नोएडा में यूनिटेक कि टावरों और अमेरिका के विश्व व्यापार केंद्र की दोनों टावरों के ध्वस्तिकरण में समानताएं

अक्सर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गुट देश में इस स्थिति का फायदा उठाकर दंगे फसाद करवाते हैं जिस से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होने के कारण देश की आर्थिक स्थिति भी खराब होती है

NewsBharati    04-Feb-2022 14:28:47 PM   
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11 सितंबर 2001 में अमेरिका के विश्व व्यापार केंद्र में दो टावर थी और नोएडा में भी यूनिटेक के एमराल्ड कोर्ट मैं भी दो ही टावर है जिनका ध्वस्तिकरण माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार किया जाना है ! इनमें अमेरिका के विश्व व्यापार केंद्र की टावरों को आतंकियों द्वारा दो विमान टकराकर किया गया और यूनिटेक के टावरों का ध्वस्तिकरण नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मियों और यूनिटेक की अनैतिक और भ्रष्टाचार रूपी आतंकी संगठन द्वारा किया जा रहा है ! हमारे देश में भ्रष्टाचार रूपी आतंकवादउसी प्रकार की हरकत कर रहा है जैसे विश्व के अन्य देशों में आतंकी संगठन उस देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज मैं शासन तंत्र के प्रति विश्वास फैलाकर कर रहे हैं ! जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी वहां के निवासियों को भारत की सरकार के विरुद्ध बरगला कर उन्हें देश विरोधी बनाने की कोशिश कर रहे हैं उसी प्रकार भ्रष्टाचार रूपी आतंकवाद सेबुरी तरह प्रभावित देशवासियों को कर रहा है जिससे इनका शासन तंत्र में विश्वास और राष्ट्रीयता की भावना पर बुरा प्रभाव भी पड़ रहा है ! इसी कारण अक्सर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गुट देश में इस स्थिति का फायदा उठाकर दंगे फसाद करवाते हैं जिस से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होने के कारण देश की आर्थिक स्थिति भी खराब होती है !
 
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जैसा कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में देखने में आया था ! इसी प्रकार शाहीन बाग धरना प्रदर्शन के बाद पाकिस्तान के आतंकियों ने दिल्ली में दंगे उस वक्त कराएं जब अमेरिका के राष्ट्रपति भारत में दौरा कर रहे थे ! उस समय पूरा विश्व मीडिया दिल्ली में सक्रिय था जिसने इन दंगों को बड़े पैमाने पर विश्व में दिखाकर भारत की प्रतिष्ठा को बड़ी क्षति पहुंचाई थी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के द्वारा ही देश का स्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होता है ! पूरे विश्व में ऐसा उदाहरण कहीं नहीं मिलता जहां पर भ्रष्टाचार के द्वारा दो 40 मंजिलें वाली इमारतें शासन तंत्र के कर्मियों की सांठगांठ के द्वारा देश की राजधानी के बिल्कुल सामने खड़ी हो और इस गैरकानूनी निर्माण को वही कर्मी मूकदर्शक बनकर देखते रहे जिनकी जिम्मेदारी ऐसे निर्माणों को रोकना है ! इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार के प्रति जब देश की राजधानी के आसपास ही इस तरह का रुख सरकारी तंत्र का है तो देश के अन्य भागों में कैसी स्थिति होगी ! यूनिटेक की इन टावरों को ध्वस्त होते हुए देखने के लिए पूरी दुनिया इंतजार कर रही है और विश्व मीडिया इसको अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए प्रसारित करने का इंतजार कर रहा है क्योंकि यह विश्व की एकअनोखी घटना होगी विश्व की अनोखी घटना को दिखाने के लिए पूरे विश्व का मीडिया इंतजार कर रहा है क्योंकि यह एक ऐसी घटना है जिसके द्वारा विश्व में भारत के भ्रष्टाचार के स्मारक को अदालत के आदेश के बाद तोड़ा जा रहा हो !जहां विश्व में तरह तरह के आतंकवादी संगठन सक्रिय है वहीं पर भारत में भ्रष्टाचाररूपी शासन तंत्र का आतंकी संगठन यहां की जनता में फैला रहा है शासन तंत्र में भ्रष्टाचार एक परंपरा के रूप में स्वीकार कर लिया गया है तो क्या इस स्थिति में देशवासियों की राष्ट्रीयता की भावना प्रभावित नहीं होगी और इसके साथ साथ इस स्थिति में बाहर के देश क्या उसी प्रकार यहां पर निवेश करेंगे जिस प्रकार अन्य देशों में हो रहा है आतंकवाद के कारण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान आज टूटने और दिवालियापन के कगार पर आ चुका है जो एक चिंताजनक स्थिति है तो क्या इस प्रकार के भ्रष्टाचार रूपी आतंकवाद से हमारे देश में यह स्थिति नहीं आ सकती !
 
