अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का नाम देखकर तनाव की स्थिति पैदा करता चीन

NewsBharati    22-Mar-2024 17:59:04 PM   
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पिछले कुछ समय से चीन बार-बार भारत केअरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत के नाम से पुकार कर भारत के साथ तनाव की स्थिति पैदा करना चाह रहा है ! जिसका खंडन बार-बार भारत सरकार करती हैऔर पूरे विश्व को बताती है की अरुणाचल प्रदेश भारत काअटूट अंग है ! इस विषय पर एक बार फिरअमेरिका ने कड़े शब्दों में चीन को चेताया है की अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है ! 8 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में सड़क संचार को बेहतर बनाने के लिए वहां पर सेला सुरंग मार्ग का उद्घाटन किया जिसको देखकर चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रियाकरते हुए कहां है कि भारत के प्रधानमंत्री कोअरुणाचल प्रदेश में ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए क्योंकि यह दक्षिणी तिब्बत का क्षेत्रहै है जो तिब्बत का हिस्सा है ! चीन के इस दावे का भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कड़े शब्दों में खंडन किया है,और चीन को कड़ी चेतावनी देते हुएअरुणाचल प्रदेश को भारत का अटूट अंग बताया है ! परंतुअपनी विस्तारवादी नीति के कारण चीनअपनी हरकतों सेबाज नहीं आएगा ! हालांकि कहने को तो चीन में कम्युनिस्ट शासन है ! परंतु वास्तव में चीन में अभी भी सामंत शाही प्रणाली से वहां की सरकार काम कर रही है ! जिसके कारण चीन की जनता त्रस्त है और वहां पर चारों तरफ तनाव देखने को मिलता है !

Arunachal Pradesh India China
 

चीन में 1949 में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना हुईऔर माओ वहां के शासन अध्यक्ष बने ! इसके बाद चीन ने सामंत शाही की तरह विस्तारवादी नीति अपनाई ! जिसमें चीन ने अपने पड़ोसी देशों की भूमियों पर कब्जा करने शुरू कर दिए और इसी के चलते चीन ने1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया ! इसके बाद उसने भारत के आक्साइचिन क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए अपने जिङ्ग्जियांग-को तिब्बत के कासगर से जोड़ने बाली सड़क जी 219 का निर्माण किया ! जिसमें इस सड़क का कुछ हिस्सा पूर्वी लद्दाख केअक्साई चिन्ह क्षेत्र मैं भी पड़ता है !अक्साईचिन के इस क्षेत्र में तिब्बत की तरफ से आना-जाना आसान है परंतु भारत की तरफ से ऊंची पहाड़ियां होने के कारण यहां तक पहुंच पाना मुश्किल है ! इसी कारण इस सड़क की सूचना भारत सरकार को1957 में ही प्राप्त हो सकी !इसके बाद भी भारत सरकार ने इसे अपनी जनता से छुपा कर ही रखा ! इसी नीति के अंतर्गत चीन ने अपने पड़ोसी16 देश की भूमियों परअवैध कब्जे किए हैं जिनमे तत्कालीन सोवियत संघ के कुछ देश भूटान म्यांमार भारत इत्यादि देश हैं ! जब भी भारत सरकारअरुणाचल प्रदेश में कोई भी विकास का कार्य करती है तभीचीनअरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत के नाम से बुलाना शुरू कर देता है ! इसी के अनुसार उसने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अरुणाचलप्रदेश में जब सेला सुरंग का उद्घाटन किया तो चीन ने फिर वही अपना रागअलापना शुरू कर दिया है ! परंतु इस बारभारत के दावे की पुष्टि अमेरिका जैसी महाशक्ति ने भी किया हैऔर इसकी पुष्टि बहुत से पश्चिमी देश भी कर रहे हैं ! अक्सर चीन का विदेश और रक्षा मंत्रालय इस प्रकार के बयानदेता रहता है जिसमें वहअरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बतऔर इसके बहुत से प्रमुख स्थानों को चीनी नाम से पुकारता है ! हालांकि समय-समय पर भारत ने चीन के इन दावों का खंडन गणेश शब्दों में किया है ! परंतु इस बार भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सख्त शब्दों में चीन की भर्त्सना करते हुए अरुणाचल प्रदेश को एक बार फिर भारत का अटूट अंग बताया है !

