पिछले लंबे समय से अप्रासंगिक बनता संयुक्त राष्ट्र संघ

यदि संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रभावशाली बनाना है और विश्व मानवता के कल्याण और हितों की रक्षा करनी है तो संयुक्त राष्ट्र संघ में व्यापक परिवर्तन, अब तक के अनुभवों के आधार पर किए जाने चाहिए

NewsBharati    22-Mar-2022 09:20:09 AM   
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कुछ दिन पहले रूस और यूक्रेन केबीच चल रहे युद्ध को रोकने के लिए यूक्रेन के आवेदन पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा गठित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने निर्णय दिया कि रूस शीघ्र अति शीघ्र युद्ध विराम करें परंतु रूस द्वारा युद्ध विराम नहीं किया ! इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ कीजनरल असेंबली में रूस के विरुद्ध यूक्रेन पर हमला करने के लिए निंदा प्रस्ताव पर बहस शुरू हुई परंतु यह बहस भी इस युद्ध को रोकने में असफल रही और परिणाम युद्ध उसी प्रकार से चल रहा है ! युद्ध के द्वारा द्वारा यूक्रेन का आधारभूत ढांचे जैसे परमाणु संयंत्र, टेलीविजन केंद्र, सैनिक प्रतिष्ठान, आबादी की आवासीय बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों और संपदा का महाविनाश तथा यूक्रेन के निवासियों की हत्याएं सरेआम हो रही हैं ! इस महाविनाश के लिए जहां पूरा विश्व रूस को जिम्मेवार ठहरा रहा है वहीं पर इसके लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति भी उतने ही जिम्मेदार हैं जिन्होंने नाटो देशों और अमेरिका के वादों पर विश्वास करके रूस की मांगों को 2014 से लेकर अब तक नहीं माना जिसके कारण रूस को यूक्रेन पर हमला करना पड़ा !परंतुऐसे महाविनाशओं को रोकने के लिए 1945 मैं स्थापित की गई संयुक्त राष्ट्र संघ का कोई प्रभावशाली दखल इस युद्ध को रोकने में नजर नहीं आ रहा है ! संयुक्त राष्ट्र संघ की लचर व्यवस्था के कारण ही इसकी स्थापना के बाद से विश्व में बहुत से सैनिक गठबंधन विश्व की महा शक्तियों ने विश्व में चल रहे शीत युद्ध के समय स्थापित कर लिए जिनमें प्रमुख हैं नाटो और वारसा संधिप्रमुख थे ! इनके द्वारा रूस और अमेरिका ने विश्व के देशों को अपने गुटों में शामिल करके विश्व के देशों को दो हिस्सों में बांट लिया ! यह सब केवल संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रभावहीन होने के कारण ही संभव हो सका अन्यथा जिन सिद्धांतों को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ था यदि उन सिद्धांतों पर यह संगठन खरा उतरता तो इस प्रकार के सैनिक गठबंधनओं का गठन न होता और विश्व में तरह-तरह के युद्ध और विवाद भी ना होते ! क्योंकि यह सैनिक गठबंधन ही इन विवादों कोशुरू करवाते हैं जैसे कि रूस और यूक्रेन का युद्ध केवल और केवल नाटो की सक्रियता के कारण हुआ है !
 