आतंकवादी संगठन का मुख्य उद्देश्य संबंधित देश की जनता को आतंकित करना और उस देश की आर्थिक व्यवस्था को तहस-नहस करना होता है ! हमारे देश के शासन तंत्र में नौकरशाही, पुलिस, आबकारी, सीमा शुल्क इत्यादि विभागों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि एक आम देशवासी इन विभागों के नाम लेने से ही उसी प्रकारआतंकित हो जाता है जैसे किसी आतंकवादी से ! इस भ्रष्टाचार के कारण इन विभागों में काम करने वाले सरकारी कर्मियों का रुतबा तय होता है और इनके विभाग से ही इनकी आर्थिक दशा का अनुमान लगा लिया जाता है ! इस कारण जिस शासन तंत्र को देशवासियों को अपना सहायक समझना चाहिए उसी शासन तंत्र से आज देश की जनता डरी हुई है ! देश में व्यवस्थित शहरी करण के लिए ज्यादातर बड़े शहरों में विकास प्राधिकरण प्राधिकरणओ का गठन किया गया था !
 
जिससे इन शहरों के निवासियों के लिए हर प्रकार की सुविधा और व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके ! परंतु इन प्राधिकरणओ में भ्रष्टाचार के कारण तरह-तरह के गैरकानूनी काम यूनिटेक की टावरों की तरह हो रहे हैं ! इसका सबसे बड़ा उदाहरण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित नोएडा और ग्रेटर नोएडाके बीच की जमीने हैं जिसे नोएडा वेस्ट के नाम से पुकारा जाता है इन जमीनों का अधिग्रहण केवल औद्योगिकरण के लिए किया गया था परंतु यहां पर केवल आवासीय भवनों का निर्माण हुआ है ! यह निर्माण उत्तर प्रदेश भवन निर्माण कानून की सरेआम अनदेखी करते हुए शासन तंत्र और राजनीतिज्ञों की मिलीभगत से हुआ है ! यह औद्योगिकरण का क्षेत्र प्राइवेट बिल्डरों को इस भूमि का उपयोग बदल कर दे दिया गया ! क्या इस तरह की हरकत से औद्योगिकरण के लिए निर्मित इन दोनों शहरों में उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है और क्या इसके द्वारा इस क्षेत्र की बेरोजगारी मिट सकती है ! परंतु देश का शोपीस कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सबकी नजरों के सामने यूनिटेक ने प्राधिकरण के कर्मियों से मिलकर सरेआम उत्तर प्रदेश सरकार के भवन निर्माण कानूनों के उल्लंघन करते हुए 22 मंजिला इमारत को 40 मंजिला बनवा दिया जिसमें एमराल्ड कोर्ट के और इन दोनों टावरों के निवासियों की प्राकृतिक आवश्यकताओं जैसे सूर्य की रोशनी, हवा, प्रदूषण इत्यादि का खयाल नहीं रखा गया ! इन प्राकृतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए टावरों के बीच में एक निश्चित दूरी होनी चाहिए परंतु यूनिटेक ने भ्रष्टाचार के द्वारा 24 मंजिल इमारत का निर्माण केवल 9 मीटर की दूरी रखकर कर लिया जबकि यह दूरी 16 मीटर होनी चाहिए थी और इसके बाद बाद इन्हीं टावरों को इतनी ही दूरी के साथ 40 मंजिला बना दिया गया ! यह सब गैर कानूनी काम प्राधिकरण के कर्मियों ने मोटी मोटी रिश्वत लेकर करवाया और इस रिश्वत का कुछ भाग अपने राजनीतिक आकाओं तक पहुंचाया ! यह गैरकानूनी काम सरेआम नोएडा और ग्रेटर नोएडा को जोड़ने वाले एक्सप्रेस हाईवे के बिल्कुल सामने हुआ है ! इस प्रकार देखा जा सकता है इन भ्रष्ट कर्मियों के हौसले कितने बुलंद हैं ! इसको देखते हुए एमराल्ड कोर्ट के निवासियों ने पहले उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय में और बाद में देश के उच्चतम न्यायालय में न्याय के लिए गुहार लगाई जिस पर उच्चतम न्यायालय ने सारी दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया है कि इन दोनों टावरों का शीघ्र द्वास्ती ध्वस्ति करण होना चाहिए और यह ध्वस्तिकरण मई 2022 तक पूरा हो जाना चाहिए !
 
