पाकिस्तान की मुख्य समस्या वहां पर अभी तक चल रही सामंत शाही व्यवस्था है

NewsBharati    13-Feb-2023 14:38:51 PM   
Total Views |
संयुक्त भारत की सबसे ज्यादा उपजाऊ और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर जमीन के होने के बावजूद भी आजकल पाकिस्तान इस सदी के सबसे गंभीर खाद्यान्न संकट से जूझ रहा है ! जबकि इतनी उपजाऊ जमीन होने के कारण पाकिस्तान को खाद्यान्न का निर्यातक होना चाहिए था ! वैसे तो 1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान में तरह तरह के संकट आते रहे जो ज्यादातर मानवीय कारणों से थे जैसे बंटवारे के समय 14 करोड़ शरणार्थि भारत-पाकिस्तान के बीच एक दूसरे के यहां गए जिसके कारण पूरे पाकिस्तान में अस्थिरता का माहौल रहा !

Pakistan Problem


इसके बाद वहां पर सत्ता के लिए बार-बार ...राजनीतिक संकट उत्पन्न हुए जिसका फायदा उठाकर वहां की सेना ने वहां पर अभी तक 5 बार मार्शल लॉ लगाकर सैनिक शासन स्थापित किया है! इसके कारण पाकिस्तानी सेना देश के प्शासनतंत्र पर पूरी तरह शुरू से ही हावी रही है इसके कारण सेना ने विकास के धन को हथियार और गोला बारूद खरीदने पर खर्च किया ! इसके साथ साथ सेना ने 1980 के दशक में जनरल जियाउल हक के शासन के समय पाकिस्तान में आतंकी तैयार करने शुरू कर दिए जिनका उपयोग अमेरिका ने अफगानिस्तान से रूसी सेना को भगाने के लिए किया ! इसके बाद पाकिस्तान भाड़े के आतंकी तैयार करने वाला देश बन गया जिसके कारण विश्व की ज्यादातर आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान का नाम आने लगा ! इसके लिए पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तान में मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया और इसके द्वारा वहां के मदरसों में पढ़ने वाले नौजवानों को आतंकवाद में धकेला !

आज पाकिस्तान में तरह-तरह के आतंकी संगठन चल रहे हैं जिनमें तहरीक-ए-तालिबान आजकल काफी खबरों में है जो पाकिस्तान में खलीफा शासन स्थापित इस्तेमाल करना करना चाहता है ! इसके लिए इसने 2022 में 150 से ज्यादा आतंकी हमले किए हैं ! इन सब के कारण पाकिस्तान में आजादी के बाद से ही औद्योगिक विकास बिल्कुल रुक गया और यहां की आतंकी और हिंसक गतिविधियों को देखते हुए विश्व के निवेशक ने भी पाकिस्तान में निवेश नहीं किया ! जिसके कारण पाकिस्तान में बेरोजगारी चरम पर है इसके साथ साथ पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह ज्यादातर अपना आयात और देश का खर्चा अरब देशों के दान या कर्ज में मिली हुई राशि के द्वारा चला रहा है !इन सब कारणों से आज पाकिस्तान की मुद्रा का यह हाल है कि अमेरिका का $1 पाकिस्तान के ₹250 के बराबर है ! पाकिस्तान के कोष में इस समय केवल 15 दिन के आयात के लिए धन शेष बचा है और अब उसकी पूरी आशाएं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर थी जहां से उसने 1.1 बिलियन पाउंड का कर्जा मांगा था ! परंतु खबरों में आ रहा है कि यहां से भी उसे कर्ज नहीं मिल रहा हैक्योंकि पाकिस्तान उसकी दी हुई शर्तों पर खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है !

पाकिस्तान में पैदा हुए और संकटों को समझा जा सकता है परंतु खाद्य सामग्री का संकट समझ से परे है क्योंकि पाकिस्तान को प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर भूमि बंटवारे में मिली थी ! वहां के पंजाब प्रांत में पांच पांच नदियां जल के लिए उपलब्ध है और राजस्थान का उपजाऊ हिस्सा सिंध के रूप में पाकिस्तान के हिस्से में आया जबकि इसका रेगिस्तानी हिस्सा जैसे जैसलमेर, बाड़मेर तथा बीकानेर जिले भारत में आए ! परंतु देश के शासन तंत्र ने पाकिस्तान के निर्माण के समय से ही देश के निर्माण पर कोई ध्यान नहीं दिया जिसके कारण वहां पर अभी तक भूमि सुधार लागू नहीं हुए हैं ! इसके कारण वहां की कृषि योग्य भूमि के 70 परसेंट हिस्से पर केवल 263 सामंती परिवारों का कब्जा है जिन्हें आज भी नवाब, नवाबजादा, मनसबदार इत्यादि नामों से जाना जाता है !