United Nations Russia Ukraine conflict

विश्व में 16 वीं शताब्दी में प्रजातंत्र रूपी शासन व्यवस्था प्रारंभ हुई और तभी से पूरे विश्व में यह मांग उठती रही कि देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था की तरह ही विश्व में भी प्रजातांत्रिक संगठन का गठन होना चाहिए जो क्षेत्रीय विवादों का निपटारा और मानव कल्याण के लिए उसी प्रकार भूमिका निभा सके जिस प्रकार एक देश की प्रजातांत्रिक सरकार कार्य करती है ! 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ और यह विश्व युद्ध 2019 में समाप्त हुआ !इस विश्व युद्ध में 16 मिलीयन सैनिक और सिविलियन मारे गए इसके अलावा इस युद्ध में भाग लेने वाले देशों जैसे ऑस्ट्रिया, हंगरी, टर्की और जर्मनी में भारी संपदा का भी विनाश हुआ ! इस विनाश के बाद में बाद मैं लीग ऑफ नेशन का गठन किया गया जिसका उद्देश्य था की देशों के आपसी विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाया जाना चाहिए जिससे विश्व युद्ध जैसी स्थिति दोबारा ना उत्पन्न हो ! परंतु धीरे धीरे क्षेत्रीय वैमनस्यता के कारण दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत 1939 में हुई जिसमें फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका, सोवियत संघ और चीन एक तरफ और दूसरी तरफ जर्मनी, इटली, और जापान थे ! इस युद्ध का समापन जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर अमेरिका के द्वारा परमाणु बम के प्रयोगों के बाद हुआ ! इन परमाणु हमलों के बाद इन दोनों शहरों में मानवता बिल्कुल समाप्त हो गई और जापान के 4 लाख निवासी इस हमले में मारे गए ! इस प्रकार इस पूरे युद्ध में 40 से 50 मिलियन लोग पूरे विश्व में मारे गए और इस युद्ध में भाग लेने वाले देशों में इन देशवासियों की हत्याओं के साथ-साथ संपदा का भी महाविनाश हुआ ! जिसको देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के लिए विचार-विमर्श शुरू हुआ और 1945 में इसका गठन विश्व में लीग ऑफ नेशन की तरह हीआपसी विवादों को सुलझाने के मुख्य उद्देश्य के लिए ही किया गया जिसमें विश्व के पांच शक्तिशाली देशों अमेरिका सोवियत संघ चीन फ्रांस और जर्मनी को महाशक्ति के रूप में माना गया और इन्हें वीटो की शक्ति प्रदान की गई जिसके द्वारा यह संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी प्रस्ताव को अकेले निरस्त करा सकते हैं ! युद्ध रोकने के उद्देश के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ में मानवता के कल्याण के लिए भी प्रावधान किए गए जिनमें अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ संगठन, विश्व शिक्षा और बाल कल्याण संगठन इत्यादि का भी गठन किया गया ! परंतु क्या संयुक्त राष्ट्र संघ अपने उद्देश्य में अभी तक सफल हो पाया है, तो इसका उत्तर होगा बिल्कुल नहीं ! संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद पूरे विश्व के विभिन्न हिस्सों में देशों के बीच में 75 आपसी विवाद हो चुके हैं, परंतु इनमें जहां पर किसी भी पक्ष के साथ में इन महा शक्तियों का साथ नहीं था वहीं पर संयुक्त राष्ट्र संघ विवादों को सुलझाने में सफल हो पाई जैसे अलसल्वाडोर, गुएटमाला, मोजांबिक, नामीबिया और तजाकिस्तान इत्यादि ! या 1990 में जब इराक ने कुवैत पर हमला किया था उस समय संयुक्त राष्ट्र संघ इसविवाद को शीघ्र सुलझाने में सफल हुआ ! अन्यथा अधिकतर विश्व विवादों में 5 माह शक्तियों का हित जुड़ा होता है जहां पर संयुक्त राष्ट्र संघ विफल हो जाता है !