विश्व व्यापार केंद्र की टावरों के ध्वस्त होने के बाद इन टावरों का मलबा हटाने के लिए हजारों करोड़ का खर्चा अमेरिकन सरकार को करना पड़ा क्योंकि इन टावरों का 10 लाख 80000 टन मलवा हटाना था जिसमें अमेरिका जैसे विकसित देश को पूरे 9 महीने का समय लगा ! यहां भारत में इस निर्माण के मलबे को साफ करने में कितना समय लगेगा इसकी कल्पना नहीं की जा सकती ! इसके अतिरिक्त इस मलबे के कारण इस क्षेत्र के 3 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले निवासियों के लिए इसके प्रदूषण के कारण रहना मुश्किल हो जाएगा ! इस प्रकार ज्यादातर औद्योगिकरण के लिए अधिग्रहित की हुई जमीनों को इनका उपयोग भवन निर्माण में बदलकर बिल्डरों को इन पर आवासीय भवन निर्माण के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों ने मोटी मोटी रिश्वत लेकर जिसमें सत्ताधीश राजनीतिज्ञों का पूर्ण आशीर्वाद था दे दी ! इसी कारण से देश में आशा के अनुरूप औद्योगिकरण नहीं हुआ जिसका अंदाजा एनसीआर के औद्योगिक क्षेत्रों से लगाया जा सकता है! क्या इस प्रकार देश का आर्थिक विकास संभव है और क्या देश में बेरोजगारी मिटाई जा सकती है ! यदि हवाई मार्ग से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का सर्वे किया जाए तो दिल्ली के 100 किलोमीटर के दायरे में केवल आवासीय इमारतें ही नजर आती हैं और यहां पर इन इमारतों में केवल 40 परसेंट इमारतों का ही प्रयोग रहने के लिए किया जा रहा है बाकी सब खाली पड़ी है ! इस निष्कर्ष निकलता है की आवश्यकता से अधिक भवनों का निर्माण क्षेत्र में हुआ है जिस निर्माण को विदेशों को निर्यात नहीं किया जा सकता ! एक प्रकार से भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ व्यापारिक धोखा है !
 
