देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती पैदा करता पाकिस्तान का परोक्ष युद्ध

NewsBharati    22-Nov-2025 11:43:30 AM   
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जब कोई देश अपने दुश्मन देश सेआमने-सामने के युद्ध में नहीं जीत पता है तो वह फिर परोक्ष युद्ध का सहारा लेता है जैसे कि पाकिस्तान भारत के विरुद्ध कर रहा है क्योंकि भारत से 1947 से लेकर अब तक वह चार युद्ध हार चुका है इसलिए अब उसने परोक्ष युद्ध का सहारा लेने का निर्णय लिया है ! यह युद्ध सीमाओं पर नहीं लड़ा जाता है बल्कि देश के आंतरिक हिस्सों में आंतरिक सुरक्षा पर हमले के रूप में लड़ा जाता है ! देश की सामाजिक, आर्थिक और कानून व्यवस्था आंतरिक सुरक्षा के मुख्य हिस्से होते हैं ! इसलिए पाकिस्तान 80 के दशक से ही हमारे देश के विभिन्न राज्यों जैसे पहले पंजाब मेंऔर बाद में कश्मीर राज्य में धार्मिक कट्टरपंथी सोच का प्रचार करके वहां परआतंकवाद को बढ़ावा दिया किया है !

indian army

इन राज्यों में सांप्रदायिक तनाव के द्वारा वह पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करके कानून व्यवस्था को बर्बाद करना चाह रहा था ! इसी क्रम में अभी दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले पर धमाके के पीछे यही मुख्य कारण था ! इस धमाके के पीछे के रहस्य की परते खुलने पर पता लग रहा है कि आतंकियों का इरादा दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर और इसी प्रकार के देश के 37 प्रसिद्ध स्थान पर विस्फोट करकेसांप्रदायिक तनाव पैदा करके दंगे करवाना था ! जिससे विश्व को दिखाया जा सके की भारत में कितनी अशांति है और इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को गिराया जा सके ! परंतु हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी चौकसी एवं कर्तव्य निष्ठा से इनके इरादों को नाकाम कर दिया !


80 के दशक में रूसी सेना के द्वारा अफगानिस्तान में कब्जे के बाद अमेरिका ने इसे दक्षिण एशिया में अपने लिए चुनौती माना ! इसके बाद अमेरिका ने रूसी सेना को वहां से हटाने के लिए पाकिस्तान को अपना मोहरा बनाते हुए उसकेमदरसो में पढ़ने वाले जवानों को तालिबान बनाकर अफगानिस्तान मेंछापा मार युद्ध के लिए भेजना शुरू कर दिया ! इसके लिए अमेरिका की सी आइ ए ने पाकिस्तान की आइ ईस आइ को इस प्रकार केऑपरेशन के लिए प्रशिक्षित किया ! अमेरिका के इस ऑपरेशन मेंअफगानिस्तान के लोग भी शामिल थे ! जिन्हें अफगानिस्तान में रूसी सेना केहर ठिकाने की पूरी जानकारी थी ! इस प्रकार के छापामार युद्ध के आगे रुसी सेना ज्यादा देर टिक नहीं पाई और वह वापस चली गई ! इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान की पीठ थपथपाई और उसे इसी प्रकार चीन के विरुद्ध भी इस्तेमाल किया ! इसके लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को बहुत सी आर्थिक सहायता दी ! इस प्रकार आतंकवादको कमाई का जरिया बनाते हुए पाकिस्तान ने इसको राष्ट्रीय नीति के रूप में अपना लिया ! इस कारण तरह - तरह के आतंकी संगठन जैसे लश्कर ए तोयबा जैसे मोहम्मद इत्यादि वहां पर बन गए ! जिन्हें वहां पर खुलेआम अपनी गतिविधि चलाने की पुरी छूट मिल गई ! इसलिए पाकिस्तान के जिन नौजवानों को देश की आर्थिक प्रगति में सहयोग करना चाहिए था वह आतंकी बन गए ! इस करण पाकिस्तान ना तो औद्योगिक क्षेत्र मेंकोई प्रगति की और ना ही पाकिस्तान में विदेशी निवेश आया इस कारण आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का यह हाल है !


