आज के युग में भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों की सार्थकता

NewsBharati    22-Aug-2022 15:35:50 PM   
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अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने हावर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा है कि उनका देश भारत के साथ एक और युद्ध नहीं चाहता और उनका देश भारत के साथ स्थाई शांति चाहता है और इसके लिए दोनों देसो को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प अनुसार कश्मीर मसले का समाधान करना चाहिए ! तो क्या है सुरक्षा परिषद के संकल्प, सुरक्षा परिषद ने 21 अप्रैल 1948 को अपने संकल्प 47 में दोनों देशों भारत और पाकिस्तान को निर्देश जारी किए कि दोनों देश युद्ध समाप्ति के लिए सीजफायर की घोषणा शीघ्र करेंगे ! इसके बाद पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के कब्जे वाले क्षेत्रों से पीछे हटेगा और भारत भी अपनी सेना की संख्या कम से कम करेगा ! इस क्षेत्र में सामान्य वातावरण स्थापित किया जाये इसके बाद सुरक्षा परिषद की देखरेख में जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह होना चाहिए !सुरक्षा परिषद के निर्देशों के बावजूद पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर तथा गिलगित बालटिस्तान से ना तो अपनी सेनाओं को ही हटाया और ना ही क्षेत्र से अपना कब्जा हटाया ! इसलिए जम्मू कश्मीर में सामान्य वातावरण का निर्माण नहीं हो सका और इस कारण जनमत संग्रह भी नहीं कराया जा सका ! इसके बाद से आज के समय के बीच में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए भारत के साथ 1947 1965 और 1999 में खासकर जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने के लिए ही भारत के साथ लड़े हैं जिनमें पाकिस्तान हमलावर था ! इस सब के बावजूद भी पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों के अनुसार इस विवाद का हल करना चाहता है जबकि वह स्वयं संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों का पालनकरने के लिए तैयार नहीं है !
 
आज के युग में भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों की सार्थकता

बंटवारे के नियम कानून अंग्रेजों ने तय किए थे जिसके अनुसार संपूर्ण भारत में फैली हुई 544 राजा और नवाबों की रियासतों का दोनों देशों में विलय हुआ ! इसके अनुसार किस देश में एक रियासत का विलय होना है इसका निर्णय उस रियासत के शासक के ऊपर छोड़ दिया गया था ! इस प्रकार रियासतों के शासकों की इच्छा के अनुसार इनके राज्यों का विलय भारत और पाकिस्तान में हुआ ! इसी के अनुसार जम्मू कश्मीर का विलय भी वहां के महाराजा हरि सिंह की इच्छा के अनुसार भारत में हुआ ! इसको देखते हुए जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसको भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित क्षेत्र कहना गलत होगा ! इस विवाद की शुरुआत की शुरुआत करने मेंपाकिस्तान की सेना का बहुत बड़ा हाथ है ! पाकिस्तान की सेना बंटवारे के फौरन बाद से पाकिस्तान पर अपना एक छत्र राज चाहती थी ! इसके लिए उसने पाकिस्तान की जनता को यह दिखाने की कोशिश की, कि भारत ने पाकिस्तान के साथबंटवारे में बहुत नाइंसाफी की है और इसका बदला लेने के लिए सेना भारत से युद्ध करेगी ! इस नीति के अनुसार वहां की सेना ने 28 अक्टूबर 1947 को ही कश्मीर पर कव्वालियों के भेष में हमला कर दिया ! विश्व को यह दिखाने के लिए की कश्मीर के स्थानीय कबायली क्षेत्र के निवासी कश्मीर का भारत में विलय से खुश नहीं है इसलिए उन्होंने भारत सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया है! इसके लिए वहां की सेना ने अपने राज्य पख्तूनस्थान के पठानों के साथ अपने सैनिकों को मिलाकर 28 अक्टूबर 1947 को कश्मीर क्षेत्र पर यह हमला किया ! आज के पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा करते हुए यह हमलावर श्रीनगर से केवल 40 किलोमीटर दूर बारामुला तक पहुंच गए और यह शीघ्र अति शीघ्र श्रीनगर पर हमला करके वहां के हवाई अड्डे पर कब्जा करना चाह रहे थे ! जिससे कि कश्मीर घाटी शेष भारत से पूरी तरह कट जाए ! तब तक जम्मू कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने यह तय नहीं किया था कि उनके राज्य का विलय किस देश के साथ किया जाए इस कारण इन हमलावरों के सामने महाराजा की सेना नहीं टिक पाई ! जिसके परिणाम स्वरूप यह हमलावर बारामुला तक आ गए ! इसको देखते हुए 28 अक्टूबर की रात में ही महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय का निर्णय लिया और इसके फौरन बाद उसी रात को भारतीय सेना हवाई मार्ग से श्रीनगर में पहुंचने लगी ! 29 अक्टूबर को ही भारतीय सेना की सिख बटालियन ने बारामूला में हमलावरों का मुकाबला करना शुरू कर दिया और उन्हें वहीं पर रोक दिया ! इसको देखते हुए हमलावरों ने अपना रास्ता बड़गांव की तरफ से बनाना शुरू कर दिया जहां पर सेना की कुमाऊं बटालियन ने इनको बहादुरी से रोका जिसमें मेजर सोमनाथ शर्मा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया ! इस प्रकार पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र बना दिया ! इस युद्ध के दौरान पाकिस्तान की इस अनैतिक कार्रवाई के विरुद्ध भारत की सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में गुहार लगाई जहां पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपरोक्त निर्देश जारी किए ! जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ को उपरोक्त निर्देश जारी करने से पहले यह देखना चाहिए था कि क्या पाकिस्तान के इस दावे में कुछ सच्चाई है परंतु ऐसा नहीं हुआ ! जिसके कारण आज जम्मू कश्मीर एक विवादित क्षेत्र बना हुआ है और पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों के अनुसार कश्मीर में जनमत संग्रह कराना चाहता है !