भारत में नौकरशाहों के लिए भारतीय संविधान के अनुसार सुरक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उत्तर प्रदेश में कार्यरत 3 आईएएस अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई जांच के लिए सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार से इजाजत मांगी है जिस पर सरकार विचार कर रही है ! इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड में इस में काम करने वाले कर्मचारियों की भविष्य निधि में सरकारी तंत्र में बैठे हुए नौकरशाहों के द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार करने का मामला उस समय प्रकाश में आया जब पावर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय भविष्य निधि से कोई धन नहीं दिया गयाक्योंकि इनका अंशदान भविष्य निधि में जमा ही नहीं किया गया था ! सरेआम इतना बड़ा भ्रष्टाचार केवल इसलिए हो पाया क्योंकि हमारे संविधान में नौकरशाहों को पूरी सुरक्षा प्राप्त है ! भारतीय कानून की सीआरपीसी की धारा 161 164 और 165 के द्वारा भारतीय शासन तंत्र को चलाने वाले भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा तथा अन्य केंद्रीय राजपत्रित अधिकारियों के विरुद्ध कोई भी अभियोग चलाने के लिए संबंधित केंद्रीय या प्रदेश की सरकार से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य है ! अक्सर यह अनुमति लंबे समय तक विचाराधीन रहती है,, क्योंकि इस अनुमति को प्रदान करने की प्रक्रिया में इन्हीं सेवाओं के अधिकारी होते हैं जो अपने साथियों की तरफदारी करते हुए उन्हें इस प्रकार के अभियोगों से बचाने का प्रयास करते हैं ! ज्यादातर यह अनुमति सरकारी फाइलों में गुम हो कर रह जाती है या जब तक अनुमति मिलती है तब तक इनके विरुद्ध सबूत समाप्त हो चुके होते हैं और इस प्रकार भारत के शासन तंत्र में भ्रष्टाचार बे रोक टोक चलता रहता है ! इन भ्रष्ट अधिकारियों के भ्रष्टाचार को देखकर निम्न स्तर के सरकारी कर्मचारी भी अपने वरिष्ठ ओं की तरह हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार करके देश की जनता के जीवन को मुश्किल बनाकर उनकी राष्ट्रीयता की भावना को प्रभावित कर रहे हैं ! अंग्रेजों ने अपने शासन संत्र को चलाने वाले कर्मियों के लिए अपने कानूनों में इस प्रकार का प्रावधान किया था कि जिससे गुलाम देश के निवासी उनके कर्मियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही किसी अदालत में ना कर सकें और यह अंग्रेज कर्मी बेधड़क गुलाम देश में शासन कर सकें ! इंग्लैंड कभी गुलाम नहीं हुआ इसलिए उसके नागरिकों में स्वाधीनता और अपने देश के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना थी जिसके द्वारा इनके नौकरशाह शासन तंत्र को ईमानदारी और निष्पक्षता से चलाते थे ! परंतु भारत पूरे 800 साल तक गुलाम रहा जिसके कारण यहां के निवासियों में गुलामी की भावना अभी तक चल रही है और एक गुलाम और जानवरों की सोच एक जैसी होती है ! जिसमें यह दोनों केवल अपने स्वार्थ के लिए सोच सकते हैं ! 1947 में आजादी के समय सरदार पटेल ने अंग्रेजों द्वारा बनाए नियम कानूनों को अपने संविधान में इसलिए शामिल कर लिया कि यदि इस कानून के द्वारा अंग्रेज हमारे देश में 200 साल तक राज कर सकते हैं तो इस कानून के द्वारा स्वतंत्र भारत के शासन तंत्र को भी भली-भांति चलाया जा सकता है ! परंतु वे भूल गए की गुलामी की भावना के कारण भारत के नौकरशाह ज्यादातर केवल अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचेंगे जैसा के जानवर सोचता है ! इस प्रकार इसी गुलामी की सोच के कारण भारत के शासन तंत्र में काम कर रहे अधिकारी ज्यादातर अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचते है !इसी का परिणाम है कि हमारे देश में संविधान में मिली हुई सुरक्षा को दुरुपयोग करते हुए यह अधिकारी सरेआम भ्रष्टाचार के द्वारा देश में आतंक का माहौल बना रहे हैं !
  
