पाकिस्तान की बदहालीका मुख्य कारण वहां पर अभी तकचल रही गुलामी व्यवस्था है

NewsBharati    03-Oct-2023 15:59:50 PM   
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आजादी तथा प्रजातंत्र की स्थापना का तात्पर्य होता है देश की सत्ता की बागडोर देश की जनता के हाथ में उसके चुने हुए प्रतिनिधियों के पास आना जिसके द्वारा ये जनता के कल्याण के लिए कार्य कर सके ! परंतुअगस्त 1947 में पाकिस्तान को अंग्रेजों से आजादी तो मिली परंतु इसके बाद गुलामी के समय चल रही सामंती व्यवस्था को समाप्त नहीं किया गया जिसके कारण वहां की सत्ताअंग्रेजों के बाद कुछ गिने-चुनेसामंती परिवारों और आर्मी के हाथ में चली गई !
 
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इस कारण वहां के आर्थिक संसाधनोंऔरकृषि पर इन्हीं दोनों का पूरा कब्जा है ! आजादी के बाद भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था के लागू होने के बाद देश की जनता के कल्याण के लिए बहुत सी योजनाएं शुरू की गई जिनमें सर्वप्रथम जमींदारी उन्मूलन करके भूमि सुधार लागू किए गए जिससेभूमि पर खेती करने वाला किसानअपनी भूमि का स्वामी बन सके ! इसके साथ ही देश कोआर्थिक और रोजगार की दृष्टि से मजबूत करने के लिएऔद्योगिकरण पर विशेष ध्यान दिया गया जिसमें पब्लिक सेक्टर की स्थापना की गई जिससे जनसाधारण के लिएरोजगार उपलब्ध हो सके ! परंतुपाकिस्तान में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ वहां पर अभी भी देश की 70 फ़ीसदी कृषि योग्य भूमि केवल544जमीदार परिवारों के कब्जे में ही है ! जिस पर वेअपने बंधुआ मजदूर जैसे किसानों से खेती करवाते हैं ! इसके अलावा वहां के पब्लिक सेक्टर की 60 फ़ीसदी व्यवसाय पर केवल सेना का कब्जा है जिससे होने वाले लाभ का उपयोग सेना के अधिकारी स्वयं के लिए करते हैं !जबकि यह लाभ राष्ट्र निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए !

सेना तथा जमींदारों नेस्वयं को सत्ता में बनाए रखने के लिए मुस्लिम कट्टर पथ का सहारा लिया जिसके द्वारा उन्होंने वहां के एक आम नागरिक कीआवाज को दबा दिया ! सेना ने पाकिस्तान की जनता कोअपना रुतबा दिखाने के लिए बिना किसी आधार के भारत के साथ कश्मीर विवाद को खड़ा किया !इसके लिए सेना ने आजादी के फौरन बाद 26 अक्टूबर 1947 को अचानक जम्मू कश्मीर पर हमला कर दिया जो उस समय एक अलग रियासत थी ! इस रियासत की छोटी सी सेना पाकिस्तान की बड़ी सेना का मुकाबला नहीं कर सकी इस कारण केवल दो दिन में पाकिस्तान की सेना आज के पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा करते हुए कश्मीर घाटी में बारामुला तक आ गई जो श्रीनगर से केवल 60 किलोमीटर दूर है ! आजादी से पहले भारत और पाकिस्तान में करीब 560 रियासत थी जिन पर राजाओं और नवाबों का शासन था !

आजादी के बादअंग्रेजों ने इन रियासतों कोअपनी मर्जी से भारत या पाकिस्तान में विलय के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की इसी प्रक्रिया के तहत जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने अपनी रियासत का विलय भारत में कर दियाऔर उसके बाद भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में जाकर मोर्चा संभाला !भारत की सेना ने पाकिस्तान सेना को बुरी तरह हराकर पीछे धकेल दिया परंतु इसी समय पंडित नेहरू इस विवाद को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गएऔर संयुक्त राष्ट्र संघ ने युद्ध विराम लागू कर दिया जिसके कारण अभी तक पाक अधिकृत कश्मीर गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तान के कब्जे में है !