चीन और भारत के बीच में 3488 किलोमीटर की सीमा है जिसमें1597 किलोमीटर पूर्वी लद्दाख 544 किलोमीटर हिमाचलऔर उत्तराखंड 220 किलोमीटर सिक्किम तथा1126 किलोमीटर अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्र आता है ! इस सीमा का अधिकांश भाग तिब्बत के साथ लगता है ! सीमा का रेखांकन करने के लिए 1914 तत्कालीन भारत की अंग्रेजी सरकार ने ने1914 मेंशिमला में एक मीटिंग बलाई जिसमें तिब्बतऔर चीन के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया ! इस मीटिंग में दोनों देशों के बीच में लगाती हुई सीमा का ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से रेखांकन किया गया जिसको मैकमोहन रेखा का नाम दिया गया ! उस समय भी चीन के प्रतिनिधि ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था परंतु इस सीमा का मुख्य भाग तिब्बत के साथ ही लगता है इसलिएउसके प्रतिनिधि के हस्ताक्षर के बाद इसको तिब्बत और भारत ने आधिकारिक सीमा का स्थान दिया !1951 तक इस सीमा का कोई विवाद नहीं था परंतु जैसे हीचीन ने तिब्बत पर कब्जा किया उसने पूर्वी लद्दाख केअक्साई चिन क्षेत्र में एक सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया जिसके इस निर्माण की सूचना भारत को1957 में मिली परंतु फिर भी इस पर तत्कालीन सरकार ने इसका कोई विरोध नहीं किया क्यों की भारत उस समय चीन के साथ किसी भी प्रकार की सैनिक कार्रवाई के लिए तैयार नहीं था ! इसके अलावा भारत और चीन के बीच में 1955 में पंचशील समझौता हो गया था जिसके द्वारा भारत सोच रहा था की शायद चीन इस समझौते केद्वारा ही इसको सुलझा ले !

1951 से ही चीन की गतिविधियां पूरी भारत चीन सीमा केआसपासबढ़ गई थीऔर बार-बार चीन मेकमोहन रेखा को सीमा न मानते हुए इसका उल्लंघन कर रहा था !इस स्थिति में 1958 में भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल थिमैया ने प्रधानमंत्री नेहरू को चीन की इन हरकतों के बारे में अवगत करायाऔर चीन से मुकाबला करने के लिएआधुनिक हथियारों कीआवश्यकता के लिए धन की मांग की !इस परनेहरू ने कोई कार्रवाई नहीं की ! नेहरू जी के इस रवैया को देखते हुजनरल थिमैया नेअपने पद से इस्तीफा दे दिया था !उसके बाद चीन नेअक्टूबर 1962 में भारत पर हमला कर दिया जिसके लिए भारततीय सेना तैयार न थी जिसके कारण भारत के 38000 वर्ग किलोमीटर अकसाई चिन क्षेत्र पर चीन ने कब्जा कर लिया जिस पर वह आज तक कायम है ! इसके बाद भी चीन हमले करता रहा जिसमें सिक्किम के नाथुला पर1967 मेंहमला किया जिसका कारा जवाब जनरलनाथू सिंह ने दिया जो भारतीय सेना की सिक्किम डिवीजन के प्रमुख थे !इसके बाद1986 मेंअरुणाचल केसोमद्रोंचू चू नाम के क्षेत्र में चीन ने एक हेलीपैड बनाने की कोशिश की जिसको भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया ! इसके बाद भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल सुंदर जी ने भारत सरकार से चीन से लगने वाली सीमा केलिए संचार के साधनों के लिए मांग कीऔर उनकी मांग को भारत सरकार ने मानकरइस पूरे क्षेत्र में सड़क और फूलों का निर्माण किया जिन पर सेना के टैंक चीन से लगने वाली सीमा तक पहुंच सके !

