इसराइल पर हमास का हमलाऔर 1962 में भारत पर चीन के हमले: इन दोनों के बीच की समानताएं

NewsBharati    16-Oct-2023 15:41:44 PM   
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बीते सप्ताहइसराइल के यहूदी जब अपना त्यौहार सिमचित मना रहे थे तब गाज़ा पट्टी से हमास आतंकियों ने जै जमीनी ,समुद्री और पैराग्लाइडरों के सहारे हवाई मार्ग से घुसकर इसराइल पर भीषण हमला किया ! इस हमले के दौरान दक्षिणी इजरायल पर 5000 रॉकेट दागे गए ! यह हमला इतना भयानक था कि कुछ घंटे में ही सैकड़ो इजराइलियों को मार डाला गया !

 यह अप्रत्याशित है कि इजरायली सुरक्षा बल हमास के हमले को रोकने में नाकाम रहेऔर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को इसकी भनक भी नहीं लगी !1967 तथा 1973 की योमकिप्पर जैसे युद्धों सीरिया मिश्र तथा जॉर्डन देश ने मिलकर इसराइल पर हमलापरंतु इसराइल ने इन तीनों को इन दोनों युद्ध मेंपूरी तरह परास्त करके इनसे सिनाइ रेगिस्तान तथा गोलन हाइट्स नाम के क्षेत्र पर कब्जा करने वाले इसराइल को हमास जैस! आतंकी संगठन आश्चर्य चकित करने में सफल रहा !इसी प्रकार1962 में चीन ने भारत पर हमला करकेभारत को चौंका दिया था !इसराइल कोहमास की पूरी तैयारीपहले से ही नजर आ रही थीइसी प्रकार1962 से पहलेचीन की हरकतों से भी साफ थाकि वह भारत पर हमला करेगा !तब वह क्या कारण थे जिनकी वजह से इसराइल और भारत दोनों ने समय रहते इन हमलो को नाकाम नहीं किया !

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इसराइल के प्रसिद्ध प्रोफेसर युगल हरारी जो जेरूसलम यूनिवर्सिटी के एक प्रसिद्ध प्रोफेसर हैं उन्होंने हमास हमले से पहले की इजरायल कीआंतरिक व्यवस्था का वर्णन अपने लेख में किया है !अरब देशों के विरुद्ध1967 और 1973 के बड़े युद्धों को जीतकर तथा विश्व में एक प्रगतिशील तथा शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित होने के बाद इजरायल की मौजूदा नेस्त!नाहू की सरकार यह सोचने लगी थी कि अब फिलिस्तीन या अरब देशों के आतंकी संगठन इसराइल पर हमले की सोच भी नहीं सकते !पिछले कुछ समय से हमास के आतंकी अपनी जमीनी तैयारी कर रहे थे जिसके लिए उन्होंने रोकटो के निर्माण के लिए गजा की 40 किलोमीटर लंबी पांच लाइन को जमीन से निकाल कर उसे रॉकेट बनाने के लिए प्रयोग में लिया ! इसके अलावा हमास के आतंकी तरह-तरह कीजमीन पर हमले की तैयारी कर रहे थे !

इसकी पूरी जानकारी मोसाद को थी और मोसाद ने यह जानकारी सरकार तक भी पहुंचाई ! इसराइल के रक्षा मंत्री महोपग्रांट ने जब सरकार में खतरे की घंटी बजाई तो प्रधानमंत्री नेस्तनाहू ने उसकी बात नहीं सुनी ने और उसकोरक्षा मंत्री के पद से ही हटा दिया ! इसराइल सेना प्रमुख ने भी प्रधानमंत्री से सीमाओं की रक्षा के बारे में मिलने की कोशिश की जिस परउन्हें मिलने से मना कर दिया नेस्तनाहू को 2022 के आम चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था ! जिसके कारण उन्होंने और दलों के साथ मिलकर मिली जुली सरकार का गठन किया ! इसमें ज्यादातर सांप्रदायिक विचारधारा वाले मौका परस्त लोग थे जिन्हें इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा की कोई परवाह नहीं हैउनको शामिल किया गया !