किसी भी देश में देश विरोधी आतंकी गतिविधि चलाने के लिए पहले वहां पर ऐसे कारण तैयार किए जाते हैं जिनके द्वारा वहां की जनता को दिगभ्रमित किया जा सकेऔर इसके द्वारा वहां के कुछ तत्वों को देश विरोधी गतिविधियों में लगाया जा सके ! इसके लिए उसने सर्वप्रथम पाकिस्तान से सीमा लगने वाले पंजाब को अपना निशाना बनाया ! पंजाब में सिखों में असंतोष फैलाने के लिए उसने उन्हें अलग खालिस्तान बनाने के लिए प्रेरित करने के लिएअपने रेडियो तथा टेलीविजन द्वारा इसका दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया ! उसने पंजाब के सिखों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि भारत में उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है ! इसलिए उन्हें अपना अलग देश खालिस्तान बनाना चाहिए ! इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए उसने पहले कुछ सफेद पोश लोगों को इसके प्रचार के लिए तैयार किया जिनमे संत जरनेलसिंह भिंडर वाले का नाम प्रमुख है !

जिन्होंने वहां के कुछ नौजवानों को पंजाब में खालिस्तान के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने के लिए अपने आतंकवादियों के द्वारा हिंसा करवानी शुरू की ! इसमें इनका मुख्य निशाना हिंदू आबादी होती थी ! इन आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए उसने पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र में इनके ट्रेनिंग कैंप स्थापित किये ! आखिर मेंपंजाब की राष्ट्रवादी जनता के सहयोग से पाकिस्तान के इस नापाक इरादे को भारत ने कुचल दिया तथा पंजाब दोबारा देश का प्रगतिशील प्रदेश बन गया ! इसके बाद पाकिस्तान की आइ एस आइ ने यही हरकत 90 के दशक में कश्मीर में शुरू की और वहां परदुष्प्रचार करना शुरू किया कि भारत में मुसलमानों का भविष्य सुरक्षित नहीं है इसलिए कश्मीर को आजादी चाहिए ! इसके लिए उसने वहां के नौजवानों को आतंकवादी बनाने के लिए उनकी सोच को कट्टरवादी बनाने के लिए मुस्लिम कट्टरपन को बढ़ावा वहां के कुछ मौलवियों से दिलवाना शुरू किया तथा वहां के कुछ नौजवानों को पाक अधिकृत कश्मीर में ले जाकर उन्हें आतंकवाद की ट्रेनिंग देकर अपने देश के आतंकियों के साथ कश्मीर में भेजकर उनसे हिंदुओं पर आतंकवादी हमले करवाए ! इसके फलस्वरूप वहां के तीन लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से विस्थापन पलायन करना पड़ा ! इस सबके लिएआतंकवाद को बढ़ावा देने वाले ओवर ग्राउंड काम करने वाले स्थानीय एजेंट को को वहां पर लागू धारा 370 से मदद मिल रही थी !