इनमें प्रमुख नाम है भुट्टो, जरदारी, रजा गिलानी त्यादि ! पाकिस्तान में प्रजातंत्र केवल नाम मात्र का है क्योंकि यह सामंत अपने भय और आतंक से वहां की राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबली मैं पहुंचकर शासन पर कब्जा कर लेते हैं ! आंकड़ों के अनुसार वहां के देहातों में 55% आबादी भूमिहीन है जो इन सामंतों के यहां बंधुआ मजदूरों की तरह काम करके गुजारा करती हैं ! इन सामंतों ने प्राइवेट जेल बना रखी है जिनमें ये अक्सर मजदूरों को बंद कर देते हैं ! इन सामंतों के जुल्मों सितम से तंग आकर इनके युवा आतंकी संगठनों में भर्ती होकर आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं ! सामंतों का मुख्य व्यवसाय कृषि नहीं है इसलिए यह कृषि पर ध्यान नहीं देते हैं जिस कारण पाकिस्तान की उपजाऊ जमीन का पूरा उत्पादन नहीं मिल पा रहा है ! जबकि पाकिस्तान का मुख्य निर्यात और वहां की जीडीपी मुख्यतया कृषि पर ही आधारित है !इस सब के कारण जिस पाकिस्तान को खाद्यान्न गरीब देशों को निर्यात करना चाहिए उसी पाकिस्तान में आजकल आटे दाल इत्यादि के लिए लोग तरस रहे हैं और आपस में इसके लिये झगड़ रहे हैं ! खाने पीने की चीजें इतनी महंगी हो गई है कि यह आम नागरिक के पहुंच से बाहर जा चुकी हैं !

इस सबसे सिद्ध हो जाता है कि पाकिस्तान में कृषि भूमि के उचित उपयोग ना होने के कारण ही वहां पर इतना भयानकखाद्य संकट उत्पन्न हुआ है ! जिस पाकिस्तान को विश्व के और देशों का पेट भरना चाहिए था वह भूमि के दुरुपयोग के कारण आज इस संकट से गुजर रहा है ! भूमि की उपयोगिता को देखते हुए हिंदू धर्म में भूमि को मां के समान माना गया है क्योंकि यह मानवता की मूलभूत सुविधा और आवश्यकताओं को पूरा करती है ! इसलिए विश्व के अधिकतर प्रजातांत्रिक देशों में सर्वप्रथम राष्ट्र निर्माण की दिशा में भूमि सुधार कानून लागू किए गए हैं जिसमें भूमि को वहां के किसानों को सौंपा गया है जिससे वह इस पर भरपूर फसल ले सके परंतु बड़े दुख का विषय है कि पाकिस्तान में ऐसा अभी तक नहीं किया गया है और भूमि उन सामंतों के हाथों में है जो केवल इससे अपनी शान के लिए इस्तेमाल करते हैं ना कि इसका पूरा उपयोग करके मानवता के लिए अन्न पैदा करें !

इसको देखते हुए इस समय पाकिस्तान में भूमि को राष्ट्रीय संपदा मानकर इसे सामंतों के कब्जो से मुक्त करा कर वहां पर भूमि सुधार लागू होने चाहिए ! मानवता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने वाली भूमि को राष्ट्रीय संपदा मानकर देश के नागरिकों में इस का बंटवारा होना चाहिए जैसा कि पूरे विश्व में किया गया है ! परंतु यह बड़े दुख और सोच का विषय है कि पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने भी 1990 में भूमि सुधार को गैर इस्लामी करार दिया था ! इससे देखा जा सकता है कि पाकिस्तान में सामंत शाही की जड़ें कितनी गहरी है !

