नकारात्मक संकल्प से तात्पर्य है ऐसे निश्चय जिनका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष से बदला लेना या स्वयं को इस प्रकार का कष्ट देना जिससे उसकी पीड़ा से संबंधित व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़े ! ऐसे ही बहुत से उदाहरण हमारे धर्म ग्रंथो में भी हैं !पौराणिक ग्रंथो से आज के जीवन के लिए प्रेरणादायक कथाओं को अपनाने का प्रयास किया जाता है ! यह ज्यादातर सकारात्मक कथाएं होती हैं ! परंतु इनमें कुछ नकारात्मक कथाएं भी है !जिन्हें जीवन में नहीं अपनाना चाहिए ! परंतु अज्ञानता बस कुछ लोग इनको अपनाकर अपने चारों तरफ नकारात्मकता फैलाते हैं! ऐसी ही एक कथा महाभारत में माता गांधारी की है जिनकी नकारात्मक जीवन शैली और संकल्प का ही परिणाम था कि महाभारत जैसा महायुद्ध हुआ जिसमें अनगिनत योद्धा मारे गएऔर कौरव वंश का संपूर्ण विनाश हो गया ! गांधारी गांधार नरेश की पुत्री थी जिनका विवाह बलपूर्वक भीष्म पिता ने अपने अंधे पौत्र धृतराष्ट्र!य से करवा दिया था ! गांधारी जब प्रथम बार अपने पति से मिली तब उन्हें पता लगा कि उनके पति जन्म से ही अंधे थे थे !

यह पता चलते ही गांधारी ने एक नकारात्मक संकल्प के रूप मेंअपनी आंखों पर भी पूरे जीवन के लिए पट्टी बांध ली ! जिससे कि वह हर समय यह संदेश दें सके उनके साथ एक अंधे का विवाह करा कर अन्याय किया गया है ! इस स्थिति में होना यह चाहिए था की यदि पति के अंदर कुछ कमी है तो उसकी पूर्ति पत्नी को करनी चाहिए थी परंतु गांधारी ने यह संकल्प एक प्रतिशोध के रूप में लिया जिसके कारण उनकी नकारात्मक जीवन शैली और व्यवहार के द्वारा उनके पुत्रों का पालन पोषण हुआ ! माता के नकारात्मक व्यक्तित्व के कारण कौरव पुत्रों के व्यक्तित्व पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ा ! दुर्योधन और उसके भाइयों ने बचपन से ही नकारात्मक माहौल अपने घर में देखा इस कारणसबको और भाइयों काव्यक्तित्व नकारात्मक बन गया इसी कारण महाभारत में हर कदम पर दुर्योधन और उसके भाइयों का व्यवहार नकारात्मक और आक्रोश भरा ही दिखाई पड़ता है जिसका परिणाम था कि महाभारत का युद्ध हुआ जिसमें लाखों योद्धा मारे गए !
परिवार ऐसा स्थान है जहां व्यक्ति का जन्म होता है और उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है ! व्यक्तित्व निर्माण में मां की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है !जैसे की मां जीजाबाई ने शिवजी को राष्ट्रवादी और देश प्रेमी बनाया और इस प्रकार के अनेक उदाहरण हमारे देश के इतिहास में पाए जाते हैं जहां माता नेअपने पुत्रों को महान बनाया ! वहीं पर गांधारी के पुत्र द्वेषपूर्ण- नकारात्मक व्यक्तित्व के कारण देश को बर्बाद करने वाले सिद्ध हुए ! गीता में भगवान कृष्ण ने नियत कर्म को मनुष्य के लिए सबसे उत्तम बताया है और एक व्यक्ति के लिए अपने परिवार का उचित और सकारात्मक रूप में पालन पोषण भी नियत कर्म ही माना जाता है !
हालांकि नकारात्मक संकल्प किसी व्यक्ति विशेष से प्रतिशोद की भावना से किए जाते हैं ! परंतु इस प्रकार के संकल्प का प्रभाव संकल्प करने वाले के परिवार तथा आसपास के माहौल पर भी पड़ता है जिसका उदाहरण महाभारत का कौरव परिवार है ! इसलिए व्यक्ति को कोई भी नकारात्मक व्रत या प्रतिज्ञा नहीं करनी चाहिए और सकारात्मक संकल्प तथा व्यवहार से ही स्वस्थ परिवार और समाज का निर्माण करना चाहिए ! माता कैकई ने भगवान राम को राज के स्थान पर14 वर्ष का वनवास दिलवाया ! फिर भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने कभी भी माता के प्रति नकारात्मक भाव नहीं रखें ! इसी का परिणाम था की चारों भाइयों के आपसी स्नेह का उदाहरण आज भी दिया जाता है !
समाज का निर्माण व्यक्ति से होता हैऔर उस समाज में जिस प्रकार के संकल्प के व्यक्ति होंगे उसी प्रकार का समाज होगा ! इसलिए स्वच्छ समाज के लिए सकारात्मक विचारऔर संकल्पों को जीवन में अपनाना चाहिए !