80 के दशक में पूरे दक्षिण एशिया में विश्व की 2 माह शक्तियों अमेरिका और रूस के बीच में शीत युद्ध चरम पर था ! इसके लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को और रूस ने अफगानिस्तान को अपना ठिकाना बनाया ! इसी समय अफगानिस्तान में रूस समर्थित सरकार को परास्त करके वहां पर अमेरिका का समर्थन करने वाली सरकार स्थापित हो गई ! इसको देखते हुए रूस ने अपनी सेना को अफगानिस्तान में भेजा और पूरे अफगानिस्तान पर उसने कब्जा कर लिया ! रूस को अफगानिस्तान से निकालने के लिए अमेरिका खुद युद्ध नहीं लड़ना चाहता था इसलिए उसने पाकिस्तान का उपयोग इस के लिए किया ! अमेरिका ने पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले नौजवानों को आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया और उसके बाद इन्हें रूसी सेना के विरुद्ध छापामार युद्ध लड़ने के लिएअफगानिस्तान में भेज दिया !आतंकवादी बनाने के लिए मुस्लिम कट्टरपंथ का प्रचार पाकिस्तान मेंजोर-शोर से किया गया और ऐसे तत्वों को बढ़ावा दिया गया ! इस कारण स्वयं पाकिस्तान में चारों तरफ कट्टरपंथी माहौल के साथ-साथ वहां पर आतंकी माहौल भी बन गया , जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ा ! इसी नीति के अनुसार 1984 में पाकिस्तान ने भारत के कब्जे वाले कश्मीर में अलगाववाद और मुस्लिम कट्टरपंथ का प्रचार जोर शोर से करना शुरू कर दिया ! इसके लिए उसने अपने यहां तैयार आतंकवादियों को कश्मीर घाटी मेंभेजना शुरू कर दिया ! घाटी में आतंक फैलाने के लिए इन आतंकवादियों ने हिंदुओं की हत्या शुरू कर दी जिसके कारण कश्मीरी पंडितों का कश्मीर घाटी से पलायन शुरू हो गया और इसके परिणाम स्वरूप चार लाख कश्मीरी पंडितों ने1989 से लेकर1992 के बीच वहां से पलायन करके देश के विभिन्न हिस्सों में शरण ली ! इस प्रकार 80 के दशक से लेकर आज तक पाकिस्तान की आईएसआई कश्मीर घाटी में आतंकवाद चला रही है और पाकिस्तान की इन नीतियों को सफल करने में जम्मू कश्मीर में लागू धारा 370 और 35a काफी लाभदायक साबित हुई ! इन धाराओं के अनुसार पूरे जम्मू कश्मीर राज्य में भारतीय संविधान के अनुसार नियम कानून लागू नहीं होते थे इसलिए वहां पर अलगाववाद का समर्थन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकी ! और इनकी गतिविधियां बेरोकटोक के चलती रही ! इसलिए कश्मीर घाटी में चारों तरफ भय और आतंक का माहौल है ! तो क्या इस स्थिति में कश्मीर के निवासी स्वतंत्रता पूर्वक जनमत संग्रह में अपना मत अपनी की मर्जी के अनुसार डाल सकते हैं ! पाकिस्तान यह अच्छी प्रकार जानता है इसलिए वह बार-बार जनमत संग्रह के लिए कह रहा है !