इसके कारण कश्मीर की जनता अपने आप को काफी प्रताड़ित महसूस कर रही थी ! इसको देखते हुए भारत सरकार ने कश्मीर में अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करते हुए वहां पर लागू धारा 370 को हटाकर वहां पर भारत का संविधान लागू किया जिससे आतंकवाद को समर्थन देने वालेतत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सके ! इस प्रकार कश्मीर में पंजाब की तरह आतंकवाद को खत्म किया गया ! आज जम्मू कश्मीर राज्य विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है !देश विरोधीआतंकवाद को देश के अंदर चलाने के लिए तीन तत्व मुख्य भूमिका निभाते हैं ! पहले धार्मिक कट्टरपन कोबढ़ावा देने वाले तत्व तथा आतंकवाद के साथ सहानुभूति रखने वाले ,दूसरे उनके लिए धन एकत्रित करने वाले तथा इन आतंकी तत्वों के रहन-सहन का इंतजाम करने वाले तथा कट्टरपन की सोच को बढ़ाने वाले जिन्हें ओवर ग्राउंड वर्कर या सफेद पोश भी कहा जाता है ! इस प्रकार इन तीनों तत्वों के सहयोग से आतंकी तैयार होते हैं जो देश में हिंसा फैलाने के लिए बेगुनाह लोगों पर हमले तथा सार्वजनिक स्थानों जैसे लाल किला इत्यादि पर हमला करके देश में आप शिक्षा असुरक्षा कथा सांप्रदायिक तनाव की भावना पैदा करते हैं ! इससे देश की देश की आंतरिक सुरक्षा नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है ! परंतु अक्सर वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्य सरकारे देशद्रोही तत्वों और उनके द्वारा फैलाई जा रहे हैं दुष्प्रचार की अनदेखी करती हैं जिसके कारणदेश में अस्थिरता फैलती है जैसा की उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगों के रूप में देखने में आया था !

उपरोक्त को देखते हुए देश की आंतरिक सुरक्षा के प्रति देश के हर नागरिक को भी उतना ही जागरूक रहना चाहिए जितना की सुरक्षा एजेंसी रहती है ! फरीदाबाद की यूनिवर्सिटी में पिछले काफी दिनों से उसके अध्यक्ष की मंजूरी और उसके डॉक्टर उमर जैसे देश विरोधी तत्व अपनी गतिविधियां चला रहे थे ! परंतु लाल किले के धमाके तक किसी भी सुरक्षा एजेंसी कोइस यूनिवर्सिटी के अंदरचल रही इन देश विरोधी गतिविधियों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली ! इसको देखते हुए सामरिक दृष्टि से इन जमीन की सतह के ऊपर सफेद पोश देशद्रोहियों और इन गतिविधियों के लिए धन देने वालों केविरुद्ध भी आतंकियों जैसी कार्रवाई करते हुए उन्हें कानून के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए ! जहां से इन्हें कड़ी सजा दिलवानी चाहिए ! इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर जिसमें एनआईए, आईबी और राज्यों की एटीएस के प्रतिनिधियों के साथ एक कमेटी स्थापित की जानी चाहिए जिससे पूरे देश में इस प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर शीघ्रता से कार्रवाई की जा सके ! इसके साथ ही कट्टरपंथी दुष्प्रचार को रोकने के लिए संप्रदाय विशेष के उदारवादी लोगों तथा उनके समाजसेवी और शिक्षा विदों का सहयोग लिया जाना चाहिए जो अपने समाज की सोच को धार्मिक कट्टरपन और देश विरोधी सोच से बदलकर इसे राष्ट्रवादी बना सकें ! इसके बाद जिस प्रकार सरकार ने छत्तीसगढ़ में समर्पण किये नक्सली और माओवादियों का पुनर्वास किया हैऔर उन्हें देश की सकारात्मक गतिविधियों में लगाया है उसी प्रकार मुस्लिम समाज के उन युवाओं का पुनर्वास किया जाना चाहिए जो कट्टरपन से दिग्ग्रहित होकर देश विरोधी गतिविधियों मेंलग गए हैं !

जिस प्रकार भारतीय सेना का हर सैनिक सीमाओं की सुरक्षा में तैनात रहता है ! उसी प्रकार देश के हर नागरिक को देश की आंतरिक सुरक्षा में तैनात रहना चाहिएम !और जहां भी किसी देश विरोधी गतिविधि की शंका हो उसकी सूचना फौरन सुरक्षा एजेंसी को दी जानी चाहिए जिससे वह समय पर कार्रवाई करके इन तत्वों को समाप्त कर सकें!

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.