भारत की एकता और अखंडता के लिए उत्तर बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर का महत्व

NewsBharati    03-Jun-2025 12:00:55 PM   
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सिलीगुड़ीकॉरिडोर जिसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है यह एक 20 किलोमीटर चौड़ा तथा 60 किलोमीटर लंबा ऐसा गलियारा है जो भारत को सात बहने कहे जाने वाले उत्तर पूर्वी राज्यों तथा सिक्किम को भारत के मुख्य भाग से जोड़ता है ! यह उत्तरी बंगाल में सिलीगुड़ी शहर से शुरू होकर तीस्ता नदी को पार करता हुआ 60 किलोमीटर आगे तक जाता है ! भौगोलिक दृष्टि से इसके पश्चिम में नेपाल, उत्तर में भूटान तथा दक्षिण में बांग्लादेश की सीमाएं लगती हैं ! पूरे उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए सड़क तथा रेल मार्ग इसी गलियारे से गुजरता है ! उत्तर पूर्वी राज्यों तथा सिक्किम के लिए व्यापार और आर्थिक योजनाओं के लिए कच्चा माल तथा उत्पादों का आयात निर्यात इसी मार्ग से होता है ! इसके अलावा देश की उत्तर- पूर्व की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैन्य सामग्री तथा सैनिकों की आने जाने के लिए भी यही गलियारा है !


siliguri corridor

इस दृष्टि से सिलीगुड़ी गलियारा के सामरिक, आर्थिक तथा देश की अखंडताके लिए इसके महत्व को शब्दों में नहीं बताया जा सकता ! यह गलियारा भौगोलिक या दुश्मन की सैनिक कार्रवाई के कारण ही अवरुद्ध हो सकता है इसलिए इसके महत्व को देखते हुए इसकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है !

अभी कुछ समय पहले बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनिस ने अपने चीन दौरे के समय कहा है कि यदि सिलीगुड़ी गलियारा बंद हो जाता है तो भारत को अपने उत्तरपूर्वी राज्यों से संबंध और संचार के लिए बांग्लादेश पर निर्भर होना पड़ेगा ! यह भारत के लिए परोक्ष रूप से बांग्लादेश की एक धमकी थी और चीन के लिए इसारा था कि बांग्लादेश के द्वारा वह भारत को सबक सिखा सकता है ! पिछले काफी समय से चीन अपनी विस्तारवादी नीति के कारण पूरे दक्षिण एशिया के देशों में आधारभूत ढांचे में निवेश तथा सामरिक गठजोड़ के द्वारा भारत के चारों तरफ म्यांमार, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान में अपना जाल फैला रहा है ! इसी क्रम में उसका सबसे बड़ा कदम है बांग्लादेश में तीस्ता परियोजना पर एक बिलियन पाउंड निवेश करनाऔर सिलिगुड़ी कॉरिडोर से केवल 135 किलोमीटर दूर बांग्लादेश की सीमा में स्थित लालमुनीरहाट हवाईअड्डे का पुनर्निर्माण तथा इसे दोबारा चालू करने की योजना बनाना !अंग्रेजों ने 1931 में द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रयोग के लिए इस हवाई अड्डे का निर्माण किया था परंतु स्वतंत्रता के बाद पूर्वी पाकिस्तान के निर्माण के बाद से यह हवाई अड्डा प्रयोग में नहीं है !अब चीन इसका आर्थिक महत्व बताते हुए इस अड्डे को पुन चालू करना चाह रहा है और इसके लिए बांग्लादेश ने उसे अपनी स्वीकृति भी दे दी है ! अचानक चीन द्वारा लालमुनीरहाट हवाईअड्डे का पुनर्निर्माण भारत के लिए सामरिक दृष्टि से एक चुनौती तथा खतरे के रूप में देखा जा रहा है ! यदि यह हवाईअड्डा दोबारा चालू हो जाता है तो यह चीन का एक ऐसा सैनिक ठिकाना बन सकता है जहां से वह भारत की उत्तर सीमाओं के लिए की जाने वाली सारी सैनिक तथा अन्य गतिविधियों पर नजर रख सकता है जो सिलीगुड़ी गलियारा के लिए हर समय खतरे के रूप में देखा जाएगा !

