18 जुलाई की रात में ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में बीडीएस की छात्रा ज्योति शर्मा ने छात्रावास के कमरे में आत्महत्या कर ली ! मौके से मिले सुसाइड नोट में छात्र! ने विद्यालय के प्रोफेसरो द्वारा मानसिक उत्पीड़न का जिक्र किया है ! ज्योति सेमेस्टर परीक्षा से पहले असाइनमेंट पर प्रोफेसरो द्वारा हस्ताक्षर नहीं किए जाने के कारण आहत थी जिसके कारण उसने यह कदम उठाया ! इसी क्रम में ग्रेटर नोएडा की ही जी- एन- आई -टी विद्यालय की बीटेक प्रथम वर्ष की छात्रा18 वर्षीय खुशबू ने अपने घर के कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली ! छात्र! ग्रेटर नोएडा के केसीसी विद्यालय में सेमेस्टर परीक्षा देने गई थी जहां पर उसकी जेब में नकल की पर्ची मिलने के कारण उसके खिलाफ केसीसी प्रबंधन ने अनुचित साधन एवं कदाचार की कार्रवाई करते हुए उसे परीक्षा से बाहर कर दिया !

इसके विरोध में उसने यह कदम उठाया ! इसी प्रकार उत्तराखंड के भीमताल के एक निजी विद्यालय में एक 18 वर्षीय छात्रा ने अपने छात्रावास के कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या करली ! इस तरह की घटनाएं देश के विभिन्न भागों से हर रोज सामने आती हैं जिनमे छात्र और युवक- युब्तीया थोड़े से मानसिक तनाव के कारण ही आत्महत्या कर रहे हैं ! उपरोक्त घटनाओं के बाद संबंधित विद्यालयों के अध्यापक और अन्य कर्मियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाती है जैसे की शारदा विद्यालय में उपरोक्त घटना से संबंधित दो प्रोफेसर को इस आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया है ! खुशबू की आत्महत्या के लिए भी उसके भाई ने केसीसी प्रबंधन, शिक्षकों व कर्मचारियों को बहन पर झूठे आरोप लगाकर अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने से मानसिक परेशान होकर आत्महत्या करने की बात कही है ! गैलोप वर्ल्ड पोल के अनुसार पिछले एक दशक में महिलाओं में गुस्से और मानसिक अवसाद का स्तर पुरुषों की तुलना में 6% तक अधिक बड़ा है ! भारत में यह अंतर और भी अधिक बड़ा है ! यहां महिलाओं में गुस्से का अंतर पुरुषों के मुकाबले 40.6 प्रतिशत अधिक है जिस कारण महिलाओं में मानसिक रोग ज्यादा बढ़ रहे हैं ! इसी कारण विद्यालयों में छात्राएं थोड़ी सी ही प्रताड़ना और शिक्षकों की पढ़ाई के लिए डांट फटकार के बाद ही आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती हैं ! परंतु पुराने समय में शिक्षा संस्थानों में ऐसी घटनाएं सुनने में नहीं आती थी !