इसके बाद से पाकिस्तान सेना भारत को अपना सबसे बड़ा शत्रु बताकर वहां की जनता को विश्वास दिला रही है कि केवल सेना ही उनका भारत से रक्षा कर सकती हैेा इसके बाद लगातार पाकिस्तान की सेना वहां की जनता को भारत का डर दिखाकर उन्हें भारत के विरुद्ध रक्षा का बहाना बनाकर उस पर अपना प्रभाव बनती आई है ! जिसके कारण वहां की जनता सेना को ही अपना असली रक्षकऔर शासक़ मानती है ! इसी क्रम में 27 अक्टूबर 1958 को जनरल अयूब खान ने सिकंदर अली मिर्जा को वहां के राष्ट्रपति पद से हटाकर पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया !इसके बाद अयूब खान ने1965 में दोबारा कश्मीर पर कब्जा करने के लिए हमला किया जिसमें पाकिस्तान को फिर करारी हार मिली !

इसके बाद मार्शललॉं के दौरान ही1970 में पाकिस्तान में आम चुनाव किए गए जिन में पूर्वी पाकिस्तान के शेख मुजीबुर रहमान को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ परं सेना की तानाशाहीऔरपंजाब प्रांत के जमींदारों की सामंती प्रवृत्ति के कारण शेख मुजीब रहमान को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया जिसके कारण पूरे पूर्वी पाकिस्तान मेंअसंतोष की लहर फैल गई ! वहां पर सरकार के विरोध के लिए वहां की जनता सड़कों पर आ गई !इसको दबाने के लिए पाकिस्तान की सेना ने वहां पर तरह-तरह के अत्याचार किए जिनके कारण एक करोड़ शरणार्थी भारत में शरण के लिएआ गए ! इनको न्याय दिलाने के लिए भारतीय सेना को पूर्वी पाकिस्तान में वहां की जनता की सहायता के लिए प्रवेश करना पड़ा !जिसके फल स्वरुप बांग्लादेश का निर्माण हुआ !

बांग्लादेश के निर्माण के लिए वहां की सेना केवल भारतीय सेना को ही जिम्मेदार ठहरती है और इसके बदले में वह भारत को1000 घाव देखकर केउसका इतना खून बहाना चाहती है जिससे भारत का विनाश अपने आप हो जाए ! इसके लिए वह भारत में पंजाब और जम्मू कश्मीर मेंआतंकवाद चला करऔर देश के विभिन्न हिस्सों मेंसांप्रदायिक सौहार्द को बिगड़ने की कोशिश करती रही है ! परंतु भारत कीमजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारणउसे किसी भी भारत विरोधी हरकतों मेंकोई सफलता नहीं मिली !
पाकिस्तान सेना ने भारत को1000 घाव देने के लिएजम्मू कश्मीरऔर भारत के पंजाब प्रांत मेंखालिस्तान की मांग के नाम परआतंकवाद शुरू किया इसी समय 80 के दशक में रूसी सेना नेअफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था ! जिसके कारणअमेरिका नेअपने सबसे बड़े दुश्मन रूस को हारने के लिए पाकिस्तान की सेना से रूस की सेना को हराने केआतंकी छाप मारो की मांग की जिसके लिए पाकिस्तान सेना फौरन तैयार हो गईऔर उसने अपनी पूरी युवा पीढ़ी को तालिबानी आतंकवादियों के रूप मेंअफगानिस्तान में लड़ने के लिए भेज दिया ! इसमें पाकिस्तान सेना का सहयोग उसके मदरसो ने किया जहां पर युवाओं को शिक्षा के नाम परआतंकवाद के लिए तैयार किया गया !

