पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ किये सिंधु जल समझौते कोरद्द करते ही पाकिस्तान को खुश करने के लिए भारत के विरोध के बावजूद चीन ने दक्षिण पूर्वी तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है ! इस बांध के बारे में भारतीय विश्लेषकों का कहना है कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है ! वह जरूरत पड़ने पर तिब्बत के बाँध मेंजमा पानी को बिना किसी पूर्व सूचना के छोड़ सकता है इससे अरुणाचल प्रदेश और असम के निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है !

इसी प्रकार उसने बांग्लादेश में तीस्ता नदी परियोजना पर एक बिलियन पाउंड निवेश किया है ! अभी कुछ समय पहले भारत के सिलीगुड़ी गलियारा से केवल 135 किलोमीटर दूर बांग्लादेश की सीमा में स्थित लाल मुनीरहाट हवाई अड्डे का नवीनीकरण तथा इसे दोबारा चालू करके प्रयोग लाने की योजना चीन ने बनाई है और इसकी स्वीकृतिबांग्लादेश ने दे भी दी है ! अंग्रेजों ने द्वितीय विश्व युद्ध में इस हवाई डे का निर्माण किया था परंतु स्वतंत्रता के बाद पूर्वी पाकिस्तान के निर्माण के बाद से यह हवाई अड्डा प्रयोग में नहीं है ! अब चीन इसका आर्थिक महत्व बताते हुए इस हवाई अड्डे को पुन चालू करके इसका इस्तेमाल करना चाह रहा है ! चीन द्वारा इस हवाई अड्डे पर कब्जा तथा इसका नवीनीकरण भारत के लिए सामरिक दृष्टि से एक खतरे तथा चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है ! यदि यह हवाई अड्डा चालू हो जाता है तो यह भारत के सिलीगुड़ी गलियारा जिसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है के लिए सीधा खतरा उत्पन्न कर सकता है ! सिलि गुड्डी कॉरिडोर एक 20 किलोमीटर चौड़ा तथा 60 किलोमीट र लंबा ऐसा सड़क मार्ग है जो भारत को सात बहने कहे जाने वाले उत्तर पूर्व राज्यों तथा सिक्किम के साथ जोड़ता है ! यह बंगाल में सिलीगुड़ी शहर से शुरू होकर तीसता नदी को पार करता हुआ 60 किलोमीटर तक आगे जाता है !
भौगोलिक दृष्टि से इसके पश्चिम में नेपाल उत्तर पूर्व में भूटान त और दक्षिण दिशा में बांग्लादेश की सीमाएं लगती है ! पूरे उत्तरपूर्वी राज्यों के लिए सड़क तथा रेल मार्ग इसी कॉरिडोर से गुजरता है ! उत्तर पूर्वी राज्यों तथा सिक्किम के लिए व्यापार और आर्थिक योजनाओं के लिए कच्चा माल तथाइन राज्यों द्वारा निर्मित उत्पादों का आयात निर्यात इसी मार्ग से ही होता है ! इसके अलावा उत्तर पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैनिक सामग्री तथा सैनिकों के आने जाने के लिए भी यही मार्ग प्रयोग में लाया जाता है ! इस दृष्टि से सिलीगुड़ी कॉरिडोर के महत्व को शब्दों में नहीं बताया जा सकता ! इसके महत्व को देखते हुए अभी कुछ समय पहले बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अपने चीन दौरे के समय कहां है कि यदि सिलिगुड़ी कॉरिडोर बंद हो जाता है तो भारत को अपने उत्तर पूर्वी राज्यों से संबंध और संचार के लिए बांग्लादेश पर निर्भर होना पड़ेगा ! यह परोक्ष रूप से बांग्लादेश की भारत के लिए एक धमकी थी और चीन के लिए इशारा था कि वह बांग्लादेश के द्वारा भारत को सबक सिखा सकता है !
1949 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना होने के बाद से उसने क्षेत्रीय विस्तारवादी नीति को अपनाया है ! इस नीति के द्वारा उसने अपने पड़ोसी 16 देश की भूमियो पर अवैध कब्जे किए हैं ! संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व की 5 महाशक्तियों में होने के कारण उसने इसका फायदा उठाते हुए इन भूमियों को विवादित बताकर उन पर खुद के दावो को उचित ठहरा दिया है ! इसी क्रम में उसने भारत के जम्मू कश्मीर राज्य की185947वर्ग किलोमीटरभूमि जिसमें अक्षय -चिन की 30425वर्ग किलोमीटर भूमि शामिल है तथा अरुणाचल प्रदेश की 67522वर्ग किलोमीटर भूमियों पर 50 के दशक से ही कब्जा किया हुआ है ! पिछले लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र संघ के नक्शे में भारत की भूमियों को विवाद में दिखाकर चीन राष्ट्र संघ के दायित्वऔर उसकी विवादों को सुलझाने की योग्यताकी पर भी सवाल उठा रहा है ! आज के युग में विस्तारवादी नीति को नया रूप देते हुए उपरोक्त के साथ 2013 में चीन ने एक बेल्ट एक रोड ( स!झा आर्थिक गलियारा) नाम से एक योजना चालू की है जिसके द्वारा वह विश्व पर 70 देश को सड़क मार्ग से जोड़कर उनके साथ आर्थिक सहयोग बडाना चाहता है ! इसी योजना के अंतर्गत उसने मौका देखकर पाक अधिग्रितकश्मीर के अंदर से जाने वाले काराकोरम हाईवे को चीन के साथ जोड़कर इसको पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित ग्वादर बंदगाह से जोड़ दिया है ! चीन के आयात निर्यात का 60% हिस्सा दक्षिण चीनसागर के द्वारा होता था !
