राजनीतिक दंगल में भारतीय सेना के मनोबल को प्रभावित करने का प्रयास

NewsBharati    12-Nov-2025 12:16:52 PM   
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सैनिक देश की सीमाओं की सुरक्षा एवं युद्ध अपने मनोबल और देशभक्ति की भावनाऔर साहस से करता है ! उसका मनोबलऔर उसकी भावनाको सबसे ज्यादा प्रभावितदेशवासियों की सेना के प्रति सोच और श्रद्धा के कारण होता है ! परंतु पिछले काफी समय से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सेना की छवि पर इस प्रकार से प्रहार करने की कोशिश कर रहे हैं जैसे कि वे सत्ताधारी दल और देश विरोधी शक्तियों पर करते हैं ! इस बार उन्होंने बिहार की चुनाव रैली में कहा है कि जिस प्रकार देश की10% ऊंची जातियों का आधिपतदेश की राजनीति और नौकरशाही में है उसी प्रकार से इनका नियंत्रण भारतीय सेना में भी है ! उन्होंने एक प्रकार से भारतीय सेना को पाकिस्तान की सेना की तरह ही बताने की कोशिश की है ! परंतु वे यहां पर भूल गए कि भारतीय सेना ने कभी भी देश का शोषण पाकिस्तान की सेना की तरह नहीं किया है ! भारतीय सेना हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि मानती है !


indian army

 वह यह भूल गए की सेना में किसी स्तर पर भी भर्ती प्रक्रिया में जातीय या अन्य किसी प्रकार के आरक्षण का प्रावधान नहीं है ! सेना में सैनिकों की भर्ती उनकी शारीरिक और शैक्षिक योग्यता के आधार पर होती है ! और अधिकारीयों की भर्ती उनके नेतृत्व की क्षमता औरअपने अधीन सैनिकों को हर खतरे में देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रेरित करने की योग्यता पर होती है ! इस प्रकार सेना की भर्ती प्रक्रिया में कोई भेदभाव न होने के कारण तब किस प्रकार केवल उच्च जाति के लोग सेना को नियंत्रित कर सकते हैं ! शायद उनका इशारा कुछ उच्च जातियों की सामंती सोच की तरफ था ! यदि सेना में इस प्रकार की सामंती सोच होती तो भारतीय सेना भी पाकिस्तान सेना की तरह भारत में मार्शल लॉ लगाकर सैनिक तानाशाही स्थापित करती, जैसा कि पाकिस्तान में आजादी से लेकर आज तक सात बार हो चुका है ! परंतु भारतीय सेना ने हमेशा संविधान की भावना के अनुसार देश की सीमाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा को अपना परम कर्तव्य समझते हुए अपने कर्तव्य का पालन किया है ! प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ इत्यादि एवं आंतरिक अशांति के समय जब भी सिविल प्रशासन ने सेना से सहायता मांगी तब ही उसने तत्परता से सिविल प्रशासन की सहायता करते हुए जनता की सुरक्षा की ! परंतु हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की सेना ने देश की अशांति के नाम पर वहां पर मार्शल लगाकर सात बार सैनिक शासन लगाकर पाकिस्तान को आर्थिक तथा सामाजिक के रूप से बर्बाद करके उसे आज की स्थिति में ला दिया है ! परंतु हमारे देश में सेना हर समय देश की उन्नति के लिए तत्पर रहती है !

1947 में पाकिस्तान की स्थापना के समय से ही पाकिस्तान की सेना ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कब्जे की योजना बनाई ! इसके लिए उसने भारत से दुश्मनी तथा देश में मुस्लिम कट्टरपन को बढ़ावा देना शुरू किया ! 1947 से पहले देश में 544 रियासतें थी जिनको भारत या पाकिस्तान में विलय के लिए अंग्रेजों ने प्रक्रिया निर्धारित की थी ! जिसके अनुसार रियासत के शासक के इच्छा अनुसारउसकी रियासत का विलय भारत या पाकिस्तान में हो सकता है ! अक्टूबर 1947 तक जम्मू कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने किसी भी देश में विलय की का कोई निर्णय नहीं लिया था ! परन्तु फिर भी पाकिस्तानी सेना ने 20 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर हमला कर दिया और 26 अक्टूबर तक वह कब्जा करते हुए बारामूला तक आ गई जो श्रीनगर से केवल 60 किलोमीटर है ! तब महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर को भारत में विलय का निर्णय लिया ! इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को कश्मीर से पीछे हटाना शुरू किया ! परंतु दुर्भाग्य से उसी समय भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ में चली गई और राष्ट्र संघ ने वहां पर सीज़फायर घोषित कर दिया जिसके कारण अभी तक पाक अधिघ्रित कश्मीर पर उसका कब्जा है ! इस प्रकार पाक सेना ने भारत से दुश्मनी पैदा की !