इस स्थिति को और भी तनावपूर्ण बनाने में 2016 के बाद से चीन ने पाकिस्तान के साथ में अपना योगदान साझा आर्थिक गलियारा बनाने के रूप में देना शुरू कर दिया है ! चीन की महत्वाकांक्षी एक बेल्ट एक सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई काराकोरम सड़क भारत के कश्मीर क्षेत्र के साथ साथ पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरती है ! इसके अतिरिक्त चीन ने इस योजना के अनुसार अपनी बहुत सी आर्थिक परियोजनाएं पाक अधिकृत कश्मीर और इससे लगते हुए क्षेत्रों में स्थापित की है ! जिन को देखते हुए चीन भी चाहता है कि पूरा कश्मीर क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में चला जाए ! इसके लिए वह जब भी \ भारत और पाकिस्तान के बीच में युद्ध होता है वह भारत को युद्ध में कमजोर करने के लिए उसी समय भारत चीन सीमा पर अपनी आक्रमक गतिविधियों को बढ़ा देता है ! जैसा कि 1965 और कारगिल युद्ध के समय देखा गया था !

इसलिए अब पूरे कश्मीर और इसके आसपास के क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्देशों की सार्थकता यहां पर शेष नहीं रह गई है ! 1948 में ही संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा नियुक्त श्री डिक्सन ने कहा था थी की कश्मीर के निवासी अपनी स्वतंत्र इच्छा शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते हैं ! परंतु अब आज के युग युग में तो पाकिस्तान की मुस्लिम कट्टरपंथ और आतंकी नीतियों के कारण कश्मीर घाटी का नागरिक डरा और सहमा हुआ है ! इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ को इस स्थिति पर दोबारा विचार करके और इस राज्य के भारत के विलय की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान के दावे को पूरी तरह से निरस्त कर देना चाहिए ! और जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा मानकर इसे पूर्णतया भारत के राज्य का दर्जा प्रदान करना चाहिए ! परंतु दुर्भाग्यवश संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन को महा शक्ति के रूप में वीटो की शक्ति प्राप्त है जिसके द्वारा उसने आज तक ना कभी तिब्बत के विषय को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठने दिया है और ना ही वह कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र संघ को कोई उचित निर्णय लेने देगा !

इसलिए भारत सरकार शिमला समझौते के समय से ही कह रही है की जम्मू कश्मीर के विवाद को भारत-पाकिस्तान के द्वारा स्वयं ही निपटाना चाहिए इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ की की कोई आवश्यकता नहीं है !अब धीरे-धीरे पाकिस्तान की जनता ने भी वहां की सेना के विरुद्ध आवाज उठानी शुरू कर दी है ! भारत की विकासशील नीतियों को देखते हुए पाक अधिकृत कश्मीर के निवासी भी स्वयं भारत में मिलना चाहते हैं ! इसलिए पाकिस्तान जो धन भारत जैसे बड़े देश की सेना के विरुद्ध अपनी सेना को तैयार करने में खर्च कर रहा है उसे इससे से बचाकरउस धन को अपने देश के विकास पर खर्च करना चाहिए ! इससे इस क्षेत्र में स्थाई शांति स्थापित होगी और दोनों देश मिलकर विश्व की महाशक्ति बन सकते हैं !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.