देश की राष्ट्रीय सुरक्षा में देश की सीमाओं की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा जितनी महत्वपूर्ण है उतनी ही देशवासियों की राष्ट्रीयता की भावना और देश का मजबूत समाज जरूरी है ! पश्चिमी देशों में आर्थिक और सैन्य दृष्टि से मजबूती केवल इसलिए आई कि वहां पर शासन तंत्र में भ्रष्टाचार ना के बराबर है और वहां के शासक पारदर्शी तरीके से अपना दायित्व निभाते हैं ! जैसा कि वहां कई देशों में सत्ता में रहते हुए प्रधानमंत्री तक के पद पर रहने वाले व्यक्ति को 7 वर्ष तक का कारावास दिया गया यह कुछ दिन पहले इटली में हुआ था इसी प्रकारअमेरिका के राष्ट्रपति क्लिंटन को भी अपने पद पर रहते हुए वहां की पार्लियामेंट ने सजा दी थी ! इस प्रकार के अनेक उदाहरण है जिनमें उच्च पदों पर रहते हुए कर्मियों को भी सजा दी गई ! क्या ऐसा भारत में संभव है ! हमारे देश में मीडिया में सुर्खियां लाने के लिए कभी कभी भ्रष्टाचार का खुलासा होता है मगर उसके बाद में संबंधित कर्मियों के विरुद्ध अदालतों में प्रकरण चलाने के लिए सरकारों से इजाजत में वर्षों लग जाते हैं और उसके बाद प्रकरण चला भी तो इनमें हल्के सजाओ से यह अपने अपराधों से मुक्ति पा लेते हैं ! कुछ वर्ष पहले नोएडा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में कार्यरत चीफ इंजीनियर यादवसिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामले प्रकाश में आए, कुछ दिन वह जेल में भी रहे परंतु अभी तक उनके मुकदमों में कोई प्रगति नजर नहीं आई है और यादव सिंह अपने भ्रष्टाचार से अर्जित धन का खुलेआम प्रयोग कर रहे हैं ! यादव सिंह जैसे बहुत से प्रकरण हमारे देश के हर हिस्से में देखे जाते हैं इनमें कुछ दिन मीडिया में सुर्खी रहती है और उसके बाद यह सरकारी फाइलों में दफन कर दिए जाते हैं !
 
इस सूचना के युग में जहां हर सूचना देशवासियों तक पहुंच जाती है इसलिए अब और भी जरूरी हो गया है की शासन तंत्र में पारदर्शिता और भ्रष्टाचारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में शीघ्र अति शीघ्र दंड दिया जाना चाहिए जिससे अन्य अधिकारियों को सबक मिल तथा देशवासियों में शासन तंत्र के प्रति दोबारा विश्वास स्थापित किया जा सके ! केंद्रीय सरकार को भारतीय सेना से सबक लेना चाहिए जिसमें सेना कानून में उसकी धारा 34 के अंतर्गत प्रावधान है की यदि कोई सैन्य कर्मी दुश्मन के सामने कायरता या सीमा की सुरक्षा में कमी करता पाया जाएगा तो उसको कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया द्वारा नियत समय में मृत्युदंड तक दिया जा सकता है ! यह कानून भी अंग्रेजों द्वारा ही बना गया था ! इस कारण जहां सेना में वीरता पूर्ण कार्यों के लिए वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं वहीं पर उन्हें कोताही के लिए मृत्युदंड का प्रावधान भी है !
इसलिए भारतीय सरकार को शीघ्र से शीघ्र देश के विकास के साथ-साथ इसी कानून व्यवस्था को भी सुधारना चाहिए और कानून में इस प्रकार के प्रावधानों को निकालना चाहिए जिनके द्वारा एक अपराधी अपने विरुद्ध चल रहे प्रकरण को लंबा खींच लेता है और कानूनी प्रक्रिया को विफल कर देता है ! क्योंकि न्याय में देरी न्याय न मिलने के बराबर है ! अक्सर आवाज उठती है कि देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना की कमी है परंतु कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि यह कमी क्यों है ! इसलिए अब समय आ गया है जब हमें आजादी के इतने बरसों बाद व्यवस्था के मूलभूत ढांचे सिविल सर्विस एक्ट 1919 और पुलिस एक्ट 1861 मैं बदलाव करके उन्हें आज के समय के अनुरूप बनाना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार जैसे आतंकवाद को देश में रुका जा सके !





Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.