिम्मेदार किसी भी सरकारी कर्मी को या घोटालेबाज को किसी सख्त सजा का ऐलान नहीं हुआ है ! इन घोटालों के मामलों में अदालतों में हो रही देरी का मुख्य कारण है की सत्ता और नौकरशाही के गठबंधन का प्रभाव इनमें सबूतों को अदालतों तक पहुंचने ही नहीं दे रहा है ! इसलिए अभी तक इन बड़े घोटालों में न्याय नहीं हो सका है !

प्रशासन में बैठे हुए नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों के द्वारा विकास की योजनाओं में किए हुए घोटालों का धन सीधा सीधा जनता के कल्याण से जुड़ा होता है इस प्रकार यह देश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है ! यहां पर यह विचित्र है कि इन घोटालों को करने वाले नौकरशाहों को अभय दान संविधान की धारा 311 के द्वारा मिला हुआ है ! इस धारा का मुख्य उद्देश नौकरशाहों को भयमुक्त वातावरण में अपने कर्तव्य को निभाने के लिए है ! इस धारा के अनुसार किसी भी नौकरशाह के विरुद्ध उसके कर्तव्य निर्वहन के संबंध में किसी भी हालत में सरकार की अनुमति के बगैर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, ! और उनके विरुद्ध मुकदमा चलाने के लिए अनुमति की प्रक्रिया नौकरशाहों के द्वारा ही की जाती है जो अक्सर अपने साथियों के विरुद्ध इस अनुमति को आसानी से प्रदान नहीं करते ! नौकरशाहों को यह सुरक्षा अंग्रेजी समय से प्राप्त है अंग्रेजों ने अपने नौकरशाहों को यह सुरक्षा इसलिए प्रदान की थी कि वह भयमुक्त वातावरण में अपनी ड्यूटी को निभा सकें ! परंतु यहां यह विचारणीय है की वहां के प्रत्येक नागरिक मैं राष्ट्रीयता तथा अपनी सरकारों के प्रति कर्तव्य निष्ठा कूट-कूट कर भरी हुई थी, जिसके कारण वह अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से करते थे ! परंतु हमारे देश में गुलामी की मानसिकता के कारण ज्यादातर कर्मी एक गुलाम की तरह केवल अपने लिए ही सोचते हैं ! इस कारण इन्हें मौका मिलते ही यह भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं और अपने भ्रष्टाचार को सत्ता की सुरक्षा प्राप्त करने के लिए यह अपने पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार से प्राप्त धन का एक बड़ा हिस्सा सत्ता में बैठे हुए नेताओं तक पहुंचाते हैं ! जिसका परिणाम नोएडा ग्रेटर नोएडा और इसी प्रकार के अन्य विकास प्राधिकरण में हुए घोटालों के में देखा जा सकता है ! किस प्रकार सरेआम नियम कानूनों की अवहेलना होती रही और संबंधित सरकारें इसकी मूकदर्शक बनी रही !

अब समय आ गया है जब देश में आधारभूत ढांचे में वास्तव में सुधार के जाना चाहिए और यह आधारभूत ढांचा है देश का प्रशासन और इसको चलाने वाली नौकरशाही ! इसलिए अंग्रेजों द्वारा लागू सिविल सर्विस एक्ट 1919 जिसके द्वारा देश की नौकरशाही अभी तक नियंत्रित हो रही है इसमें प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अनुसार सुधार किए जाने चाहिए ! प्रजातांत्रिक व्यवस्था में देश की जनता को भी अधिकार होना चाहिए कि वह इस प्रकार के विकास कार्यों में सरेआम हो रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठा सके ! और साथ में देश की न्याय प्रक्रिया मैं भी सुधार किए जाने चाहिए जिससे इनके द्वारा शीघ्र अति शीघ्र न्याय दिया जा सके !

उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा विकास प्राधिकरण मैं नौकरशाहों के घोटालों के बारे में उच्चतम न्यायालय के द्वारा दी हुई टिप्पणी के बाद शीघ्र अति शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया है ! इसी प्रकार कानपुर के चर्चित संगठित अपराधों मैं लिप्त विकास दुबे के साथ संबंध रखने वाले पुलिस और अन्य कर्मियों की पहचान एक जांच आयोग के द्वारा करा ली है ! अब उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि इन दोनों मामलों में शीघ्र अति शीघ्र कार्यवाही करके संबंधित अपराधियों को कड़ी सजा दिलवा कर जनता का विश्वास और मनोबल दोबारा मजबूत करें और वास्तव में देश में जनता की सरकार का अनुभव देश के नागरिकों को हो !