तिब्बत, भूटानऔर भारत की सीमाएं जहां मिलती है वहीं पर तिब्बत की सीमा में चुंबी घाटी है जोआगे भूटान में जाती है ! हवाई मार्ग से चुंबी घाटी की सिलीगुड़ी कॉरिडोर दूरी केवल 30 किलोमीटर है ! इसे देखते हुए चीन ने घाटी में अपने सैनिक आधारभूत को ढांचे को बढ़ाया है ! इसी क्रम में वह चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम तक सड़क बनाना चाह रहा था जिस पर 2017 में भारत और चीन का विवाद हुआ ! चीन ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जा करने के लिए 1967 में भी सिक्किम के नाथुला पर हमला किया था जिसको सिक्किम में भारत के तत्कालीन सैनिक कमांडर जन जगत सिंह की कमान में विफल करते हुए चीनी सेना को पीछे धकेल दिया गया था ! आज की परिस्थितियों मेंचीन और बांग्लादेश के द्वारा सिलीगुड़ी गलियारा के लिए खतरे को देखते हुए भारत को इस कॉरिडोर के द्वाराजाने वाले मार्ग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार करना चाहिए जिससे उसके उत्तर पूर्व राज्यों से संचार व्यवस्था हर समय चालू रह सके ! इसके लिए बंगाल के हीली से मेघालय के महेंद्रगढ़ को बांग्लादेश की सीमा से होते हुए सड़क मार्ग से जोड़ा जा सकता है !

 इस सड़क मार्ग से सेबांग्लादेश को काफी धन रोड टैक्स के रूप में प्राप्त हो सकता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार चीन म्यांमार को अपनी गैस और तेल पाइपलाइन के लिए टैक्स देता है ! परंतु इसमें भारत को बांग्लादेश की इच्छा पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिस पर पाकिस्तान की सेना तथा चीन का दबाव है जो कभी भी इस मार्ग को बंद कर के भारत के साथ अपनी दुश्मनी निभा सकते हैं ! यदि शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री होती तो इस रास्ते का विकल्पअच्छा था ! परंतु पाकिस्तान ने शेख हसीना को बांग्लादेश की सत्ता से केवल इसलिए हटाया क्योंकि वह भारत के साथ अच्छे संबंध रखती थी ! पाकिस्तान के दबाव के कारण ही बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुस्लिम कट्टरपंत को पूरा बढ़ावा दिया गया जिसके कारण वहां पर हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ तरह-तरह के अत्याचार हुए हैं ! इस कारण भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ कदम उठाते हुए उसके साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगाया ! इसी कारणअब बांग्लादेश भारत के दुश्मनों जैसे चीनऔर पाकिस्तान सेअपने संबंध बढ़ाने की कोशिश कर रहा है ! इसको देखते हुए सिलीगुड़ी गलियारे केकिसी भी ऐसे विकल्प पर विचार नहीं किया जाना चाहिए जो बांग्लादेश से होकर जाता है !

देश के उत्तर पूर्वी राज्यों कोभारत के मुख्य भाग से जोड़ने के लिए दूसरा विकल्प है कोलकता से समुद्री रास्ते से म्यांमार के वाते बंदरगाह और वहां से सड़क मार्ग से मिजोरम और उसके बाद पूरे उत्तर पूर्व राज्यों को इससे जोड़ना! इसे कलनार मार्ग के नाम से भी जाना जाता है ! वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था के साथ ही भारत ने इस क्षेत्र कीसुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया है ! आज की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुएभारतीय सेना ने इस क्षेत्र में हर समय निगरानी रखने के लिए आधुनिकतम s400 नाम के रडार सिस्टम की तैनाती की है जिसकी सफलताऔर कार्य प्रणाली को पूरे विश्व ने ऑपरेशन सिंदूर के समय अच्छी प्रकार से देखा है ! इसके साथ ही इस क्षेत्र केसैनिक हवाई अड्डे बागडोगरा और कलाइकुंडा में राफेल लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया गया है ! पिछले काफी समय से देश की उत्तर पूर्व सीमाओं को मुख्तया खतरा केवल चीन से ही है ! चीन तिब्बत पर कब्जे के बाद से ही भारत के पूर्वी राज्यअरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा बता कर बार-बार इस पर कब्जे की कोशिश करता है ! इसको देखते हुए भारत ने पूरे उत्तर- पूर्वी सीमाओं को सड़क मार्ग से जोड़ा है जिससे आवश्यकता पडने पर वहां पर सैनिक सहायता शीघ्रता से पहुंचाई जा सके ! इसके अलावा पहली बार उत्तर पूर्वी सीमाओं के लिए भारतीय सेना ने स्ट्राइक कोर के नाम से एक ऐसा सैनिक दल तैयार किया हैजिसमें लड़ाकू टैंकऔर बख्तर बंद गाड़ियां हैं !