इसलिए इसराइल केप्रधानमंत्री और उनके साथी मंत्रियों ने राष्ट्रीय हितों के स्थान पर अपने हितों को प्राथमिकता दीऔर इसके लिए उन्होंने इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथसमझौता करते हुए हमास के खतरे को गंभीरता से नहीं लिया ! हमास हमले के पीछेअंतर्राष्ट्रीय कारण भी है जिनमेअब्राहम समझौता प्रमुख है जिसके द्वारा कई अरब देश और इसराइल करीब आ रहे थे ! यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कराया था इसके तहत बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने इसराइल के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित किया !अमेरिकी राष्ट्रपति जॉय बीडेन सऊदी अरबऔर इसराइल को भी निकट लाने का प्रयास कर रहे थे ! इसराइल और सऊदी अरब में राजनीतिक संबंधों से पहले फिलिस्तीन पर किसी समझौते की उम्मीद थी परंतुयह समझौता नहीं हो सका इससे ईरान को झटका लगा इसलिए शायद ईरान ने हमास को इसराइल पर हमला करने के लिए उकसाया !अब इस हमले के कारण स्थिरता की ओर बढ़ रहा पश्चिम एशियान संकट से गिर गया है ! इस प्रकारपूरे विश्वको तेल की सप्लाई करने वाले देश मेंजबइस प्रकार की उथल-पुथल तब तब पूरे विश्व में तेल के भाव बढ़ेंगेऔर महंगाईकी दरऊंची होगी !

हमास हमले के संदर्भ में1962 में भारत पर पर चीन हमले को भी देखा जा सकता है !1949 मेंचीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन स्थापित हुआ और सत्ता की बागडोर माओ के हाथों में आई ! सत्ता मिलते ही माओ ने विस्तारवादी नीति अपनाई जिसके द्वारा चीन ने अपने पड़ोसी देशों की जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया !और इस प्रकार चीन ने16 देश की जमीन पर कब्जे कर लिए इनमें प्रमुख है भूटान, नेपाल, तिब्बत ,भारतऔर पाक अधिकृत कश्मीर ,तथा भूतपूर्व सोवियत संघ केकुछ देश !1955 मेंचीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया और इसके बाद चीन की गतिविधि दक्षिण तिब्बत की भारत से लगती सीमा की तरफ बढ़ने लगी !वह अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ क्षेत्रों को अपना बताने लगा !

जिन में अक्साई चीन का क्षेत्र प्रमुख था !इस समय भारत में जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाना चाहते थे ! इसके लिए उन्होंने चीन के साथ पंचशील समझौता किया जिसके अंतर्गत दोनों देश एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करते हुए देशों के बीच कीअंतर्राष्ट्रीय सीमा का सम्मान भी करेंगे ! इसके बाद भारत में हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा प्रसिद्ध हुआ ! इस समझौते के बाद भी चीन की भारतीय सीमा में अतिक्रमण की गतिविधियां जारी रही ! परंतु भारत सरकार ने इन गतिविधियों के चलते हुए भी अपनी चीनी सीमा पर आधारभूत ढांचे जिन में संचार के साधन प्रमुख थे उनकी सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया ! तत्कालीन भारतीय सेना प्रमुख जनरल थिमैया ने नेहरू जी से मिलकर उन्हें चीनी खतरे के प्रति आगाह किया तथा सेना के लिएआधुनिक हथियारों और संचार के साधनों की मांग की जिससे आवश्यकता पड़ने पर दुर्गम क्षेत्रों में शीघ्रता से सेना को पहुंचाया जा सके !

परंतु नेहरू जी नेइन्हें अनसुना करते हुए उनकी मांगों को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि भारत का चीन के साथ पंचशील समझौता है और दोनों देशहिंदी चीनी भाई-भाई में विश्वास करते हैं इसलिए चीन भारत पर हमला नहीं करेगा ! आज के इजरायल की तरह ही नेहरू जी ने देश के प्रमुख पदों जैसे आईबी प्रमुख रक्षा मंत्री इत्यादि परअपने चाहतों की नियुक्ति की जिन में आईबी प्रमुख बी एन मौलिक तथा रक्षा मंत्री कृष्णा मेनन प्रमुख थे !इसके साथ-साथनेहरू के चाहते होने के कारण मौलिक जैसेअधिकारीसी को सीधे ऑर्डर देने लगे ! इसके अंतर्गत हीमौलिक नेअरुणाचल प्रदेश कीसीमा परनो मैंस लैंड कहे जाने वाली भूमि परअपनीनिगरानी चौकी स्थापित करने के लिएसेवा के अधिकारियों कोआदेश दिया !वहआईबी कासूचना एकत्रित करने का कामअग्रिम क्षेत्र में तैनात सेना से करवाना चाहते थे !