पाकिस्तान में भूमि सुधार दिखावे के लिए केवल नाम मात्र के लिए लागू किए गए जिनमें एक व्यक्ति को सिंचित भूमि का 500 एकड़ और असंचित का ग्यारह सौ एकड़ का अधिकार दिया गया ना कि पूरे परिवार को ! इसकी वजह से इन सामंती परिवारों ने अपनी भूमियों को अपने पास सुरक्षित रखा ! इसका मुख्य कारण था की आजादी के समय पाकिस्तान के प्रभावशाली सामंती लोगों ने जिन्ना को अपने प्रभाव में ले लिया और उन्हें भारत की तरह भूमि सुधार लागू नहीं करने दिये !जबकि भारत में आजादी के फौरन बाद पूरे देश में भूमि सुधार लागू किए गए और किसानों को उनकी भूमि के अधिकार प्रदान किए जिससे भारत के किसानों ने समय-समय पर हरित क्रांति के द्वारा भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में स्वाबलंबी बनाया और भारत खाद्यान्न का निर्यात और देशों को भी कर रहा है !

जैसा की सर्वविदित है पाकिस्तान की सेना ने 1947 से ही पाकिस्तान की सत्ता को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की और पाकिस्तान की जनता को यह दिखाने की कोशिश की कि भारत उन का सबसे बड़ा शत्रु है इसके लिए सेना ने बिना किसी विवाद के 28 अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर हमला कर दिया !अंग्रेजों ने पूरे भारत में फैली 544 रियासतों को भारत और पाकिस्तान में विलय होने के लिए कानून बनाया जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर राज्य का भारत में विलय हुआ परंतु फिर भी पाकिस्तानी सेना ने वहां की जनता को प्रभावित करने के लिए कश्मीर पर हमला किया और इसके लिए वह अभी तक भारत के साथ 5 युद्ध लड़ चुका है जिनमें हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा है !भारत-पाकिस्तान के केवल 7 दिन के युद्ध में भारत जैसे बड़े देश की 5 वर्ष की विकास योजना के बराबर का धन खर्च हो जाता है तो कल्पना की जा सकती है कि पाकिस्तान का कितना पैसा इन युद्धों में लगा होगा जो केवल पाकिस्तान की जनता को प्रभावित करने के लिए वहां की सेना ने भारत के साथ लड़े हैं जबकि कानून की नजर में जम्मू कश्मीर पर विवाद का कोई कारण नहीं है !

पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों और हट धर्मी के कारण ही पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और बांग्लादेश का निर्माण हुआ ! अभी भी भूमि के बारे में भी पाकिस्तानी सेना के बड़े बड़े अधिकारियों के पास बड़े-बड़े भूखंड है जो उन्हें खुश करने के लिए वहां की सरकारों ने उन्हें भेंट किए हैं ! इस बात से पूरा विश्व अवगत है की पाकिस्तान का शासन तंत्र वहां की सेना के द्वारा ही नियंत्रित होता है इसलिए पाकिस्तान की सेना स्वयं के स्वार्थ के कारण पाकिस्तान में भूमि सुधार लागू नहीं होने देती है !और इस सब का परिणाम है आज पाकिस्तान कंगाली के साथ-साथ भूखा भी है जिस पाकिस्तान में पर्याप्त जल और उपजाऊ जमीन है वहां की जनता आज खाद्यान्न के लिए तरस रही है ! इस प्रकार दिखा जा सकता है कि जिस सेना को देश के विकास और उसकी सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर करना चाहिए वहीं पाकिस्तानी सेना केवल स्वयं के स्वार्थ के लिए पाकिस्तान को बार-बार युद्ध में झोंक रही है और उसका आर्थिक शोषण कर रही है !

पाकिस्तान की इस प्रकार की आंतरिक स्थिति के कारण पूरे दक्षिण एशिया में अशांति है क्योंकि पाकिस्तान के निराश युवा हिंसा के मार्ग पर चलकर पूरे दक्षिण एशिया और विश्व में हिंसक घटनाएं कर रहे हैं ! इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व का मानव कल्याण है उसे चाहिए कि वह पाकिस्तान को अपने देश में स्वस्थ प्रजातंत्र स्थापित करने के उस पर दबाव डालें ! हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रावधान है कि वह सैनिक शासन को मान्यता प्रदान नहीं करता परंतु पाकिस्तान में परोक्ष रूप से सैनिक शासन चल रहा है ऐसी स्थिति में भी संयुक्त राष्ट्र संघ को इसको रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए ! इस स्थिति में पाकिस्तान की जनता त्राहि त्राहि कर रही है और मानवता की यही पुकार है कि आब पाकिस्तान की व्यवस्था को सच्चे अर्थों में जनता का शासन देने के लिए कदम उठाने चाहिए !इस प्रकार जो देश कंगाल और पूरे विश्व में आतंकवाद का निर्यातक बन गया है वह शांति का केंद्र बनेगा !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.