1950 में भारत की उत्तरपूर्वी सीमा पर मैक मोहन रेखा के साथ लगने वाले क्षेत्र को नेफा के नाम से पुकारा जाता था ! प्रशासन के लिए इस क्षेत्र को मुख्यतःपांच डिविजन मैं बांटा गया थाऔर यहअसम राज्य का ही हिस्सा कहलाता था ! क्षेत्र कोअच्छे प्रकार काप्रशासन देने के लिएअसम के तत्कालीन राज्यपाल श्री जयराम दास दौलत राम ने योजना बनाई जिसकी जिम्मेदारी वहां के एक प्रशासनिक अधिकारी बॉब कटिंगको दी गई जिन्होंनेबड़ी बहादुरी से तवांग इस क्षेत्र का मुख्यालय बनायाऔर वहां से तिब्बत केतत्व जो वहां पर सक्रिय थे उन्हें भगाया जिसके लिए आप कोभारत सरकार ने सम्मानित किया ! इस क्षेत्र मेंज्यादातर लोग मोनपाजाति के हैं जोबौद्ध धर्म के अनुयाई हैं ! 1951 में जब तिब्बत पर चीन ने कब्जा किया था तब वहां से कुछ तिब्बत के शरणार्थियों ने यहां पर शरण ली थी !बौद्ध धर्म के अनुयाई होने के कारण यहां की जनता तिब्बत के दलाई लामा के प्रतिअपनी धार्मिकआस्था रखती है और इसी के के कारण ये निवासी कुछ धन धर्मार्थ के लिएदलाई लामा को देते थे ! इसी पृष्ठभूमि के आधार पर चीनअरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का नाम दे रहा है !जो सरासर गलत है इस प्रकारबांग्लादेश से1970 के आसपास बहुत से शरणार्थियों नेभारत के बंगाल और उससे लगाते हुएअसमऔर अन्य प्रदेशों मेंशरण ली थी जहां पर वह आज तक रह रहे हैं ! कल कोअरुणाचल की तरह हीबांग्लादेश की सरकार यदि इन क्षेत्रों कोअपना कहने लगे तो इसमें कोईताज्जुब नहीं होगा ! इसलिए भारत को चीन के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करकेउसेऐसा पुकारने से रोकना चाहिए !

1986 में सोमद्रोंचू की झड़प के बादभारत और चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए वार्ताएं शुरू हुई इनके द्वारा1993और1996 में चीन के साथ सीमाओं पर शांति बहाल करने के लिए समझौते किए गए !इस समझौता के आधार पर यह तय किया गया की दोनों देश की बीच में नियंत्रण रेखा केआसपास दोनों देशों के सैनिक बिना हथियारों के हीनिगरानी पेट्रोलिंग करेंगे ! इसके बावजूद चीनबार-बार इस समझौते का उल्लंघन करता रहा है ! जून 2020 में गलवान में दोनों देशों की सैनिकआपसी तनाव को कम करने के लिएएकत्रित हुए थे जिसमेंचीनी सैनिक अपने साथ छुपा कर कटीले तार लगे हुए डंडे लेकर आए जिनसे उन्होंने मौका पाते ही भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया ! परंतुभारतीय सैनिकों ने निहत्ते ही चीनी सैनिकों को मुंह तोड़ जवाब दिया और उसके बहुत से सैनिकों को बिना हथियारों के ही धराशाई कर दिया ! इसी प्रकार2022 में तवांग में दोनों देशों केसैनिकों के बीच में झड़प हुई इसमे भी भारतीय सैनिकों नेचीनी सैनिकों को उनके क्षेत्र में खदेड़ा !