उपरोक्त छात्र-छात्राओं के अलावा भी आजकल के नौजवान अपने कार्यक्षेत्र मैं असफलता या पति-पत्नी के बीच हुए मनमुटाव के बाद आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं ! अक्सर हर दूसरे दिन अकेले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आत्महत्याओं की घटनाएं होती रहती हैं ! पहले अक्सर सुनने में आता था कि पुरुष अपनी पत्नियों की हत्या करते हैं परंतु अब समय बदल रहा है और अब ज्यादातर महिलाएं पुरुषों की हत्या कर रही हैं ! मेरठ में पत्नी मुस्कान रस्तोगी ने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया ! बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का केस सामने आया है ! जहां उसने अपनी पत्नी की वजह से आत्महत्या कर ली है ! हाल ही में राजा रघुवंशी के केस ने तो पूरे समाज को ही हिला दिया है ! यह कुछ केस सुर्खियों में आए हैं लेकिन आज के समय में ऐसे केसो कीलंबी लिस्ट है जो गैलोप के आंकड़ों को सिद्ध करती है ! मनोवैज्ञानिक के अनुसार उपरोक्त आत्महत्याओं और हत्याओं का मुख्य कारण है संयुक्त परिवार प्रणाली का टूटना तथा महानगरों में न्यूक्लियर परिवारों में रहना जिनमें भावनात्मक रूप से असुरक्षा और अकेलेपन की भावना पाई जाती है ! असुरक्षा की भावना तथा समाज में दिखावे के कारण हर मां-बाप अपने बच्चों के पढ़ाई तथा उन्हें जीवन में अच्छे स्तर पर देखना चाहता है ! इस कारण बच्चों पर बचपन से ही जीवन में अच्छा करने के लिए बहुत ज्यादा दबाव डाला जाता है ! इस दिखावे और होड़ में मां-बाप बच्चों की असफलता स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है ! इसलिए आज की युवा पीढ़ी पढ़ाई मेंअच्छा करनेऔर उसके बादअच्छी नौकरी पाने के लिए कड़ा संघर्ष और मेहनत करते हैं और जब इन्हें असफलता मिलती है तब ये मानसिककमजोरी के कारणआत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं ! युवाओं में मानसिक रोगों कादूसरा बड़ा कारण है डिजिटल तकनीक और सोशल मीडिया ! आज के नौजवान हर स्थान पर समय मिलते ही टेलीफोन के द्वारा सोशल मीडिया पर ही लगे रहते हैं ! इसमें सोशल मीडिया पर दिखने वाली परफेक्ट जिंदगी उनके लिए कंपटीशन और दूसरों से तुलना को जन्म देती है ! इंटरनेट पर बढ़ते ट्रोल और नकारात्मक कंटेंट मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं ! इससे नींद की कमी अस्वस्थ खानपानऔर शारीरिकगतिविधियों की कमी और गुस्से में बढ़ोतरी होती है ! इनके कारण ही थोड़ी सी डांट फटकार के बाद ही आज की नई युवा पीढ़ी मानसिक कमजोरीऔर परिवारों में असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होने के कारण छोटी समस्या के सामने भी घुटने टेक कर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेती है !
पुराने युग में भावनाओं और संयम को स्थान दिया जाता था जिसके कारण कभी-कभी धन दौलत की कमी हो जाती थी इसके कारण कोई भी व्यक्ति अपना संयम नहीं खोता था ! परंतु आज के युग में जीवन स्तर को उठाने और धन कमाने की होड लगी हुई है ! इसलिए दोनों पति-पत्नी परिवार पर ध्यान देने की बजाय धन कमाने में व्यस्त रहते हैं और उनके पासअपने परिवार और बच्चों के लिए समय नहीं होता है ! शाम को दोनों थके हारे घर आते हैं जिसके बाद दोनों एक दूसरे से देखभाल की आसा करते हैं और खासकर पति अपने माता-पिता की तरह अपनी पत्नी से आशा करते हैं ! परंतु यह सब एक बाहर काम करने वाली पत्नी नहीं कर पाती है ! इसलिए अब रिश्तो में भावनाओं में असंतुलन और आत्मीयता की भारी कमी आ रही है ! इसी वजह से महिलाओं में गुस्सा बढ़ रहा है जिस कारण जहां परिवारों में प्रेम तथा भावनात्मक सुरक्षा का माहौल होना चाहिए अब उसकी जगह नकारात्मक माहौल देखने में आ रहा है ! इसी को देखते हुए आज की युवा पीढ़ी में मानसिक विकार बढ़ रहे हैं और उनमें मानसिक संयम की भारी कमी देखने में आ रही है और जिसके कारण मानसिक अवसाद में वृद्धि हो रही है !