अफगानिस्तान से रूसी सेना तो चली गई परंतु इसके बाद इन नौजवानों के लिएपाकिस्तान में कोई रोजगार नहीं थाऔर ना ही पाकिस्तान की इस प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों के कारण विश्व का कोई निवेश पाकिस्तान में आया जिसके कारण पाकिस्तान की आर्थिक दशा दिन पर दिन खराब होती चली गई ! बंटवारे के समय संयुक्त पंजाब की सबसे अच्छी कृषि भूमि पाकिस्तान के पास आई परंतु इसमें जमींदारी प्रथा के कारण खेती बदुआ मजदूरों के द्वारा कराई जा रही है जिसके कारण वहां पर कृषि उपज उतनी नहीं हो पाती जितनी एक किसान अपनी खेती पर स्वयं -करता है ! अभी-अभी सुनने में आ रहा है कि इस पंजाब प्रांत की सबसे उपजाऊ 10000 एकड़ जमीन पर सेना ने कब्जा करके उस पर पर खेती करने के लिए योजना बनाई है ! सेना के इस कदम से यह सिद्ध हो गया है कि वह अभी भी वहां पर जागीरदारों की तरह बनी हुई है !

आजादी के बादभारत में सर्वप्रथमआधारभूत ढांचे को सुधारने का प्रयास किया गया जिसमें जमींदारी प्रथा को खत्म करके किसानों को उनकी भूमि का मालिक बनाया गया परंतु ऐसा पाकिस्तान में नहीं हुआ ! वहां पर पर केवल 560 जमीदार परिवारों के पास पाकिस्तान की 70 फ़ीसदी कृषि भूमि इनके कब्जे में है !यह जमीदार इनमें भुट्टो जरदारी, जाटोई, मुर्तजा , जैसे परिवार प्रमुख है अब तक के पाकिस्तान में इन्हीं परिवारों के लोग राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैंऔर यह वहां की राजनीति को इस प्रकार नियंत्रितकरते हैं जिससे इनकी जमीदारी पर कोई असर ना आए ! इसलिए अभी तक पाकिस्तान में भूमि सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है ! देखा जा सकता है कि जो पाकिस्तानखाद्यान्न का निर्यातक होना चाहिए थाआज वहां पर वहां की जनताआटे के बिना भूखी मर रही है ! यह वहां की जनता के प्रतिबहुत बड़ा अपराध है !

80 और 90 के दशक में जब पूरा विश्व आर्थिक प्रगति कर रहा था उस समय विश्व की दो महा शक्तियों के बीच शीत युद्ध में पाकिस्तानअमेरिका के हाथों की कठपुतली बनकरअपने देश मेंआतंकवादी तैयार कर रहा था ! यदि उसे समय पाकिस्तान में जनहित वादी प्रजातांत्रिक व्यवस्था होती तो ऐसे समय मेंवहां पर चारों तरफऔद्योगिक और कृषि का विकास होतापरंतु पाकिस्तान में चल रहे आतंकवाद को देखकर विश्व के निवेशकों ने भी यहां पर नि वेश करना उचित नहीं समझा इस कारणपाकिस्तान की औद्योगिक प्रगति न के बराबर हुई !पाकिस्तान में बेरोजगारी चरम पर पहुंच चुकी है !

 इस प्रकार देखा जा सकता है की गुलामी की प्रथा की तरह ही शासको ने केवल स्वयं का हित ही देखा है उन्होंने कभी राष्ट्र निर्माण की तरफ ध्यान ही नहीं दिया ! जिसके कारण पाकिस्तान में किसी भी क्षेत्र में कोई प्रगति नहीं हो पाईऔर आज इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान में खाद्यान्न की भारी कमी हैऔर वहां के एक आम नागरिक को रोजाना की खाने पीने की वस्तुएं ऊंचे दाम पर मिलती हैजिसकी कीमतउसकी पहुंच से बाहर होती है !यह पाकिस्तान की वही स्थिति हैजब भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्रवेश किया थाऔर धीरे-धीरेभारतवर्ष कोअपना गुलाम बना लिया था !इसी प्रकारपाकिस्तान की स्थिति को देखते हुए चीन ने अपना प्रवेश वहां पर इस प्रकार किया है जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में किया था !इसके लिए उसने पाकिस्तान के साथ साझा आर्थिक गलियारा बनाने की योजना लागू की है ! इसके अंतर्गत चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर इस प्रकार कब्जा कर लिया है जिस प्रकार श्रीलंका के बंदरगाह पर चीन का कब्जा है !अब वह दिन दूर नहीं जब चीन पाकिस्तान कीइस आर्थिक दुर्दशा का फायदा उठाकरवहां पर अपना कब्जा करेगा !