1962 के युद्ध के बाद भारतीय सेना ने चीनी सीमा परलगातार अपनी तैयारी की हैइसके द्वारा सीमा पर वायुसेना की शक्ति बढ़ाने के लिएलद्दाख में दौलत बेघगोल्डी तथाअरुणाचल के लिए क्योंमुं मैं हवाई पट्टी तैयार की गई जहां सेआवश्यकता पड़ने पर वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल और सयू30 विमान उड़ान भर सकें ! इसके अलावा लेहलद्दाख को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए पहले केवल श्रीनगर से एक सड़क जाती थी जिसको बंद करने के लिए बार-बार पाकिस्तान कोशिश करता है ! जैसे कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की सेना के इरादे इस मार्ग पर कब्जा करना था ! परंतुअब लेह के लिए हिमाचल प्रदेश से भी एक लंबी सुरंग बनाकर दूसरी सड़क का निर्माण कर दिया गया है ! इसी प्रकारअरुणाचल की सीमा के लिए भी जरूरी सड़कों और पुलों का निर्माण किया गया है ! जिनके द्वारा लड़ाकू टैंक लद्दाख तथा अरुणाचल कीसीमा तक पहुंच सके ! इसके साथ-साथ इन सीमाओं के लिए सेना द्वारा स्ट्राइककोर तैयार की गई है जिसके द्वारा चीनी सीमा के अंदर जाकर भारतीय सेना चीनी ठिकानों पर हमला कर सके !दक्षिणी चीन सागरऔर हिंद महासागर में चीन की नासोनिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए भारत के प्रयासों से अमेरिका जापानऑस्ट्रेलिया के साथ स्क्वाड नौसैनिकगठबंधन किया गया है जिसके द्वारा चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती हुई नौसैनिक गतिविधियों परअच्छी प्रकार से लगाम लग गई है ! चीन भली भांति भारत की तैयारी के बारे में जान चुका है इसके कारण वह बार-बार केवल छोटी-मोटी झड़प में करके ही भारत कोअपनी शक्ति का प्रदर्शन करता रहता है परंतु अब भारतीय सेना चीनी सेना को हर प्रकार से जवाब देने में सक्षम है !

परंतु यहां पर मूल प्रश्न है कि जब तक चीन का कब्जा तिब्बत पर रहेगा तब तक वह पूरे दक्षिण एशिया में भारत बांग्लादेशऔर म्यांमार के लिए इसी प्रकार खतरा बना रहेगा इसलिए भारत को मजबूती सेअंतरराष्ट्रीय मंचों पर तिब्बत पर चीन के गैरकानूनी कब्जे के बारे में आवाज उठानी चाहिए ! और विश्व मेंचीन की असलियतसबके सामनेरखी जानी चाहिए ! इससे जब तिब्बत पर ही चीन का कब्जा गैर कानूनी साबित होगातो वह अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत नहीं कह सकता !इसलिए शीघ्रअति शीघ्र अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ इत्यादि पर भारत को चीन की असलियत कोसबके सामने रखनी चाहिए !इस प्रकारअलग पड कर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी भी बुरा प्रभाव पड़ेगा जिसके दवारा वह पूरे एशियाई देशों कोअपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा है जैसे श्रीलंका पाकिस्तानऔर बहुत से अफ्रीकी देश !आर्थिक गलियारा के नाम पर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और उसकी बहुत सी जमीनों परकब्जे के बारे में भी पूरे विश्व कोजोर-जोर से बताया जाना चाहिएऔर यह भी बताया जाना चाहिए की इसके द्वाराजल्दी ही चीन पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कब्जा करने वाला है इस प्रकार जब चीनअंतरराष्ट्रीय मंच पर बदनाम औरअलग होगा तो वह अपनी विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाएगा !
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Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.