यह स्ट्राइक कोर दुश्मन के भीतरी क्षेत्रों में जाकर हमला कर सकती है ! इस कोर को ब्रह्मास्त्र कोर का नाम दिया गया है ! इसके साथ-साथ इस क्षेत्र की पहाड़ियोंऔर सीमाओं की रक्षा के लिए सामान्य सैनिक दल पर्याप्त मात्रा में1962 के चीन युद्ध के बाद से ही तैनात कर दिए गए थे इस कारण से हीचीन अभी तक इस क्षेत्र मेंअपनी घुसपैठ बढ़ने में सफल नहीं हो पाया है ! हालांकि लंबे समय से चीन की नजर भारत के अरुणाचल प्रदेश पर है जिसे वह बार-बारदक्षिणी तिब्बत के नाम से पुकारता है और अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न भागों के नाम भी इस प्रकार सेरख रहा है ! 2019 में लद्दाख के गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़क के बाद भारत ने चीन सीमाओं पर विशेष ध्यान देते हुए इस पूरी सीमा पर आधुनिकतम राडार और अन्य इलेक्ट्रॉनिक निगरानी वाले संयंत्र लगा दिए हैं जिनसे 24 घंटे चीनी सीमाओं पर नजर रखी जा सके ! इस प्रकार चीनी सीमाओं पर भारत पूरी तरह से चौकन्ना हैऔर चीन भारत की सीमाओं में घुसने की हिम्मत नहीं कर सकता !

उत्तर पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा व्यवस्था को हर दृष्टि से सुरक्षित करने के साथ-साथ इन राज्यों कीआंतरिक सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकिअति संवेदनशील सिलीगुड़ी गलियारा इसी क्षेत्र में स्थित है ! इस क्षेत्र के राज्यों मेंअक्सर रोंगिया और बांग्लादेशी घुसपैठिये घुसपैठ करते रहते हैं जिनके द्वारा देश के दुश्मनआंतरिक सुरक्षा को निशाना बना सकते हैं ! बांग्लादेश से घुसपैठिए पिछले लंबे समय से खासकर बंगाल में घुसपैठ कर रहे हैं जहां से यह भारत के अन्य भागों में जाकर वहां पर जाली आधार कार्ड इत्यादि बनाकर भारत के नागरिक बनने की कोशिश कर रहे हैं ! इन राज्यों की सत्ता पर कब्जा करने के लिए अक्सर इन राज्यों में होने वाले चुनावों में इन घुसपैठियों के कारण सत्ता के समीकरणों पर भी प्रभाव पड़ रहा है ! अभी कुछ समय पहले झारखंड में विधानसभा के चुनाव हुए थे जहां पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की थी ! इसके अलावा यह घुसपैठिएअपने देश मैं बैठे भारत के दुश्मनों के इशारों पर तरह-तरह की देश विरोधी गतिविधियां जैसे सांप्रदायिक दंगे इत्यादि भी करते हैं ! जिसके कारण इन राज्यों मेंअशांति की स्थिति बन सकता बन जाती है जैसा की नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग धरना प्रदर्शन में इन्हीं बांग्लादेशी घुसपैठियों ने धरने में ज्यादातर हिस्सा लिया था ! इसलिए खासकर बांग्लादेश की सीमा पर विशेष चौकसी के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों को और भी मजबूती से तैनात करना पड़ेगा और उसके साथ-साथ आधुनिकतम इलेक्ट्रॉनिक संयंत्रओ को इन सीमाओं पर लगाना पड़ेगा जिससे कोई घुसपैठ ना हो सके !
इसलिए सिलीगुड़ी गलियारा के सामरिक और देश की अखंडता में महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर पूरा ध्यान देते हुए सीमाओ की सुरक्षा के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा पर भीउतना ही ध्यान देना होगा जिससे घुसपैठिए देश केसंसाधनों और संचार व्यवस्था को नुकसान न पहुंच सके !

Shivdhan Singh

Service - Appointed as a commissioned officer in the Indian Army in 1971 and retired as a Colonel in 2008! Participated in the Sri Lankan and Kargil War. After retirement, he was appointed by Delhi High Court at the post of Special Metropolis Magistrate Class One till the age of 65 years. This post does not pay any remuneration and is considered as social service!

Independent journalism - Due to the influence of nationalist ideology from the time of college education, special attention was paid to national security! Hence after retirement, he started writing independent articles in Hindi press from 2010 in which the main focus is on national security of the country.