1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान में1958–71 ,1977-88, 99-2008 तक पूरे33 साल तक वहां प र प्रजातांत्रिक व्यवस्था के स्थान पर केवल सेना का शासन रहाऔर सेना ने वहां पर देश हित में जन कल्याण की योजनाओं के स्थान पर हर समय केवल स्वयं को सत्ता में बनाए रखने के लिए प्रयास किया !इसी के कारण वहां की सेना अपना वहां पर वर्चस्व बनाए रखने के लिए भारत कोअपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती है ! जबकि भारत कभी भी किसी पड़ोसी के साथ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करना जिससे पड़ोसी देश की व्यवस्था में कोई व्यवधान आए ! इस समय भारत विश्व की एकआर्थिक और सैनिक महाशक्ति के रूप मेंस्थापित हो चुका हैऔर वह आसानी सेअपने पड़ोसी देशों की हर प्रकार से मदद कर सकता है !

पाकिस्तान की ज्यादातर जमीनी और समुद्री सीमा भारतवर्ष के साथ लगती है इस प्रकार दोनों देशों के बीच में औद्योगिक और आर्थिक सहयोगआसानी से स्थापित किया जा सकता है !और भारत के विकास से पाकिस्तान भीअपने देशवासियों को भुखमरी ,बेरोजगारी और गरीबी से वहां की जनता को बचा सकता है ! परंतु यह तभी होगा जब पाकिस्तान के शासक अपने भारत के साथ दुश्मनी के रवैया को बदलकर भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे ! पाकिस्तान में यह तभी संभव है जब वहां की सेना की मानसिकताअपने देश के शासन तंत्र पर कब्जे के स्थान पर केवल देश की सीमाओं की रक्षा के लिए बन जाए !अन्यथा प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जनप्रतिनिधिअक्सर वहां की सेना के इशारे पर भारत के साथ दुश्मनी ही निभाते रहेंगे इस सब को देखते हुएपाकिस्तानी जनता के पासजनवरी2024 मेंवहां पर आम चुनावो के द्वाराअवसर हैजब वहऐसे जनप्रतिनिधि चुने जो वहां पर सामंत शाही को हटाकरअसली प्रजातंत्र की स्थापना कर सकें !

पाकिस्तान की सेना को भारत की सेना से सीख लेनी चाहिए की किस प्रकार वह वह देश की शासन प्रणाली या आर्थिक गतिविधियों में स्वयं के लाभ के लिए कोई दखल नहीं देती है ! वह केवल अपने कर्तव्य जिसमें देश की सीमाओं की सुरक्षा उसका सर्वोपरि कर्तव्य है उसी तक अपने आप को सीमित रखती है ! इसके अतिरिक्त जब भी प्राकृतिक आपदाओं में देश को सेना की आवश्यकता होती है तो वह उसमें देशवासियों की पूरी मदद करती हैऔर उन्हें इन आपदाओं से बचाती है ! अपनी उज्जवल छवि के कारण हीआज भारतीय सेना का पूरे देश में उच्च कोटि का सम्मान है !जबकि पाकिस्तान में वहां का हर निवासी सेना को शक की नजर से देखता है ! इसलिए पाकिस्तान की सेना को स्वयं भीअपने आप को हैं नियत कर्तव्यों तक ही सीमित रखना चाहिए जिससे उन का भी सम्मानपूरे देश मेंभारतीय सेना की तरह हो सके !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.