यूक्रेन युद्ध से ही संयुक्त राष्ट्र संघ की विफलता का पूरा ब्यौरा जाना जा सकता है ! यदि यह युद्ध ऐसे दो देशों में हो रहा होता जहां पर महा शक्तियों का कोई लेना देना ना होता तो अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ तरह-तरह के आर्थिक और सामाजिक प्रतिबंध लगाकर इस युद्ध को समाप्त करवा सकती थी ! परंतु रूस महा शक्ति है जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र संघ अपने आप को असमर्थ पा रहा है ! इसी प्रकार विश्व के विभिन्न विवादों में महा शक्तियों की वीटो पावर के कारण ही संयुक्त राष्ट्र संघ शांति स्थापित करने में सफल नहीं हो पाया ! तो इस इस प्रकार समझा जा सकता है की संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व के 5 देशों को महाशक्ति के रूप में वीटो की पावर होने के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी प्रासंगिकता स्थापित करने में सफल नहीं हो पा रहा है !क्योंकि यह महा शक्तियां अपने हितों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्तावों को अपनी शक्ति के द्वारा फेल करवा देती हैं ! युद्ध के साथ-साथ स्वास्थ्य के विषय में भी संयुक्त राष्ट्र संघ प्रभावहीन होता नजर आया क्योंकि पूरे विश्व मैं कोरोना जैसी महामारी चीन की बुहान प्रयोगशाला से फैली परंतु इस पर संयुक्त राष्ट्र संघ यह भी स्थापित नहीं कर पाया है कि यह महामारी चीन से फैली क्योंकि चीन अपनी वीटो शक्ति के कारण इस पर संयुक्त राष्ट्र संघ में कोई चर्चा ही नहीं होने दे रहा है !किस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ युद्ध रोकने में विफल होने के साथ-साथ मानव कल्याण के क्षेत्र में भी विफल होता ही नजर आ रहा है ! इसी प्रकार अमेरिका ने इराक पर केवल इसलिए हमला किया कि उसको शक था की इराक में महा विनाशकारी हथियार मौजूद हैं ! इसी शक पर अमेरिका ने इराक के बड़े-बड़े शहरों पर भीषण बमबारी करके इराक को तहस-नहस कर दिया परंतु क्या विनाशकारी हथियार मिल पाए और क्या संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका के इस कदम के विरुद्ध कोई कार्यवाही कर पाया ! इसी प्रकार अफगानिस्तान में 90 के दशक से आज तक विश्व की महाशक्तियां रूस और अमेरिका आपस में लड़ रही है जिसके कारण अफगानिस्तान और साथ में पाकिस्तान बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं ! परंतु यहां भी संयुक्त राष्ट्र संघ अपने आप को असहाय पा रहा है ! इसी प्रकार के अनेक उदाहरण विश्व के अनेक हिस्सों में पाए जाते हैं जहां पर विवादों को रोका जा सकता था यदि विश्व की महा शक्तियां अपने वीटो का प्रयोगअपने हितों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में ना करती तो !

उपरोक्त विवरण से यह साफ हो गया है की लीग ऑफ नेशन की तरह ही संयुक्त राष्ट्र संघ भी अपने उद्देश्यों में असफल हो चुकी है और अब समय आ गया है जब जिस प्रकार लीग ऑफ नेशन को समाप्त किया गया था उसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ में बड़े परिवर्तन किए जाएं ! इन परिवर्तनों के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली में अपने भाषण में सिफारिश भी की है ! इसलिए विश्व के समस्त देशों को एकत्रित होकर इस पर विचार करना चाहिए कि किस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रभावशाली बनाया जाए जिससे विश्व में विनाशकारी युद्धों को रोका जा सके और विश्व संपदा का विनाश इन युद्धों में रोक कर इस संपदा का उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जा सके ! इसलिए वीटो पावर रखने वाली महा शक्तियों को अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर इस पर विचार करना चाहिए कि किस प्रकार विश्व में ईमानदारी से शांति स्थापित की जा सकती है ! हालांकि अभी भी सलाह के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रावधान है की यदि किसी महाशक्ति का किसी विवाद में लेना देना है तो उसे इस विवाद पर होने वाले विचार विमर्श से अलग रहना चाहिए जिससे विवाद को सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र संघ निष्पक्ष निर्णय ले सके ! परंतु देखने में आया है कि इस प्रावधान का प्रयोग को भी महाशक्ति नहीं करती है ! अभी-अभी रूस ने स्वयं इस प्रावधान को मानने से मना कर दिया है !

इसलिए अब यदि संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रभावशाली बनाना है और विश्व मानवता के कल्याण और हितों की रक्षा करनी है तो संयुक्त राष्ट्र संघ में व्यापक परिवर्तन, अब तक के अनुभवों के आधार पर किए जाने चाहिए ! इन अनुभवों में उन तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए जिनके कारण विश्व के विवाद सुलझाए नहीं जा सके ! !इसलिए इनके प्रकाश में संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में इस प्रकार के बदलाव किए जाने चाहिए जिससे कोई भी देश संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यवाही में अनैतिक व्यवधान उत्पन्न ना कर सके और संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णय प्रजातंत्र की भावना के अनुसार बहुमत से लिया जा सके !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.