इसलिए इसको अपने प्रभाव में लेने के लिएउसने इसके अंदर आने वाले बहुत से दीपों पर कब्जा कर लिया था ! यह दीप मलेशिया इंडोनेशिया जैसे देशों के थे ! इस प्रकार चीन ने दक्षिण चीन सागर में जो आगे जाकर हिंदू सागर में मिल जाता है इसमें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए आने जाने वाले जहाज के लिए खतरा पैदा कर दिया था ! इसी को देखते हुए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के द्वारा कवाड नाम का एक नौसैनिक संगठनबनाया गया है जिसके द्वारा चीन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके ! इसी को देखते हुए चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को लेकर स्वयं के आयात निर्यात के लिए एक विकल्प तैयार करने की कोशिश की है ! परंतु एक बेल्ट एक सड़क के नाम पर चीन ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बहुत से प्राकृतिक खनिज क्षेत्र खरीद कर अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह ही तरह बलूचिस्तान को अपने चंगुल में लेने की कोशिश की है ! इसी के विरोध में पहले से चल रहा है बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलनऔर भी ज्यादा उम्र हो गया है !
इसके अलावा इसी योजना के बहाने चीन ने पाकिस्तान में बहुत सी जमीन खरीद ली है ! जहां पर वह आर्थिक गतिविधियां शुरू करने की सोच रहा है ! यहां पर यह भी विचारणीय है कि चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान अधिग्रित गिलगित-बाल्टिस्तान से गुजर रहा हैऔर यह चीन की एक बेल्ट एक सड़क योजना का जरूरी हिस्सा है ! यहां पर यह विचारणीय है कि जिस प्रकार भारत मेंईस्ट इंडिया कंपनीको कुछ देशद्रोही अपनी सता की हवस को पूरा करने के लिए लाए थे उसी प्रकार पाकिस्तान भी भारत के विरुद्धअपनी धरती सेचीन को खड़ा करना चाहता है जिससे वह भारत को सबक सिखा सके ! क्योंकि1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान चार युद्धों में तथा 80 के दशक से चलते आतंकवाद के द्वारा भी वह भारत के विरुद्ध कुछ भी सफलता प्राप्त नहीं कर सका है ! इसलिए पाकिस्तान की सेना अब चीन कोभारत के विरुद्धखड़ा करने की योजना बना रही है ! पाकिस्तान की इस हरकत का भारत के लिए सीधा संदेश है किउसे अब पाकिस्तान की धमकियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए !
1971 में भारत ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए अपनी स्वतंत्रता की तरह युद्ध लड़ा जिसमें उसके6500 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए तथा उसका एक पंचवर्षीय योजना के बराबर का धन खर्च हुआ ! इसके अतिरिक्त बांग्लादेश के 1.5 करोड़शरणार्थियों का पालन पोषण पूरे 2 साल तक किया ! पूरे भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या की शुरुआत भी 1970 से ही हुई और आज इन घुसपैठियों की समस्या पूरे भारत के राज्यों में फैल गई हैजिसके द्वारा यह घुसपैठ देश की चुनाव प्रक्रिया भी पर भी असर डालने का प्रयास कर रहे हैं ! 1971 से लेकर आज तक भारत और बांग्लादेश के संबंध मैत्रीपूर्ण चल रहे थे जो पाकिस्तान को पसंद नहीं आ रहा था ! इसी कारण पाकिस्तान अपनी कुख्यात गुप्तचर संस्था आइ- एस- आइऔर मुस्लिम कट्टरपंथियों के द्वारा बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन का प्रयास कर रहा थाऔर 2024 में वह इसमें सफल भी हो गया ! इसके बाद बांग्लादेश की मुख्यमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाकर वहां पर मोहम्मद यूनुस सत्ता में आए ! इस सत्ता परिवर्तन को देखकर चीन ने भी बांग्लादेश में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी ! और इसके द्वारा वह अन्य गरीब देशो पर आर्थिक रूप से जिस प्रकार कब्जा कर रहा है उसी प्रकार उसने बांग्लादेश में भी शुरू कर दिया है ! अब चीन और पाकिस्तान बांग्लादेश के द्वारा भारत से एक नया मोर्चा भारत के संवेदनशील सिलीगुड़ी गलियारे के लिए खतरे के रूप में खोल रहे हैं ! और धमकियां दे रहे हैं कि इस गलियारे को बंद करकेउत्तर पूर्व के सात राज्यों का संबंध भारत के मुख्य भाग से काट देंगे ! इस प्रकार देखा जा सकता है कि भारत के लिए पहले उत्तर पूर्व दिशा में चीनतथा पश्चिम में पाकिस्तान के साथ मोर्चा था ! परंतु अब चीन और पाकिस्तानबांग्लादेश के द्वारा भी भारत से एक नया मोर्चा सिलीगुड़ी गलियारे के लिए खतरे के रूप में खोल रहे हैं ! इसकी झांकीमोहम्मद यूनुस नेअपने चीन दौरे के समय दे दी है !
नैतिकता के आधार पर बांग्लादेश की आने वाली पीढियां को भी भारत के विरुद्ध कभी खड़े नहीं होना चाहिए था क्योंकि भारत ने अपना खून बहाकर बांग्लादेश को पाकिस्तान की गुलामी से आजाद किया था ! विश्व के हर हिस्से में स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान किया जाता है परंतुबड़े दुख औरआक्रोश के साथ महसूस किया जा रहा है की बांग्लादेश ने केवल 75 साल में भारत के किए हुए इतने पुनीत कार्य को भुला दिया है !