मौलिक ने यह कदम1962 के मई महीने में उठाया था जिसको देखकर चीन ने समझा कि शायद भारत चीन पर हमला करने की तैयारी कर रहा है इसलिए उसने मौका देखकर पहले ही भारत पर हमला कर दिया ! प्रधानमंत्रीऔ ररक्षा मंत्रालय की इस प्रकार की कार्यप्रणाली से दुखी होकर1958 में जनरल थिम्मया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया !1962 मेंभारत चीन सीमा पर भारत की बहुत कम सेना बिना संसाधनों और पुराने हथियारों के साथ तैनात थी !जिसको देखते हुए चीन नेअक्टूबर 1962 में भारत पर हमला कर दिया जिसमें भारतीय सेना के बहुत से सैनिक शहीद हुए और चीन ने लद्दाख क्षेत्र के 38000 वर्ग किलोमीटर अक्साईचिन क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जो आज तक उसके कब्जे में है कब्जे में है !

लद्दाख क्षेत्र में संसाधनों की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि1962 के प्रसिद्ध रेजांगला युद्ध में भारत के 110 जवानशहीद हुए थे तथा चीन के1200 सैनिक यहां पर मारे गए थे और इनके मृत शरीररेजांगला क्षेत्र में चारों तरफ बिखरे हुए थे ! परंतु देश को इसकी सूचना दो महीने बाद एक चरवाहे के द्वारा मिली जो वहां पर अपने जानवरों को वहां चराने गया था !

उपरोक्त विवरण से यह साफ हो जाता हैकी62 के समय सीमाओं की सुरक्षा की अनदेखीभारत में की गई थी उसी तरह इसराइल ने भी हमास की तैयारयों को अनदेखा कियाऔर एक हमास जैसे आतंकी संगठन ने इसराइल पर इतना बड़ा हमला किया जिसके कारणआज पूरा मध्य पूर्वअशांत हो चुका है ! इसी प्रकारचीनअभी तकभारत के38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र परकब्जा किए हुए हैंऔरइस परमाणु युग मेंअब ऐसा नहीं लगता की कभी वह इस कब्जे को छोड़ेगा ! इसराइल और भारत के इन युद्धों को देखकर यह सबक पूरे विश्व को मिलता है की राष्ट्रधर्म का तात्पर्य है की सारे हितों से ऊपर राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि होती है जिस पर कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए !

1962 केयुद्ध के बाद लगातार भारत की सरकारों ने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सारे संसाधन जुटाए हैं जिसके कारण आज हम चीन को यह बताने में सक्षम हुए हैं कि अब भारत1962 वाला भारत नहीं हैऔर इसी कारण चीन भारत पर हमला करने की सोच भी नहीं सकता ! उधर उधर1967और73 के युद्धों को सफलतापूर्वक जीतने के बाद विश्व में एक महाशक्ति के रूप में स्थान बना चुके इजरायल की प्रतिष्ठा इस हमले के बाद काफी प्रभावित हुई है !इजरायल की इस लापरवाही का असर उसके आर्थिक क्षेत्र पर भी पड़ेगा ! क्योंकि विश्व में इजरायल के आकाश की सुरक्षा के सिस्टम को उत्तम माना जाता था !अब इस हमले में इस सिस्टम के नाकाम होने के कारण इसके निर्यात पर भी बुरा असर पड़ेगाऔर इजरायल की आर्थिक दशा रक्षा क्षेत्र के निर्यात में कमी आने के कारण बुरी तरह प्रभावित होगी !वहीं पर भारत के सशक्तिकरण होने के बाद भारत विश्व में एक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.