विस्व स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति चेतना बढ़ाने के लिए गए सर्वेक्षणों से ज्ञात हुआ है कि दुश्चिंता यानी एंजायटी तरह-तरह के फोबिया बाइपोलर डिसऑर्डर आदि मनोरोग बढ़ते जा रहे हैं ! इनसे छुटकारा पाने के लिए युवा पीढ़ी ड्रग्स, तंबाकू, मद्यपान इत्यादि का सेवन कर रही है ! इन्हीं सर्वेक्षण में पाया गया है कि प्रोढ़ जनसंख्या में काफी लोग अनिद्रा से ग्रस्त हैं ! अनिद्रा के कारण मानसिक अवसाद पैदा होता है ! और इसी के कारण 1999 के बाद से आत्महत्या के केस 30% बढ़ गए हैं ! इसी कारण बुजुर्गों मेंअल्जाइमर तथा डिमेंशिया रोग भी बढ़ रहा है ! बदलते जीवन मूल्यों के कारण ज्यादातर बुजुर्ग और युवा पीढ़ी अकेली रह रही है जो मानसिक रोगों का मुख्य कारण है ! क्योंकि जिस प्रकार मछली जल के बगैर नहीं रह सकती इसी प्रकार मनुष्य भी बिना समाज के मानसिक रूप से स्वास्ठ नहीं रह सकता ! पहले जब परिवार संयुक्त थे तथा समाज में जुड़ाव था उस समय मनोरोगों के बारे में सुनने में बहुत काम आता था ! परंतु आजकल न्यूक्लियर परिवारोंऔर बदलते जीवन मूल्यों के कारण मनोरोग भी अन्य शारीरिक रोगों की तरह दिन रात छूत की बीमारी की तरह बढ़ रहे है !
आध्यात्म के अनुसार संसार में 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि सबसे उच्च कोटि की मानी जाती है क्योंकि विवेक केवल मनुष्य के पास ही होता है ! इसलिए हर मनुष्य को विवेक का प्रयोग स्वयं को मनोरोगों से मुक्त रखने के लिए करना चाहिए ! इसके लिए ज्ञान इंद्रियों पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है ! संसार का अनुभव मनुष्य अपनी ज्ञानेंद्रियों- आंख, कान, नाक, त्वचा तथा जीव से करता है !आजकल के युग में विज्ञापनों द्वारा रोजाना के घरेलू खाने-पीने और प्रयोग में लाने वाली वस्तुओं का बहुत ज्यादा प्रचार प्रसार किया जा रहा है और मनुष्य अपनी ज्ञानेंद्रिय द्वारा इन सामानों के प्रति आकर्षित होकर इन्हें खरीदने की कोशिश करता है !जिससे उसके जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है औरअपनी इच्छा और जरूरत की पूर्ति के लिए पति-पत्नी दोनों बाहर धन कमाने के लिए काम करते हैं ! इस कारण परिवार का सबसे प्रमुख कर्तव्य संतान की अच्छी देखभाल तथा उसे जीवन के लिए स्वस्थ आदतें सीखने जैसा काम छूट जाता है ! इसी का परिणाम है कि आज की युवा पीढ़ी बचपन में स्नेह की कमी के कारण रोबोट की तरह बनती जा रही है ! जैसे की जब रोबोट की बैटरी समाप्त हो जाती है तो वह जमीन पर गिर जाता है इसी प्रकार आज के युवा मानसिक शक्ति के समाप्त होने पर आत्महत्याओं के द्वाराअपना जीवन समाप्त कर रहे हैं ! इसलिए जरूरी है की परिवारों में बच्चों की देखरेखअच्छी प्रकार से की जानी चाहिए जिससे वे मानसिक रूप से मजबूत होकरअपने जीवन के संघर्षों का मुकाबला करने के लिए सक्षम बन सके !
अन्यथा थोड़े-थोड़े तनावों के द्वारा ही ये अपने जीवन को इसी प्रकार आत्महत्या द्वारा समाप्त करते रहेंगे !पहले के दिन याद करें तो हम पाते हैं कि स्कूलों में शिक्षा के लिए शिक्षक विद्यार्थियों को शारीरिक प्रताड़ना भी देते थे जिसकी कोई भी विद्यार्थी ना तो शिकायत करता थाऔर ना हीआत्महत्या जैसे कदम उठाता था ! क्योंकि उस पीढ़ी के लोग मानसिक रूप से काफी मजबूत और स्वस्थ होते थे !
इसलिए जीवन में भोग विलास की सामग्री के साथ-साथ मनुष्य को मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के बारे में भी प्रयास करना चाहिए ! और उसके साथ-साथ मां-बाप को अपने बच्चों को प्यार से बड़ा करना चाहिए जिससे वह मानसिक रूप से मजबूत होकर जीवन संघर्ष का मुकाबला कर सके !