इससे सेना ने पाकिस्तानी जनता को यह महसूस करने की कोशिश की की भारत पाकिस्तान का बहुत बड़ा शत्रु है और केवल वहां की सेना ही उनकी भारत से उसकी रक्षा कर सकती है ! इसके साथ ही पाकिस्तान की सेना ने अपने देश का आर्थिक शोषण स्वयं के हितों के लिए करना शुरू किया ! हर देश में पब्लिक सेक्टर औद्योगिक धंधे होते हैं जिनका मुनाफा देश के हितों पर व्यय किया जाता है ! भारत में पब्लिक सेक्टर उद्योग केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में और इसका पूरा मुनाफा जनता की भलाई के लिए खर्च किया जाता है ! परंतु पाकिस्तान में इन उद्योगों का 50% वहां की सेना के नियंत्रण में है ! जिसका मुनाफा पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों की जेब में जाता है ! इसके साथ ही पाकिस्तान में अभी तक भूमि सुधार कानून लागू नहीं हुआ है ! इसके कारण पाकिस्तान की सेना के अधिकारियों को अच्छे-अच्छे कृषि फार्म उन्हें उनकी सैनिक सेवा के उपलक्ष में दिए जाते हैं ! इसी कारण पाकअधिघ्रित कश्मीर में ज्यादातर कृषि भूमि पर सैनिक अधिकारियों के कृषि फार्म है ! जिन पाकिस्तानी युवकों को वहां की आर्थिक प्रगति में सहयोग देना चाहिए था उन्हें वहां की सेना ने वहां के मदरसों में आतंकवादी शिक्षा देखकर उन्हें आतंकवाद मैं धकेल दिया ! पहले अफ़ग़ानिस्तान में रूसी सेना के विरोध और बाद में उन्होंने कश्मीर में आतंक फैलाने की कोशिश की ! इस कारण पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था ठप हो गई और आज पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठनों की मदद पर निर्भर है !


पाकिस्तान अब तक भारत से चार युद्ध हार चुका है और इन चारों युद्धों में उसकी शर्मनकहार हुई है ! यह विश्व में पहली बार हुआ कि हरने वाले देश के इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों ने समर्पण किया जैसे कि पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने 1971 के युद्ध में किया था ! यह सब पाकिस्तानी सैनिकों के मनोबल की कमी और उनके प्रेरणा स्रोत अधिकारियों की नाकामी के करण हुआ है ! परंतु ऐसा वातावरण भारतीय सेना में नहीं है ! भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चार बार हराने के साथ ही उसने विश्व की महाशक्ति कहे जाने वाले देश चीन को भी युद्ध में करारा जवाब दिया है ! जैसे की 1962 के रीजंगला युद्ध में केवल भारत के 110 सैनिकों ने चीन के 3000 सैनिकों को धराशाई केवल अपने उच्च मनोबलऔर साहस से किया ! 1996 में भारत चीन के बीच में संधि हुई थी जिसमें तय किया गया था कि भारत और चीन की सीमाओं के बीच में नोमें'एस लैंड कहीं जाने वाले क्षेत्र में दोनों देश के सैनिक बगैर हथियारों के गस्त करेंगे! ! परंतु गलवान में 2019 में चीनी सैनिक मीटिंग के बहाने अपने साथ छुपा कर कटीले तार लगे हुए डंडे ले आए और उन्होंने अचानक भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया !

निहत्ते होते हुए भी भारतीय सैनिकों ने डटकर चीनी सैनिकों का मुकाबला किया तथा चीन के सैकड़ो सैनिकों को धराशाई कर दिया ! 1998 में कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सैनिकों ने मोर्चे बनाकर कब्जा कर लिया था जिसको वापस पाना एक असंभव कार्य था ! इस सबके बावजूद केवल अपने उच्च मनोबल से भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त करते हुए पाकिस्तान को सेना को करारी हार दी ! भारतीय सैनिकों ने अब तक के हर युद्ध में केवल अपने उच्च मनोबल से ही दुश्मन की बड़ी और शक्तिशाली सेना तथा उसके आधुनिक हथियारों का नकारा किया ! यह सब सेना अधिकारियों केअच्छे नेतृत्वऔर सैनिकों के साहस और देशभक्ति की भावना से हीसंभव हो सका है !

किसी भी देश की सेना में सैनिकों के मनोबल को प्रभावित देश की जनता की उसके प्रति भावना तथा सेना के अधिकारियों का उनके प्रति व्यवहार तथा उनकी प्रेरणा होती है !भारत में हर समय देश की जनता सैनिकों का सम्मान करती रही है तथा सब राजनीतिक दल भी सैनिकों के प्रति सम्मान तथा श्रद्धा प्रकट रहे करते रहे हैं ! भारतीय सेना में सामंतशाही के लिए कोई स्थान नहीं है जैसा कि आरोप श्री राहुल गांधी नेलगाया है की सेना को 10%उच्च जाति के लोग पूरी सेना को नियंत्रित कर रहे हैं ! सेना में भर्ती प्रक्रिया के लिएऑफिसर तथा सैनिकों के लिएभर्ती प्रक्रिया निर्धारित है ! भर्ती प्रक्रिया में सिविल सेवाओं की तरह किसी भी प्रकार के आरक्षण का कोई स्थान नहीं है ! अधिकारियों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रत्याशियों को सर्विस सिलेक्शन बोर्ड प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और उसे उत्तीर्ण होने वाले को ही सेना में अफसर के रूप में भर्ती किया जाता है !यह प्रक्रिया अंग्रेजों ने1936 में भारत में लागू की थी जिसका उद्देश्य एक सकारात्मक तथा विकसित व्यक्तित्व के उम्मीदवार को ऑफिसर के रूप भरती करना है !यह प्रक्रिया5 दिन चलती हैजिसमें सर्वप्रथमप्रत्याशी का मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया जाता है तथा उसके बाद उसका जमीन पर टेस्ट होता है जिसकेजिसके द्वारा यह देखा जाता है कि क्या उसकी करनीऔर कटनी में कोई अंतर तो नहीं हैजैसा कीलोग कहते कुछ है और करते कुछ हैं ! इन टेस्टों में उत्तीर्ण हुए परीक्षार्थी को हीअफसर के रूप में सेना में भर्ती किया जाता है ! इस प्रकार से चयन किया हुआ अधिकारीअपने सैनिकों को उच्च कोटी का नेतृत्व प्रदान करते हुएउनका प्रेरणा स्रोत बनकर उन्हेंदेश के लिए अपना सर्वश निछावर करने के लिए प्रेरित करता है !इस प्रकार देखा जा सकता है की सेना में किसी प्रकार की जातीय व्यवस्था इत्यादि के लिए कोई स्थान नहीं है ! सेना में केवल एक अधिकारीअपने स्वयं के आचरण और व्यक्तित्व से ही सैनिकों को लड़ने के लिए प्रेरित करता है !

इसको देखते हुए हमारे देश के राजनीतिक दलो के नेताओं को भारतीय सेना के गौरवऔर उसकी प्रणाली का सम्मान करना चाहिएऔर राहुल गांधी जैसे बयान नहीं देने चाहिए ! ऐसे बयान सैनिकों के मनोबल को प्रभावित करते हैं जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा का एकमहत्वपूर्ण अंग है ! इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सारे राजनीतिक दलों को सेना के प्रति एक ऐसीआचार संहिता बनानी चाहिए जिसमें सेना के मनोबल को नकारात्मक रूप में प्रभावित न किए जा सकेऔर हर स्थिति मेंउनके मनोबल को बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.